दिल्ली : सैनिटरी नैपकिन मामले में जामिया मिलिया इस्लामिया के चार छात्रों को मुख्य प्रॉक्टर की ओर से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। चारों छात्रों को नोटिस का जवाब 31 मार्च तक देना है। आरोप लगाया गया है कि उन्होंने यूनिवर्सिटी भवन में विभिन्न स्थानों पर सैनिट्री पैड छोड़े, जिनमें महिलाओं के मामलों से जुड़े कुछ अजीब प्रकार के संदेश उसमें लिखे हुए थे। विरोधस्वरूप स्लोगन में लिखा गया था कि ‘रेप अमानवीयता’, ‘हक है आजादी’। नोटिस दिए जाने के बाद कई एक ने ट्विटर पर छात्रों को समर्थन दिया है।
आरोपी छात्रों ने अभियान चलाकर यूनिवर्सिटी परिसर में पेड़ों के इर्द-गिर्द, दीवारों पर सैनिट्री पैड जो रखे थे, उनकी तस्वीरें ट्विटर और इंस्टाग्राम पर जारी कर दी गईं। सैनिट्री पैड पर लिखा गया था कि ‘माहवारी का रक्तस्राव गंदा नहीं होता बल्कि आपकी सोच गंदी है। माहवारी होना सामान्य बात है, पर बलात्कार नहीं।’ एक ने लिखा है कि जामिया संदेश समझने में नाक़ामयाब रहा और पैड पर फ़ेमिनिस्ट संदेश लिखने के लिए चार छात्रों को नोटिस दिया है।
जर्मन कार्यकर्ता इलोना से प्रेरित इन छात्रों ने कुछ दिनों पहले पूरे परिसर में नारीवादी संदेशों के साथ सैनिटरी नैपकिन लगा दिए थे। जामिया मीडिया सेल के एम रंजन ने कहा है कि हमें इस अभियान के बारे में छात्रों और टीचर्स से शिकायतें मिली थीं। संदेश के लिए अनुचित तरीका इस्तेमाल किया गया।
नोटिस में बताया गया है कि कई शिक्षकों, छात्रों और कर्मचारियों ने इस अभियान के संबंध में शिकायत की है। यूनीवर्सिटी ने छात्रों से कहा है कि वो बताएं कि बिना किसी अनुमति लिए उन्होंने ये अभियान क्यों किया। हालांकि यूनीवर्सिटी का कहना है कि वो छात्रों की पहल की सराहना करते हैं और इस मुद्दे पर उनके साथ मिलकर और काम करेंगे। जर्मन छात्रा इलोना ने जामिया के इस क़दम की आलोचना की है।