पीएम मोदी अपने आरोपी एनएसए डोभाल और केंद्रीय मंत्री हरिभाई के खिलाफ एक्शन लेने की हिम्मत दिखा पाएंगे?
फिर वही गन्दा खेल खेलना शुरू कर दिया है मोदी सरकार ने. खबर आयी है कि सीबीआई के डीआईजी मनीष कुमार जिन्होंने अजित डोभाल और केंद्रीय मंत्री हरिभाई चौधरी के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं, सीबीआइ उनके खिलाफ ही विभागीय कार्रवाई करने पर विचार कर रही है। ऐसा हुआ तो प्रधानमंत्री की छवि पर बट्टा लगेगा। जनता उनसे उन्हीं के वादे को पूरा कराने की इच्छा रखती है।
इसलिए, आइए प्रधानमंत्री जी, अब जरा अपने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को, और अपने केंद्रीय मंत्री हरिभाई पार्थीभाई चौधरी को बर्खास्त करने की हिम्मत दिखाइए. इन दोनों के कारनामे सीबीआई के डीआईजी रैंक के एक अफसर सामने ले आए हैं. डीआईजी मनीष कुमार सिन्हा का कांग्रेस कनेक्शन मत खोजिए. यह कोई राजनीतिक आरोप नहीं है. बहुत गंभीर आरोप है. जरा हम भी तो देखें कि आपकी न खाऊंगा न खाने दूंगा वाली बात में कितनी सच्चाई है?
आरोप यह है कि अस्थाना के ख़िलाफ़ चल रही जाँच में डोभाल ने हस्तक्षेप किया. उन्होंने दो मौकों पर तलाशी रोकने को कहा.
सिन्हा का दावा है कि 20 अक्टूबर की दोपहर वे सीबीआई के डिप्टी एसपी देवेंद्र कुमार के ऑफिस और घर की तलाशी ले रहे थे। उस वक्त उनके पास सीबीआई निदेशक का फोन आया। सीबीआई निदेशक ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के निर्देश पर तलाशी रोकने को कहा। अजित डोभाल ने देवेंद्र कुमार की जांच में भी अड़ंगा लगाया।
सीबीआई के डीआईजी मनीष कुमार सिन्हा ने सर्वोच्च अदालत को बताया है कि विशेष निदेशक अस्थाना और नीरव मोदी से जुड़े पीएनबी बैंक घोटाले की जांच बेपटरी करने के लिए उनका ट्रांसफर नागपुर किया गया।
दरअसल इन आरोपों की कहानी सतीश सना तक जाती है। सतीश सना हैदराबाद का कारोबारी है जो सीबीआई के पूरे रिश्वतखोरी विवाद में व्हिसलब्लोअर है। सतीश सना से जब एक अखबार ने आईपीएस मनीष सिन्हा की याचिका में केंद्रीय मंत्री हरिभाई का जिक्र होने पर सवाल किया तो सना ने रिश्वत की रकम का खुलासा किया।
सना ने कहा कि सीबीआई अफसर सिन्हा ने अपनी याचिका में जो कहा है, वह बिल्कुल सही है। एक केस खत्म करने के लिए हरिभाई ने दो करोड़ रुपए की रिश्वत ली थी। सिन्हा ने यह भी दावा किया है कि सना ने मोइन कुरैशी मामले में केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) कमिश्नर केवी चौधरी से भी मुलाकात की। यह मीटिंग यूनियन लॉ सेक्रेटरी सुरेश चंदा ने 11 नवंबर को करायी।
याचिका में एमके सिन्हा ने कहा है, “मनोज प्रसाद (अस्थान मामले में गिरफ्तार बिचौलिया) के मुताबिक उसके पिता दिनेश्वर प्रसाद और जॉइंट सेक्रेटरी पद से रिटायर्ड सोमेश के अजित डोवाल (एनएसए) से अच्छे संबंध रहे हैं।” सिन्हा का कहना है कि जब मनोज को सीबीआई दफ्तर जांच के लिए लाया गया तब वह बुरी तरह बौखलाया हुआ था। वह हैरान था कि एनएसए डोभाल के साथ उसके अच्छे संबंध होने के बावजूद सीबीआई उसे कैसे उठा सकती है। याचिका में यह भी दावा किया गया है कि मनोज प्रसाद ने दावा किया है कि सोमेश और समंत गोयल ने अजित डोवाल के निजी और महत्वपूर्ण काम किए हैं।
सिन्हा ने सुप्रीम कोर्ट से तुरंत सुनवाई की मांग करते हुए कहा- ‘‘मेरे पास ऐसे दस्तावेज हैं, जो आपको चौंका देंगे।’’ अदालत ने तुरंत सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि हमें कोई चीज चौंका नहीं सकती।
वैसे मीलार्ड, आपको कोई चीज भले ही न चौकाती हो पर देश की जनता इन ‘न खाऊंगा न खाने दूँगा’ की बात करने वालों की असलियत देख कर चौक जाती है!
आर्थिक और राजनीतिक मामलों के विश्लेषक गिरीश मालवीय की एफबी वॉल से.