लखनऊ : आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) ने मथुरा के जवाहर बाग प्रकरण की सीबीआई से जांच कराने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत किया है। प्रेस को जारी विज्ञप्ति में आइपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व आईजी एस0 आर0 दारापुरी ने कहा कि यदि उच्च न्यायालय अपने अधीन गठित जांच टीम से जांच कराता जिसमें मुख्यमंत्री और उनके कार्यालय की संवैधानिक-प्रशासनिक भूमिका की भी जांच होती तो बेहतर होता।
गौरतलब है कि आइपीएफ की टीम ने जून 2016 में घटित मथुरा प्रकरण की जांच की थी और यह पाया था कि मथुरा में राज्य सरकार के सरंक्षण में रामवृक्ष यादव के गिरोह ने वन विभाग के जवाहर बाग को दो वर्षों से बंधक बनाकर समानांतर सत्ता चला रहा था।
आइपीएफ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर उच्च न्यायालय द्वारा गठित जांच टीम से जांच कराने की मांग की थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दाखिल जनहित याचिका में आइपीएफ ने यह मांग की थी कि इस बात की जांच होनी चाहिए कि खुलेआम भारतीय संविधान और नागरिकों की नागरिकता को चुनौती देने वाले और कानून के शासन को नकारने वाले रामवृक्ष टीम की कार्यवाहियों की मुख्यमंत्री को यदि सूचना नहीं थी तो वे किस प्रकार उ0 प्र0 में शासन चला रहे है और यदि थी तो उसके विरूद्ध विधिक व प्रशासनिक कार्यवाही न करने की वजह क्या थी?
आइपीएफ ने यह भी मांग की थी कि सार्वजनिक जमीन और अन्य सम्पत्ति सम्प्रदाय विशेष के लोगों को देना राज्य के धर्मनिरपेक्ष चरित्र के साथ यदि संगत नहीं है तो मथुरा में जय गुरूदेव और साध्वी ऋतंम्भरा के वात्सल्य आश्रम को किस आधार पर सरकार द्वारा सार्वजनिक जमीन दी गयी है, को भी जांच में शामिल किया जाना चाहिए।