Connect with us

Hi, what are you looking for?

छत्तीसगढ़

लोकायुक्त पर भारी भ्रष्टाचारी प्रधान संपादक सुभाष मिश्रा के खिलाफ वरिष्ठ पत्रकार ने सीएम बघेल को भेजा पत्र

छत्तीसगढ में भ्रष्टाचारियों पर शिकंजा कसने का मानक बेहद अलग है. सत्ता के करीबी अफसरों पर अगर भ्रष्टाचार के मामले में ईओड्ब्ल्यू में केस दर्ज है तो भी उसे गिरफ्तार नहीं किया जाता है. कोर्ट के आदेश की भी सरकार परवाह नहीं करती है. इसका ताजा उदाहरण पाठय पुस्तक निगम में 4 करोड़ रुपए के भ्रष्टाचारी संपादक सुभाष मिश्रा का है. छत्तीसगढ लोकायुक्त के आदेश देने के 3 साल बाद भी ईओड्ब्ल्यू के अफसरों ने आरोपी सुभाष मिश्रा समेत अन्य के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश नहीं किया है. ये मामला फिर से तब उठ खड़ा हुआ जब हफ्ते भर पहले 3 जुलाई को वरिष्ठ पत्रकार नारायण शर्मा ने मुख्यमंत्री से इस बाबत लिखित शिकायत की.

ज्ञात हो कि आजकल संपादक के रूप में कार्यरत सुभाष मिश्र पहले लोकसेवक हुआ करते थे. सारा घोटाला उनके लोकसेवक कार्यकाल के दौरान का है. आरोप है कि रिटायरमेंट के बाद मीडिया में आने और संपादक जैसा ओहदा हासिल करने के बाद वे अपने खिलाफ चल रहे मामलों को प्रभावित करने कराने में जोरशोर से जुटे रहते हैं.

लोकयुक्त के आदेश को ठेंगा

Advertisement. Scroll to continue reading.

छत्तीसगढ़ लोक आयोग प्रमुख माननीय लोकायुक्त जस्टिस पीपी शर्मा ने साल 2019 को आदेश पारित किया. इसमें आरोपी सुभाष मिश्रा समेत अन्य को दोषी करार दिया. लोकायुक्त ने अपने अनुशंसा में कहा था कि प्रावधानों को देखते हुए इस प्रकरण में लोकसेवक सुभाष मिश्रा, संजय पिल्ले एवं जे मिंज का कृत्य आपराधिक कदाचार का है. इस कारण राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो द्वारा की गई विवेचना के अनुसार प्रतिपक्ष लोकसेवक सुभाष मिश्रा, संजय पिल्ले और जे मिंज के विरुद्ध पंजीकृत अपराध क्रमांक 40/ 213 धारा 420, 120 बी भारतीय दंड संहिता एवं सहपाठी धारा 13(1)डी, 13(2) निवारण अधिनियम 1988 के अंतर्गत अति शीघ्र अभियोजन कार्रवाई की अनुशंसा सचिव छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षकों की जाती है.

सचिव छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग के 3 माह के भीतर अनुशंसा का परीक्षण कर अनुशंसा के आधार पर कार्रवाई अथवा प्रस्तावित कार्रवाई की सूचना आयोग को धारा 11 (2) छत्तीसगढ़ लोक आयोग के अंतर्गत आवश्यक रूप से 3 माह में प्रेषित करें जिससे उपयुक्त कार्रवाई नहीं करने की स्थिति में धारा अधिनियम 2002 के अंतर्गत राज्यपाल महोदय को विशेष प्रतिवेदन प्रेषित किया जा सके.

Advertisement. Scroll to continue reading.

इतना सब के बाद भी भ्रष्टाचारी अफसरों पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी. पर वरिष्ठ पत्रकार नारायण शर्मा के पत्र ने इस घोटाले के जिन्न को फिर से जगा दिया है. देखें पत्र-

संबंधित खबर-

पाठ्य पुस्तक निगम के पूर्व जीएम अशोक चुतर्वेदी गिरफ्तार, बाक़ियों घपलेबाजों पर क्यों है छत्तीसगढ़ सरकार मेहरबान?

संपादक के खिलाफ सीएम ने दिए जांच के आदेश

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास तक खबर सूचनाएं जानकारियां मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group_one

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement