जगेंद्र सिंह की वक्त पर मदद न कर पाने के लिए मैं गुनहगार, लखनऊ के पत्रकार शर्मसार : के. विक्रम राव

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मैं खुद को गुनेहगार मान रहा हूँ, क्योंकि मै “जगेन्द्र सिंह” की समय पर सहायता नहीं कर पाया। यह बात अलग है कि मैं लखनऊ के बाहर था, पर वह कोई उचित तर्क नहीं हो सकता। सात दिनों तक लखनऊ के अस्पताल में शाहजहाँपुर का एक खोजी पत्रकार जगेन्द्र सिंह ज़िन्दगी से जूझता रहा, उसके घर में घुस कर जलाने वाले आज़ाद हैं। सिर्फ इसलिए की एक राज्यमंत्री की दबंगई थी। जगेन्द्र सिंह घोटोलो का भंडाफोड़ करता रहा।

अचरज तो यह रहा कि दुनिया भर की हर छोटी मोटी घटना पर जीपीओ के गाँधी पार्क में तख्ती ले कर फोटो खिंचाने वाले प्रबुद्ध लोगों में कोई हरकत नहीं हुई। शर्मसार तो लखनऊ के पत्रकारों ने किया, जो 8 दिन तक आंदोलित नहीं हुए। सड़क नहीं रोकी। सत्तासीन लोगों का घेराव नहीं किया। शायद इसलिए कि वह जिला स्तरीय पत्रकार था। चुल्लू भर पानी वाली कहावत सार्थक कर दी।

वरिष्ठ पत्रकार के. विक्रम राव के एफबी वाल से



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