अमित चतुर्वेदी-
जिन लोगों को लगता है कि जनसंख्या ही सारी समस्याओं की जड़ है वो लोग कुछ खाकर सुसाइड काहे नहीं कर लेते भई, जनसंख्या की समस्या कुछ तो कम होगी 🙂
वैसे जोक्स अपार्ट, एक सीरियस बात ये है कि आज हमारे देश में जो थोड़ी बहुत समृद्धि दिखती है उसका सबसे मुख्य कारण हमारे देश की जनसंख्या ही है…सुनने में ये बात अटपटी ज़रूर लगेगी लेकिन सच यही है…और सरल शब्दों में कहा जाए तो हमने और हमारे देश के समझदार नेताओं ने जनसंख्या को ही हथियार बनाया था, हमारे देश की ग़रीबी और बेरोज़गारी दूर करने के लिए..
याद कीजिए आज से पच्चीस तीस साल पहले का समय, हर जगह जनसंख्या समस्या की ही बात होती थी, तब हम सौ करोड़ भी नहीं हुए थे, मुझे याद है, जब पहली बार दूरदर्शन ने पॉप्युलेशन क्लॉक दिखाना शुरू की थी तब हमारे देश की पॉप्युलेशन 87 करोड़ थी…
और जब हम 90 करोड़ भी नहीं थे तब देश में ग़रीबी थी, अशिक्षा थी, बेरोज़गारी थी..शहर में कुछ गिने चुने लोग ही अमीर हुआ करते थे, मुहल्ले में एक दो लोगों के पास मोटरसाइकल हुआ करती थी, कार तो हमारे जबलपुर शहर में भी शायद हज़ार पाँच सौ से ज़्यादा नहीं रही होंगी…और ये सब तब था जब हमारे देश की जनसंख्या आज की जनसंख्या से 40% कम थी।
हम इतने कम लोगों के लिए अनाज नहीं पूरा उगा पाते थे, लगभग हर ज़रूरत की चीज़ ही इंपोर्ट होती थी।
लेकिन फिर देश “पढ़े लिखे” और विज़नेरी नेताओं के हाथ में आया, जिन्होंने जनता के सामने समस्याओं का रोना नहीं रोया और न ही अपनी समस्याओं के लिए जनता को एक दूसरे पर दोषारोपण करना सिखाया…उन्होंने समाधान की तरफ़ कदम बढ़ाया, उन्होंने दुनिया के सामने देश को दुनिया के सबसे बड़े बाज़ार की तरह से पेश किया जहां दुनिया के सबसे अधिक consumer रहते हैं, उन्होंने देश के बाज़ार को खोला,आर्थिक सुधार लागू किए, विदेशी कम्पनियों को भारत में काम करने के लिए बुलाया और उन्हें इसी जनसंख्या के लालच से लुभाया, उन मल्टीनैशनल कम्पनियों ने भारत में आकर काम शुरू किया और उसी चलते लोगों को रोज़गार मिलना शुरू हुआ।
आज भारत दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बन गया है (भक्त गण ऑर्गैज़म फ़ील करने लगें उसके पहले मैं बताना चाहूँगा कि भारत सन 2012 में ही दुनिया की पाँचवीं बड़ी आर्थिक ताक़त बन गया था), और ऐसा हमने इसी जनसंख्या के साथ अचीव किया है, या यूँ कहें कि इसी के चलते हासिल किया है।
बेशक हमारे देश की जनसंख्या बहुत ज़्यादा है, लेकिन ये आज से नहीं हमेशा से है, बेशक अगर हम इतनी बड़ी जनसंख्या वाले देश न होते तो आज दृश्य दूसरा हो सकता था…
और हर बात के लिए मुसलमानों को दोष देना भी हमारी अपनी नाकामियों को छिपाने का ग़लत प्रयास है, क्यूँकि पाकिस्तान जहां 98% मुसलमान रहते हैं, उसका क्षेत्रफल हमसे एक तिहाई यानी 1/3 भाग है लेकिन उनकी जनसंख्या हमसे 20% से भी कम है…ख़ुद हमारी दो पीढ़ियों पहले तक हमारे दादा और नानाओं वाली जनरेशन के सात आठ बच्चे तो होते ही थे, तो जितनी भी इस देश में जनसंख्या है उसमें हिंदू मुसलमान सबका योगदान है। चीन हमसे ज़्यादा जनसंख्या के बावजूद हमसे कहीं आगे है।
इसीलिए आपस में फ़ालतू लड़ना और जिन समस्याओं के समाधान की ज़िम्मेदारी उनकी है जिन्हें हमने चुना हुआ है, उसके लिए एक दूसरे पर दोषारोपण बंद करिए, आप ख़ुद सवाल नहीं कर सकते तो सवाल पूछने वाले का मुँह मत पकड़िए, और इसके बाद भी नहीं समझ में आती बात, तो पोस्ट के सबसे पहले पैरग्रैफ़ का अनुसरण करिए…