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खनन माफिया ने अमर उजाला के पत्रकार को कुचला, अखबारों ने बताया दुर्घटना!

खनन माफिया के शिकार अमर उजाला के पत्रकार मिंटू मिश्रा

एक और कलम के सिपाही की निर्मम हत्या कर दी गई. खनन माफिया ने बेहजम (लखीमपुर खीरी) के अमर उजाला के पत्रकार मिंटू मिश्रा की शाम होते ही भरे चौराहे पर टैक्टर टाली से कुचल दिया. इससे उनकी मौके पर ही मौत हो गयी. दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि अखबारों ने पत्रकार की हत्या को दुर्घटना में मौत बताकर छापा. इससे साथी पत्रकारों में आक्रोश है. पुलिस ने भी दुर्घटना का मुकदमा दर्ज किया है. हत्या के दो घंटे बाद मौके पर पहुंची थी पुलिस. आक्रोशित लोगों ने लखीमपुर मैगल गंज मार्ग जाम कर अपना विरोध प्रकट किया.

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एक और कलम के सिपाही की निर्मम हत्या कर दी गई. खनन माफिया ने बेहजम (लखीमपुर खीरी) के अमर उजाला के पत्रकार मिंटू मिश्रा की शाम होते ही भरे चौराहे पर टैक्टर टाली से कुचल दिया. इससे उनकी मौके पर ही मौत हो गयी. दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि अखबारों ने पत्रकार की हत्या को दुर्घटना में मौत बताकर छापा. इससे साथी पत्रकारों में आक्रोश है. पुलिस ने भी दुर्घटना का मुकदमा दर्ज किया है. हत्या के दो घंटे बाद मौके पर पहुंची थी पुलिस. आक्रोशित लोगों ने लखीमपुर मैगल गंज मार्ग जाम कर अपना विरोध प्रकट किया.

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर में हुई पत्रकार की मौत अखबारों की सुर्खी बना. लेकिन इन सुर्खियों में कहीं भी उसकी हत्या का उल्लेख नहीं था. किसी अखबार ने उसे अपना पत्रकार मानकर उसकी हत्या का उल्लेख करना मुनासिब नहीं समझा. नतीजन मामले को दबाने के प्रयास तेज हो गए. लखीमपुर खीरी जिले में बेख़ौफ़ खनन माफिया ने एक पत्रकार की ट्रैक्टर ट्राली से कुचलवा कर के निर्मम हत्या करा दी. वही चंद कदमों की दूरी पर बनी पुलिस चौकी ने घटना की जानकारी होने के बावजूद भी घटना स्थल पर पहुंचना मुनासिब नहीं समझा.

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थाना नीमगाँव के बेहजम कस्बा निवासी पत्रकार शैलेंद्र मिश्र उर्फ़ मिंटू रोज की तरह शाम करीब सात बजे अपने घर से निकल कर के इलाहाबाद बैंक के पास चौराहे पर पान की दुकान के पास खड़े थे. तब तक तेज़ रफ़्तार से उलटे हाथ पर आ रहे ट्रैक्टर ने शैलेंद्र मिश्र को टक्कर मार दी जिससे शैलेंद्र की घटना स्थल पर ही मौत हो गयी. घटना की जानकारी होते ही लोगों की भीड़ जुटने लगी. लेकिन घटना स्थल से पांच सौ मीटर की दूरी पर बनी पुलिस चौकी ने घटना की जानकारी होने के दो घण्टे बाद भी मौके पर पहुंचना जरूरी नहीं समझा. इस बात से मृतक पत्रकार के परिजनों ने आक्रोशित होकर शव को रोड पर रख कर जाम लगा दिया. जाम लगते ही प्रशासन के हाँथ पाँव फूलने लगे, लेकिन पत्रकार के परिवार को न्याय नहीं मिला।

दरअसल खनन माफिया बड़े पैमाने पर अवैध खनन करता है. दिखाएंगे अगर एक ट्राली तो खनन करते थे कई ट्राली. जब इस पर पत्रकार रिपोर्टिंग के लिए तैयार हुआ तो उसे धमकी मिली. इसकी उसने शिकायत भी दर्ज कराई. इसके बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई और उसे ट्राली ने रौंद दिया. परिवारीजनों ने शव वहां से हटाने से मना कर दिया क्योंकि वह हत्या का मामला दर्ज कराने के लिए प्रयास कर रहे थे. अब खनन में खनन माफिया, नेता, अधिकारी सब सवालों के घेरे में हैं. परिवार वाले हत्या कह रहे हैं और अधिकारी इसे दुर्घटना कह रहे हैं. स्वयं एस डी एम पर तहरीर बदलवाने के आरोप लग रहे हैं.

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पत्रकार हत्या की घटना को छिपाने व खनन माफिया रियासत को बचाने के लिए दो बार तहरीर बदलवाई गयी. इसका खुलासा तब हुवा जब उनके परिवार वालों से बात की गई. मृतक पत्रकार के भाई शिशु मिश्र ने बताया कि एसडीएम व थानेदार ने कहा कि मुकदमा लड़ते फिरोगे,  दुर्घटना लिखवाओगे तो कुछ क्लेम मिल जायेगा. कुछ टीवी चैनलों ने इसे हत्या कहकर रिपोर्ट चलाई. कुछ पत्रकार संगठन भी मैदान में कूदते नजर आ रहे हैं. इस मुद्दे पर अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति ने रात को आपात बैठक भी बुलाई.

पत्रकार रामजी मिश्र ‘मित्र’ की रिपोर्ट. संपर्क : [email protected]

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