अजमेर : यहां आयोजित साहित्य सम्मेलन के गुफ्तगू सत्र के दौरान वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई कहा कि मैं नहीं मानता कि पूरी मीडिया बिकी हुई है. ये देश बेइमानों का देश नहीं है. इस देश की अधिकांश जनता ईमानदार है. ईमानदारी के कारण ही देश तरक्की कर रहा है. मीडिया जनता पर निर्भर है, किसी कॉर्पोरेट पर निर्भर नहीं है. हां कुछ मीडिया हाउस में कॉर्पोरेट के कारण समस्या है लेकिन उनका भी समाधान होगा. उन्होंने माना कि कुछ मीडिया हाउस पर कॉर्पोरेट्स का दबाव है.
इस सत्र में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अदिति मेहता के सवालों का जवाब देते हुए सरदेसाई ने कहा कि अब डिजिटल मीडिया की ताकत बढ़ रही है. आम जनता को भी अब सिटीजन जर्नलिस्ट बनना होगा. कार्पोरेट्स और बिल्डर्स मीडिया हाउस बना रहे हैं ताकि वे मीडिया की आड़ में अपने काम निकाल सकें. राजनीतिक दलों ने चुनावों में पेड न्यूज के कैंसर को जन्म दिया है. लेकिन सभी मीडिया हाउस में ऐसा नहीं है. हाल ही में कुछ कॉर्पोरेट्स ने एक ग्रुप बनाया है जो चाहते हैं कि देश का मीडिया पारदर्शिता और ईमानदारी से काम करे.
सरदेसाई ने कहा कि इलेक्ट्रोनिक मीडिया बिजनेस मॉडल बन गया है, जो बिकेगा वो चलेगा. इससे पत्रकारिता की नई परिभाषा बनी है और पत्रकारों की आत्मा को ही समाप्त कर दिया है. विज्ञापनदाता का भी दबाव होता है कि यदि चैनल की टीआरपी ज्यादा होगी तो ही वह विज्ञापन देगा. इसलिए न्यूज चैनल में प्रतिदिन आज का बकरा या आज का मुर्गा कौन तय कर उसे ही दिनभर अलग अलग अंदाज में दिखाया जाता है. ऐसे में दर्शकों को खुद अपने आप से सवाल करना चाहिए कि वे क्या देखना पसंद करेंगे.
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sandip thakur
September 22, 2015 at 8:39 am
राजदीप सरदेशाई सरीखे पत्रकार Media के अंबानी हैं। बंगला,लंबी गाड़ी,branded कपड़े,foreign tour,Five star हाेटल में चाय कॉफी,हाई फाई लाइफ स्टाइल…। एेसी लाइफ स्टाइल जीने वाला पत्रकार हाे सकता है क्या? जरा साेचीए। राजदीप सरदेसाई पत्रकार कैसे बने यह एक अलग कहानी है। सफल कैसे हुए यह दूसरी कहानी है। लाखाें में खेलने वाले आैर पत्रकाराें के हक में कभी काेई आवाज नहीं उठाने वाले कारपाेरेट्स की वकालत नहीं करेंगे ताे आैर क्या करेंगे। राजदीप काे पता नहीं की देश का media पूरी तरह बिका हुआ है। आजकल काैन से चैनल पर खबरें आती हैं। आज देश के बड़े भाग में आकाल के हालात पैदा हाे गए हैं,कहां है खबर। प्याज 80 रुपए Kilo, लहसन 200 रुपए Kilo,अदरख 150 रु Kilo, दाल अरहर 150 रु Kilo,मूंग घुली 120 रु Kilo…महंगाई,बेराेजगारी,भ्रष्टाचार,कहां है खबर। खबरें देख आप काे क्या लगता है। राजदीप ने पत्रकारीता में काैन से झंडे गाड़े हैं। काैन सी Grassroot reporting की है। अलवत्ता कई मामलाें में साैदेबाजी की है। हाल ही में काैन से कॉर्पोरेट्स ने ग्रुप बनाया है जो मीडिया में पारदर्शिता और ईमानदारी से काम करना चाहते हैं,राजदीप क्या इसका खुलासा करेंगे ? इस देश में परेशानी यह है की PM से लेकर CM तक आैर संपादक से लेकर चपरासी तक, सभी महज जुमलेबाजी करना जानते हैं। करना काेई नहीं चाहता