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श्रीमान जी,
मेरा नाम मनोज उपाध्याय है और मैं बुलंदशहर में भारत समाचार के रिपोर्टर के तौर पर कार्यरत हूं.
श्रीमानजी, मैं पिछले कई दिनों से एक नेक्सस की साजिशों का शिकार बन रहा हूं जिसमें पीटीआई के पूर्व संवाददाता कुंवर मुहम्मद शुऐब, हिन्दुस्तान हिंदी के स्थानीय ब्यूरो उस्मान सैफी और खुर्जा सिटी के कुछ अन्य असामाजिक तत्व शामिल है.
कुछ महीने पहले कुंवर मुहम्मद शुऐब का बेटा अकरम खुर्जा से एक हिंदू युवती को लेकर फरार हो गया था. इस पर खुर्जा से बुलंदशहर तक हिंदूवादी संगठनों ने तमाम प्रदर्शन आदि किये थे. न्यूज चैनल के पत्रकार होने के नाते मैने कवर किया और अपने चैनल पर खबर प्रसारित करने के लिए भेजा. थोड़े दिन बाद कुंवर मुहम्मद शुऐब के बेटे ने सोशल मीडिया पर राष्ट्रविरोधी टिप्पणी की जिस पर पुलिस ने उसके खिलाफ केस दर्ज किया था. पुलिस को उसकी तलाश है.
इन दोनो मामलों में खबर चलाये जाने को लेकर कुंवर मुहम्मद शुऐब मुझसे रंजिश मानने लगा और 31 अगस्त को कुंवर मुहम्मद शुऐब और उसने एक साथी ने मुझे रास्ते में अकेला पाकर मेरे ऊपर हमला किया. इस मामले में कोतवाली खुर्जा में केस भी दर्ज कराया. कुंवर मुहम्मद शुऐब को पुलिस ने जमानतीय धारा होने के कारण मुचलके पर छोड़ दिया.
इन घटनाओं के बाद खुर्जा में पत्रकार उस्मान सैफी ने कुंवर मुहम्मद शुऐब के साथ मिलकर कुछ बदमाश मेरे और मेरे परिवार के पीछे लगा दिये है. इनके द्वारा भेजे गये नाजिम नाम के एक बदमाश ने मेरी बेटी के साथ खुर्जा सिटी में 2 सितंबर को छेड़छाड़ की जिस पर कुछ राहगीरों ने बदमाश की पिटाई कर दी. इस संबध में मेरी ओर से खुर्जा में केस दर्ज कराया गया है.
पुलिस के मुताबिक आरोपी की पिटाई राहगीरों ने की लेकिन उस्मान सैफी और कुंवर मुहम्मद शुऐब ने अपनी पत्रकारिता व कुछ नेताओं के संरक्षण में मेरे तथा मेरे रिश्तेदारों के खिलाफ आरोपी का दांत तोड़े जाने का फर्जी मुकदमा लिखा दिया है. मैने इस संबध में श्रीमान एसएसपी महोदय बुलंदशहर को लिखित में एक पत्र देकर निष्पक्ष जांच कराये जाने की मांग की है. मुझे पुलिस पर विश्वास है कि वह न्याय करेगी.
आपकी बेवसाइट पर मेरे पक्ष को जाने बगैर पब्लिश की गई खबर को लेकर मैं बस अफसोस ही कर सकता हूं.
कुंवर मुहम्मद शुऐब का किसी पत्रकार से शिकवा होना पहली दफा नही है. शुऐब साहब खुर्जा के प्रभावशाली नबाब खानदार से ताल्लुक रखते है. 2006 में इन्होने अपनी मां को मारपीट कर घर से बाहर निकाल दिया था. इनकी नाराज मां और बहिन ने (जो मुंबई में रहती है) अपनी जमीन बेच दी. जिसके बाद इन्होने खरीदार और उस समय इस खबर का कवरेज करने वाले “आजतक” के पत्रकार अरूण चौधरी को महीनों प्रताड़ित किया. अरूण चौधरी के खिलाफ शिकायत करके आजतक के तत्कालीन सर्वेसर्वा श्री कमर वाहिद नकवी जी की मदद से उसे नौकरी से निकलवा दिया था. इसी सदमें में अरूण चौधरी और उसका परिवार एक हादसे का शिकार हुआ और उसके जख्म आज भी झेल रहा है.
बुलंदशहर जिले में ऐसा कोई पत्रकार नही जिससे शुऐब साहब की गाली-गलौज ना हुई हो. मैं तो इस क्षेत्र में बहुत बाद में आया हुआ हूं. इन्हीं हरकतों की वजह से शुऐब साहब को पीटीआई से रूखसत कर दिया गया. हिंदुस्तान अखबार के उस्मान सैफी की करतूत को भी सब जानते हैं. इनकी भी कई कहानियां हैं.
मीडिया के इस गैंग से सम्बंधित अवैध स्लाटर हाउस उगाही, लव जिहाद कार्यक्रम, सम्पत्ति के लिए साजिशों के किस्से मीडिया का हर कोई शख्स जानता है. आप चाहें तो किसी से पता कर सकते हैं.
इन लोगो की पृष्ठभूमि बताने के पीछे वजह यह है कि आप जानें कि आपको खबर भेजकर मुझे बदनाम करने वाले लोग किस तरह की मानसिकता के शिकार है. इन जैसों की साजिशों की वजह से अब मेरे परिवार का घर से निकलना दूभर हो चुका है. मेरा बेटा राष्ट्रीय खिलाड़ी है और मैं खुद सम्मान से जिंदगी बसर करने में यकीन करता हूं. लेकिन कुछ महीनों से मेरे खिलाफ चल रही साजिशों की वजह से मुझे और मेरे परिवार को जान-माल का खौफ पैदा हो गया है. मैने इस संबध में स्थानीय पुलिस अफसरों को अवगत भी कराया. मुझे यकीन है कि मुझे, मेरे परिवार को सुरक्षा भी मिलेगी और इंसाफ भी.
आपने मुझे अपना पक्ष रखने का अवसर दिया, मैं कृतज्ञ हूं.
मनोज उपाध्याय
रिपोर्टर
भारत समाचार
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