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एनडीटीवी ने 70 कर्मचारियों को निकाला, रवीश कुमार ने चुप्पी साधी

हर मसले पर मुखर राय रखने वाले पत्रकार रवीश कुमार अपने संस्थान एनडीटीवी के घपलों-घोटालों और छंटनी पर चुप्पी साध जाते हैं. ताजी सूचना के मुताबिक एनडीटीवी ने अपने यहां से छह दर्जन से ज्यादा मीडियाकर्मियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है. इनमें से ज्यादातर तकनीकी कर्मी हैं. करीब 35 तो कैमरामैन ही हैं. बाकी टेक्निकल स्टाफ है. वे कैमरामैन में जो पहले एडिटोलियल टीम के सदस्य थे, अब एचआर ने उन्हें टेक्निकल स्टाफ में कर दिया है.

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हर मसले पर मुखर राय रखने वाले पत्रकार रवीश कुमार अपने संस्थान एनडीटीवी के घपलों-घोटालों और छंटनी पर चुप्पी साध जाते हैं. ताजी सूचना के मुताबिक एनडीटीवी ने अपने यहां से छह दर्जन से ज्यादा मीडियाकर्मियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है. इनमें से ज्यादातर तकनीकी कर्मी हैं. करीब 35 तो कैमरामैन ही हैं. बाकी टेक्निकल स्टाफ है. वे कैमरामैन में जो पहले एडिटोलियल टीम के सदस्य थे, अब एचआर ने उन्हें टेक्निकल स्टाफ में कर दिया है.

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ये सभी ग्रुप के अंग्रेजी हिंदी व अन्य चैनलों में काम करते थे. संपादकीय विभाग के अन्य लोगों पर भी गाज गिर सकती है. सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे हैं क्या रवीश कुमार भी इस छंटनी के मसले पर कुछ बोलेंगे… क्या वे इस मामले में मुंह खोलेंगे. उल्लेखनीय है कि सीबीआई रेड पड़ने पर एनडीटीवी के पक्ष में तमाम बुद्धिजीवी खड़े हो गए थे. अब एनडीटीवी से 70 लोग निकाले गए हैं तो इनके परिवारों के पक्ष में कोई दो लाइन लिखने के लिए आगे आने वाला नहीं है.

आउटलुक मैगज़ीन की रिपोर्ट के अनुसार एनडीटीवी प्रबंधन ने अपने यहां से 70 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। ज्ञात हो कि पिछले कुछ दिनों से एनडीटीवी ने MoJo यानि मोबाइल जर्नलिज्म शुरू किया है. इसके बाद ही माना जा रहा था कि कैमरामैन निकाल दिए जाएंगे. मोजो जर्नलिज्म के प्रयोग के बाद अब रिपोर्टर के साथ कैमरामैन नहीं जाता है. रिपोर्टर खुद मोबाइल से वीडियो बनाता है. एनडीटीवी भी कहता है कि वह मोजो यानी मोबाइल बेस जर्नलिज्म की ओर बढ़ रहा है.

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इस छंटनी को लेकर फेसबुक पर आई कुछ प्रतिक्रियाएं इस प्रकार हैं :

राजीव राय : एनडीटीवी से तकरीबन 60 लोगों को बाहर निकाल दिया गया है. उम्मीद है Ravish Kumar जी! इसपर भी कोई ब्लॉग या पोस्ट लिखेंगे और अपने साथी पत्रकारों के लिए ठीक वैसे ही आवाज़ बुलंद करेंगे जैसे अपने मालिक प्रणाॅय राॅय के लिए किया था.
Mayank Saxena : 6 महीने पहले ही जब एनडीटीवी ने अपने रिपोर्टर्स को मोबाइल दे कर उससे स्टोरी और लाइव करने को कहा था…तभी मुझे लग गया था कि छंटनियां होने वाली हैं…कैमरापर्सन्स ही सबसे ज़्यादा होंगे, मेरे हिसाब से इन 70 लोगों में…
Rajat Amarnath : NDTV ने सफेद हाथियों की सैलरी कम करने की जगह अपने करीब100 लोगों को बाहर का रास्ता दिखाने का फैसला किया है (ज्यादातर टैक्निकल स्टाफ है). इस मौके पर एक प्राइम टाईम तो बनता है- “जुबां पे सच,दिल में इंडिया… NDTV इंडिया”
Ajay Prakash : एनडीटीवी ने की 70 कर्मचारियों की छंटनी… देखना होगा कि कौन से नेता और बुद्धिजीवी बाहर किये जाने वाले लोगों के समर्थन में आकर जंतर—मंतर पर प्रदर्शन करते हैं.

इस बीच, एनडीटीवी समूह ने एक बयान जारी कर कहा है- ‘दुनियाभर के अन्य न्यूज ब्रॉडकास्टर की तरह एनडीटीवी भी मोबाइल जर्नलिज्म पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपने न्यूज रूम और रिसोर्सेज का पुनर्गठन कर रही है। एनडीटीवी ने हमेशा प्रारंभिक स्तर पर ही नई टेक्नोलॉजी को ग्रहण किया है और हम (एनडीटीवी) देश का पहला नेटवर्क है, जिसने मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर खबरों को शूट करने के लिए अपने पत्रकारों को प्रशिक्षित किया है। यह सिर्फ कॉस्ट-कटिंग नहीं है, बल्कि यह निश्चित रूप से हमारे लिए किसी भी अन्य बिजनेस की तरह या यूं कहें कि ऑपरेशंस का महत्वपूर्ण फैक्टर है।”

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0 Comments

  1. आशीष सागर

    July 26, 2017 at 4:16 am

    जो लोग मीडिया की दुनिया से अनजान हैं उनके लिए विशेष जानकारी।
    हमारे देश में न्यूज चैनल्स को information नहीं बल्कि infotainment यानि information + entertainment (सूचना + मनोरंजन) का लाइसेंस मिलता है। इसलिए न्यूज चैनल्स को सीरियसली लेने के बजाय entertainment यानि मनोरंजन चैनल की तरह ही देखें। यकीन मानिए आपको एकता कपूर / कपिल शर्मा के सीरियल्स से ज्यादा मजा आएगा और पत्रकारिता के नैतिक पतन पर अफसोस भी नहीं होगा !

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