Abhishek Srivastava : आज मैंने प्रधानजी का दिवाली मंगल मिलन वाला पूरा वीडियो तसल्लीबख्श देखा। एक नहीं, कई बार देखा। करीब पौन घंटे के वीडियो में कुछ जाने-माने लोग हैं, कुछ पहचाने हुए हैं जिनके नाम नहीं पता और अधिकतर अनजान हैं। दो-एक मित्र भी हैं संयोग से। उन्हें शायद न पता हो कि उनकी रेंगती हुई बेचैनी एएनआइ के कैमरों में कैद हो गई है। जो भ्रष्ट हैं, उनसे क्या गिला! जो धवल हैं, अपने किसिम के हैं, वे भी लटपटा रहे थे प्रधानजी के इर्द-गिर्द। ऐसा क्यों हुआ? क्या कोई मनोवैज्ञानिक दबाव था उनके ऊपर?
बुलाया गया है तो बेशक जाते, एक बार मिल भी लेते, लेकिन एक बार मिलने के बाद फ्रेम में लगातार कैद छटपटाहट किसलिए? कुछ लोग हंस तक नहीं पा रहे सहजता से। एक परिचित मैडम अमित शाह के सामने लटपटा रही थीं। जब वे इग्नोर कर के आगे बढ़ गए तो दांत चियार कर किसी को खोजने लगीं। एक सज्जन मौका निकालकर प्रधानजी के पैर छू लिए। प्रधानजी ने भाव नहीं दिया तो अंत तक उचकते रहे। प्रधानजी के गाड़ी में बैठने के बाद एक मिला किसी कैमरावाले से रिरिया रहा था कि भइया तुमने मेरी जो फोटो खींची है वो दे दो। उससे कुछ मिनट पहले ज़ी बिज़नेस पर उछलकूद करने वाला एक मध्यम कद का चम्पक जाने किस डील के चक्कर में पीयूष गोयल को पकड़कर किसी फाइलवाले से मिलवाने बाहर फांदते हुए आया था।
मुझे लगता है कि मीडिया मिलन समारोह के उस वीडियो का पर्याप्त फॉरेन्सिक परीक्षण जनता की प्रयोगशाला में होना अभी बाकी है। जो कोई मित्र वहां लार टपकाते चेहरों को पहचानते हों, वे गुज़ारिश है कि नाम सार्वजनिक करें। दिक्कत हो तो इनबॉक्स करें। विशेष आग्रह भाई Yashwant Singh और Vineet Kumar से है। 25 अक्टूबर, 2014 के समारोह की नामवाची मीमांसा बेहद आवश्यक है। मदद करें। लिंक दे रहा हूं…
लेखक अभिषेक श्रीवास्तव पत्रकार और सोशल एक्टिविस्ट हैं.
Bhadasi
October 29, 2014 at 7:04 pm
जिस मध्यम कद के चम्पक की बात कर रहे हैं.. वो बलबीर पुंज का भांजा और उसी ज़ी बिज़नेस का नया संपादक अमीश देवगुन है जिसके पुराने संपादक को 100 करोड़ की रिश्वत मांगते वक्त सीसीटीवी की नज़र लग गई थी। इस फुटेज को गौर से देखिए जैसे ही चंपादक महोदय को कैमरे की मौजूदगी का एहसास हुआ कितने शातिर तरीके से किसी को चुप रहने का इशारा भी किया गया।