मोदी सरकार के राज में पत्रकारों के खिलाफ हिंसक घटनाएं बढ गई हैं। राज्य सरकारें भी पत्रकारों पर अंकुश लगाने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं। हों भी क्यों न केंद्र में अपनी सरकार और राज्य तो अपना है ही। ताजा उदाहरण बीजेपी शासित राज्य राजस्थान और छत्तीसगढ में देखने को मिल रहा है। लेकिन कुछ चाटुकार पत्रकार इसका विरोध करने के बजाए अभी भी मोदी धुन की बीन बजा रहे हैं। सच्ची पत्रकारिता के खिलाफ रहने वाले पत्रकारों की वाट लग रही है और चाटुकारिता करने वाले पत्रकारों को सम्मान दिया जा रहा है। ऐसे ही कुछ पत्रकारों के कारण मीडिया की छवि दिन ब दिन गिरती जा रही है।
अभी गुरूवार को एक ताजा घटना सामने आई जिसमें वरिष्ठ पत्रकार विनोद वर्मा को अरेस्ट कर लिया गया। विनोद वर्मा का कहना है कि उनके पास बीजेपी के एक मंत्री की अश्लील सीडी है जो सोशल मीडिया में भी है। इसके चक्कर में उनको अरेस्ट किया गया है। वहीं राजस्थान में तो वसुंधरा सरकार ने ब्यूरो रिपोर्टिंग ही खत्म कर दी। जो ब्यूरो पंचायत का बंदरबांट दिखाते थे वो अब खबर नहीं छाप सकते। जनता पत्रकारों से शिकायत करती है कि हमारे यहां ये समस्या हैं। लेकिन पत्रकार अब मजबूर हो गया है राजस्थान में सब कुछ गलत देखकर कुछ नहीं छाप सकता। क्योंकि उसे उसके लिए उसी विभाग के अधिकारी से परमिशन लेनी पडेगी, जिस विभाग के खिलाफ वह खबर छापना चाहता है। अंधेर नगरी में ऐसा बिल भी केवल कुछ चाटुकार पत्रकारों के चलते ही आया है।
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शैलेश दीक्षित
पत्रकार
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