वो सफेद झूठ बोल रहे हैं, जो कह रहे हैं कि जागेन्द्र सिंह का धन्धा उगाही, वसूली और रंगदारी ही था। सच बात तो यह है कि शाहजहांपुर की ही पुलिस ने उसके ऊपर लगे एक मुकदमे में उसे पूरी तरह निर्दोष पाया था। लेकिन इस तथ्य के बावजूद चंद पुलिस और अपराधियों द्वारा पेट्रोल डाल कर सरेआम फूंक डाले गये शाहजहांपुर के जांबाज पत्रकार जागेन्द्र सिंह को अब ब्लैकमेलर, उगाही करने वाला और रंगदारी वसूली करने वाले अपराधी के तौर पर पेश करने की कवायद चल रही है। मकसद यह कि किसी न किसी तरीके से इस मामले पर मंत्री राममूर्ति वर्मा की खाल बचा ली जाए। उधर पता चला है कि समाजवादी पार्टी ने अपने एक स्थानीय नेता और ददरौल से विधानसभा चुनाव लड़ चुके देवेन्द्र पाल को पार्टी से बर्खास्त कर दिया है।
बहरहाल, जागेन्द्र सिंह की छवि को गंदला करने का अभियान करीब दो साल से चल रहा था। इसमें यहां के नेताओं की शह में पत्रकारों की एक बड़ी टोली जी-जान से जुटी हुई थी। मकसद यह था कि कैसे भी जागेन्द्र सिंह को किसी न किसी में फंसा दिया जाए।
ताजा मामला तो पिछली 10 जुलाई-14 का है। तेल के एक व्यापारी सचिन बॉथम ने सदर बाजार थाने में एफआईआर दर्ज करायी थी कि लोकदल के जिला अध्यक्ष सत्यपाल सिंह और खुद को पत्रकार बताने वाले जागेन्द्र ने उनसे फर्जी मामलों में फंसाने की धमकी देते हुए भारी रकम उगाहने की साजिश की है। पुलिस ने इस मामले को दर्ज किया और जांच-पड़ताल शुरू कर दी। उधर शहर भर में सचिन के खिलाफ पोस्टर लगाने का अभियान शुरू हो गया, जिसमें कई गम्भीर आरोप लगाये गये थे सचिन बॉथम पर। इनमें यह भी एक आरोप था कि सचिन बॉथम सरसों के तेल में खतरनाक और जहरीले द्रव्य मिला कर बेच रहा है, जिससे उपभोक्ताओं में गम्भीर बीमारियां हो रही हैं।
पुलिस ने अपनी तफ्तीश में पाया था कि रंगदारी की उगाही का मामला तो हुआ था और उसमें जागेन्द्र सिंह और सत्यपाल मिश्र पर एफआईआर दर्ज हुई थी। लेकिन जब पुलिस ने जांच की, तो पाया कि इस मामले में जागेन्द्र पूरी तरह निर्दोष था, जबकि दूसरा व्यक्ति यानी लोकदल का जिला अध्यक्ष सत्यपाल मिश्र पूरी तरह दोषी पाया गया था। नतीजा यह हुआ कि पुलिस ने दोषी पाये गये सत्यपाल मिश्र पर तो चार्जशीट दाखिल कर उसे जेल भेज दिया था, जबकि जागेन्द्र सिंह का नाम एफआईआर से हटा दिया था। यानी पुलिस ने भी मान लिया था कि इस मामले में जागेन्द्र सिंह पूरी तरह निर्दोष था।
कुमार सौवीर के एफबी वाल से