फ़्लैशेज़ में न टाइम पर सैलरी आती थी और न ही लोग प्रोफ़शनल थे, लिहाज़ा मैंने अलविदा कहना मुनासिब समझा था।
मैंने मई के महीने संस्थान से विदाई ली थी, जिसके बाद से अब तक कंपनी ने मेरा फ़ुल एंड फ़ाइनल नहीं किया है। मेरी 25 दिनों की सैलरी, छुट्टियों का बैलेंस उनके यहां ही बाक़ी है। इतना ही नहीं मेरी हर महीने में सैलरी से क़रीब 4 हज़ार रुपये TDS के नाम पर कटते थे, लेकिन एक महीने का भी टीडीएस अब तक जमा नहीं हुआ।
मुझे हर महीने सिर्फ़ और सिर्फ़ आश्वासन मिलता रहा अकाउंट हेड और एडमिन हेड की ओर से जो लहिरी जी हैं। इस बार मुझे पूरी तरह से तसल्ली करा दी थी कि दिवाली से पहले आपका फ़ुल एंड फ़ाइनल क्लीयर कर दिया जाएगा और TDS भी लेट फ़ीस के साथ जमा कर दिया जाएगा।
लेकिन 5 महीनों की तरह इस बार भी झांसा ही दिया गया और अब तो न कोई फ़ोन उठाते हैं और न ही मेल का जवाब देते हैं। इस कंपनी के बारे में और भी बातें मैं आपको बता दूं, ये किसी भी स्टाफ़ का पीएफ़ नहीं काटते, किसी भी तरह का कोई ईएसआई या इंश्योरेंस नहीं है, यानी कंपनी के मापदंडो के साथ भी जालसाज़ी।
मैंने तो फ़ैसला कर लिया है कि इसके ख़िलाफ़ लेबर कोर्ट और जो भी लीगल प्रक्रिया होगी करूंगा, लेकिन आशा करता हूं कि आप भी इस बात को अपनी साइट पर जगह दें।
मैं इस मेल में अपने आख़िरी दो संवाद जो मेल के ज़रिए इस कंपनी के साथ हुए हैं, उसके स्क्रीन शॉट लगा रहा हूं। आप भी देख सकते हैं। मैंने फ़िलहाल मुंबई में स्पोर्ट्ज़ इंटेरैक्टिव ज्वाइन कर लिया है जो एशिया की सबसे बड़ी स्पोर्ट्स एजेंसी में से एक है और 10 साल पहले यहीं से मैंने अपना करियर भी शुरू किया था। जिसके बाद मैं इंडिया टीवी, ज़ी मीडिया, न्यूज़ एक्सप्रेस जैसे संस्थानों में एकंर की भूमिका में रहा हूं।
शुक्रिया
Syed Irshad Hussain
Comments on “स्पोर्ट्स फ़्लैशेज़ की धोख़ाधड़ी और जालसाज़ी का ख़ुलासा!”
Syed ji, we r with u