हे लखनऊ वालों, आप खामोश दर्शक बनकर पत्रकारिता की इज्जत लुटते हुए देखिये

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मैं मुखालिफत करुँ तो कहिए- भुखरादी कर रहा है.. एक ही मसले पर एक ही संगठन के दो पत्रकार गुटो ने लखनऊ मे नितीश कुमार को ज्ञापन देकर पत्रकारों की खिल्ली उड़वायी…

1- राष्ट्रीय- अंतर्राष्ट्रीय स्तर का कहा जाने वाला पत्रकार संगठन ifwj
2- इस संगठन से लम्बे समय से जुड़े हुए वरिष्ठ और नामी-गिरामी पत्रकार नेता।
3- देश मे लगातार पत्रकारों पर हो रहे हमलो की गंभीर समस्या।
4- एक बड़े प्रदेश बिहार के मुख्यमंत्री और बहुत बड़े कद के नेता नितिश कुमार
      
स्थान- वीवीआईपी गैस्ट हाउस

पत्रकारों की एक गंभीर समस्या को एक गंभीर पत्रकार संगठन एक गंभीर राजनेता/मुख्यमंत्री के सामने कैसे रख रहा है :-

मुलाहिजा फरमाइये :-

एक ही समस्या और एक ही संगठन का ज्ञापन एक ही समय पर एक ही व्यक्ति को दिया जाता है। पर सब कुछ एक होने के बाद भी एक ही संगठन  और एक ही समस्या के  दो ज्ञापन दो गुटो द्वारा एक ही राजनेता को दिये जाना कितना शर्मनाक और कितना बड़ा खिडवाल है, इस बात का अंदाजा लगाया आपने ! तो क्या खाक कोई सरकार पत्रकारों की समस्याओं को गंभीरता से लेगी। तो क्या खाक हम ये समझे कि ये पत्रकार नेता पत्रकारों के हितो की नियत से ज्ञापन सौप रहे है।

ये सब देखकर भी हमसे अपेक्षा की जाये कि हम ये न कहे कि नेताओं/अधिकारियों के साथ फोटो खिचवाने की होड़/हवस /दिखावे और निजी स्वार्थ से भरी सियासत की जा रही है। हम ये न कहे कि वो बड़े जो पत्रकारों के हर मंच पर कब्जा करके पत्रकार हितो की बड़ी-बडी   बाते करते है उनका मकसद सिर्फ पत्रकार राजनीति के नाम पर धंधेबाजी करना है। अपनी-अपनी दुकानें चलानी है और इस अंधी-दौड़ मे कुत्ते-बिल्लियो की तरह लड़ कर पत्रकारिता जगत को बदनाम करना है।

पत्रकारों का एक बड़ा तपका ये सब कर रहा है और दूसरा तबका पत्रकारिता की इज्जत का बलात्कार होते खामोशी से देख रहा है।  इन कृत्यों के खिलाफ विरोध स्वरूप किसी भी कलमकार के कलम से एक अल्फाज भी नहीं लिखा जाता।

हम लिखते हैं तो कहा जाता है :- भुखरादी कर रहा है…. नेतागीरी कर रहा है … गंदी राजनीति कर रहा है…..मैं फलाँ का आदमी हूँ…..फलाँ की वकालत कर रहा हूँ….     वरिष्ठों का अपमान कर रहा है…..राजनेताओं और नौकरशाहो तक हमारे बीच के झगड़े पहुँच रहे है…

तो ठीक है कुछ भी कहो, मैं लिखता रहूँगा। आप पत्रकारिता के नाम पर धंधेबाजी करते रहो…..इस धंधेबाजी के लिये आपस मे लड़ते मरते रहो… और आप लोग खामोश दर्शक बनकर पत्रकारिता की इज्जत का बलात्कार होते हुए देखो। और मै इसकी सिर्फ कलम से मुखालिफत करुँ, तो कहो भुखरादी कर रहा है साला ……।

नवेद शिकोह
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Comments on “हे लखनऊ वालों, आप खामोश दर्शक बनकर पत्रकारिता की इज्जत लुटते हुए देखिये

  • Azeem MirzaG says:

    नावेद भाई आपके अन्दर पत्रकारों के लिए दर्द है यह तो हमने महसूस किया, लेकिन आपने दो ज्ञापनों की जो बात की उसका मज़मून अपने पाठकों के सामने नहीं परोसा, हम आपकी पोस्ट पढ़ने के बाद मज़मून जानना चाहते थे जिससे आपने हमें वंचित रख्खा। वह मज़मून भी पेश करिये।
    अज़ीम मिर्ज़ा

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