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एनडीटीवी से हटाए जाने वाले मीडियाकर्मियों की संख्या 100 के पार हो गई

एक बड़े मीडिया संस्थान में मीडियाकर्मियों की छंटनी की जा रही है और पूरा मीडिया जगत चुप्पी साधे है. खासकर वो लोग भी जो दूसरों जगहों पर छंटनी या बंदी के सवालों पर मुखर होकर अपने यहां स्क्रीन काली कर प्राइम टाइम दिखाते थे. एनडीटीवी के लोग इस छंटनी के पक्ष में भांति भांति के तर्क दे रहे हैं लेकिन सवाल यही है कि क्या दूसरों को नसीहत देने वालों को अपना घर ठीक-दुरुस्त रखने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.

एक बड़े मीडिया संस्थान में मीडियाकर्मियों की छंटनी की जा रही है और पूरा मीडिया जगत चुप्पी साधे है. खासकर वो लोग भी जो दूसरों जगहों पर छंटनी या बंदी के सवालों पर मुखर होकर अपने यहां स्क्रीन काली कर प्राइम टाइम दिखाते थे. एनडीटीवी के लोग इस छंटनी के पक्ष में भांति भांति के तर्क दे रहे हैं लेकिन सवाल यही है कि क्या दूसरों को नसीहत देने वालों को अपना घर ठीक-दुरुस्त रखने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.

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सवाल और भी हैं…

क्या छंटनी ही एकमात्र रास्ता था.

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क्या सेलरी कटौती या फिर उन्हें नए कामों में लगाकर उनके परिवार की आर्थिक जरूरतों को पूरा नहीं किया जा सकता था.

क्या यह कहीं नियम बना हुआ है कि अपने घर की गंदगी / उपद्रव / छल / छंटनी / फ्राड / चीटिंग आदि पर बिलकुल बात नहीं करनी है और दुनिया भर के मामलों में मुंह फाड़ कर चिल्लाना है.

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एनडीटीवी के भीतरी सूत्र बताते हैं कि छंटनी से प्रभावित होने वालों की संख्या कुल सौ के पार जा चुकी है. ये छंटनी एनडीटीवी ग्रुप के अंग्रेजी और हिंदी समेत सभी न्यूज चैनलों से की गई है. दिल्ली और मुंबई आफिस को मिलाकर अब तक सौ लोग निकाले जा चुके हैं. एनडीटीवी के दिल्ली आफिस की बात करें तो यहां से कुल 35 इंजीनियर्स हटाए गए हैं. 25 कैमरापर्सन्स पर भी गाज गिरी है. 7 असिस्टेंट हटाए गए हैं. वीडियो एडिटर कुल छह हटाए गए हैं. एमसीआर से आठ लोगों की बलि ली गई है. दो ड्राइवरों को पैदल कर दिया गया है.

एनडीटीवी के मुंबई आफिस से खबर है कि 13 कैमरापर्सन्स प्रणय राय की छंटनी नीति की भेंट चढ़ाए गए हैं. यहां भी इंजीनियरों पर गाज गिरी है जिनकी संख्या तीन है. एक एंकर अनीश बेग को भी हटाए जाने की सूचना है. छंटनी और बर्खास्तगी के घटनाक्रम से ठीक एक रोज पहले हालात की नजाकत भांपकर 6 इंजीनियरों ने खुद ही जाब छोड़ दिया था. इस तरह सारे नंबर्स को जोड़ लें तो संख्या सौ के पार जा रही है.

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देखना है कि रवीश कुमार एनडीटीवी के इस कोहराम पर कब प्राइम टाइम करते हैं और दुनिया भर के मीडिया संस्थानों में छंटनी के ट्रेंड पर प्रकाश डालते हुए जनसंचार के अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय विद्वानों को उद्धृत करते हुए कब विषय विशेषज्ञों से बहस कर जनता की चेतना को जाग्रत करने का काम करते हैं ताकि जनता भी मीडिया की अर्थनीति और कूटनीति से दो-चार होकर मीडिया के प्रति अपने नजरिए सरोकार को रीडिफाइन कर सके.

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xxx

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0 Comments

  1. Uday

    July 28, 2017 at 2:48 am

    Ndtv ki jagah agar Zee news hota to ab tak hi tauba mach chuka hota .. itni sahanubhuti kyun hai bhai ..

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