इस पोस्ट में चैनल और इससे जुड़े लोगों के नाम पहचान को मिटा दिया गया है. इसके पीछे वजह है कि जो जो पीड़ित रहे हैं या हैं, वे खुलकर अपने नाम पहचान के साथ सामने नहीं आना चाहते. हालांकि घटनाक्रम सब सही है लेकिन शोषण सहने वाले अगर चुप रहेंगे तो शोषण का दायरा बढ़ता जाएगा. जब शोषित लोग ही अपने नाम पहचान के साथ सामने आकर अपनी बात कहने की हिम्मत नहीं कर सकते तो उनकी लड़ाई कौन लड़ने आएगा. उम्मीद करते हैं कि इस पोस्ट के प्रकाशन के बाद चैनल का पीड़ित कोई शख्स जरूर अपने नाम पहचान के साथ सामने आकर अपने साथ हुए घटनाक्रम का खुलासा करेगा.
-यशवंत (एडिटर, भड़ास4मीडिया)
पंजाब के एक जिले से एक नेशनल न्यूज चैनल का संचालन किया जाता है। यह चैनल इन दिनों अपने कारनामों के लिए सुर्खियों में है। यह एक ऐसा नेशनल न्यूज़ चैनल है जहां पर कनिष्ठ कर्मचारियों से लेकर संपादकों तक से बदतर बर्ताव किया जाता है। हालात ये है कि जो पत्रकार समाज में बुराइयों को उजागर करते हुए लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ की भूमिका निभाते हैं, वही पत्रकार इस संस्थान में भय के माहौल में काम करते हुए यहां की कारगुज़ारियों को सह रहे हैं। हर वक्त ये भय बना रहता है कि कब उन्हे बिना किसी सूचना के बेइज्जत कर नौकरी से निकाल दिया जाए। यहां तक कि MD और अधिकारियों द्वारा कर्मियों के साथ हिंसा करने से भी परहेज नहीं किया जाता। हम ऐसा क्यों कह रहे हैं चलिए आपको बताते हैं…
1- चैनल में कर्मचारियों की गलती होने पर ना सिर्फ वेतन में भारी कटौती की जाती है, बल्कि न्यूज़ रूम में ही सार्वजनिक तौर पर अपमानित किया जाता है। यहां तक कि कर्मचारियों का सफाई देना यहां अपराध की श्रेणी में माना जाता है।
2- संस्थान में महिला कर्मचारियों की दशा तो और भी दयनीय है। वैसे तो महिला कर्मचारियों के साथ पेशेवर रिश्ते रखने चाहिए लेकिन इस न्यूज़ चैनल में एंकर हेड से लेकर MD तक महिला कर्मियों के निजी जीवन में जबरन दखलंदाजी करते हैं। विरोध करने पर उनको बदनाम करने के लिए उनके खिलाफ भ्रामक और तथ्यहीन प्रचार किया जाता है।
3- चैनल की एक युवा महिला एंकर पर एंकर हेड ने दबाव बनाया कि वो उसके साथ ही किराए के मकान में रहे। महिला एंकर द्वारा मना किए जाने पर एंकर हेड ने उसका मानसिक शोषण करना शुरू कर दिया। उसे रोज़ इतना प्रताड़ित किया गया कि मज़बूरी में आकर उसे नौकरी छोड़नी पड़ी। महिला कर्मचारियों का चरित्र हनन करने वाला यही एंकर हैड खुद एक अन्य महिला एंकर के साथ लिव इन में रहता है।
4- इस न्यूज़ चैनल की स्थापना के साथ ही काम कर रहीं वरिष्ठ संपादकीय सलाहकार के साथ भी बदसलूकी की हदें पार कर दी गईं। पहले तो संपादकीय सलाहकार को एंकर हेड द्वारा राजनीति का शिकार बनाया गया। कई महीनों तक संपादकीय सलाहकार सब कुछ सहती रहीं। लेकिन जब पानी सर से उपर निकल गया तब तंग आकर उन्होंने भी संस्थान से अलग होने का फैसला कर लिया। इतने पर भी चैनल के प्रबंधन को संतुष्टि नहीं हुई तो संपादकीय सलाहकार का अंतिम वेतन रोक कर परेशान किया गया। जब उन्होंने बकाए वेतन की मांग की, तो मालिक के इशारे पर उनके साथ बदसलूकी की गई। संस्थान द्वारा दी गई गाड़ी से उनका सामान बाहर फेंक दिया गया और सिक्योरिटी गार्डस ने उनके साथ धक्का-मुक्की की। हालात इतने बिगड़ गए कि संपादकीय सलाहकार को पुलिस बुलानी पड़ी। इसके बाद पुलिस ने बीच बचाव करते हुए बकाए वेतन का भुगतान करवाया और अपने संरक्षण में संपादकीय सलाहकार को घर तक भिजवाया।
5- इस न्यूज़ चैनल के संपादक रहे एक शख्स को भी राजनीति का शिकार होना पड़ा। इस राजनीति की पूरी रचना यहां के एंकर हेड द्वारा रची गई। इसके बाद संपादक को भी संस्थान से इस्तीफा देना पड़ा।
6- संस्थान के बुरे माहौल से तंग आकर MCR के एक कर्मी ने जब इस्तीफा दिया तो ये मालिक को इतना नागवार गुज़रा कि उसके घर पर गुंडे भेजे गए। एमसीआर कर्मी ने पूरी घटना की सीसीटीवी फुटेज पुलिस को सौंपकर चैनल मालिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। लेकिन वो इतना डर गया कि उसको शहर छोड़ कर जाना पड़ा। ऐसा ही कारनामा आउटपुट में बतौर असिस्टेंट प्रोड्यूसर काम कर रहे एक शख्स के साथ भी हुआ। इस शख्स को भी एंकर हेड द्वारा परेशान किया जा रहा था। बीमारी के दौरान भी असिस्टेंट प्रोड्यूसर से 12 घंटे काम करने का दबाव बनाया गया। इसके बाद में असिस्टेंट प्रोड्यूसर ने मजबूर होकर इस्तीफा दे दिया। इसे मालिक ने अपनी शान में गुस्ताखी समझा और अपने चैंबर में असिस्टेंट प्रोड्यूसर को थप्पड़ जड़ दिया।
7- संस्थान के एक वरिष्ठ एंकर /प्रोड्यूसर भी ऐसी परिस्थितियों से गुजर रहे थे। इसके बाद उन्होंने भी संस्थान छोड़ने का फैसला किया। इसकी जानकारी जब प्रबन्धन को दी गई तो इनका अंतिम वेतन रोक दिया गया।
8- इस चैनल के मालिक को चमचा गिरी और मस्का बाज़ी इतनी प्रिय है कि इसके चलते वो नालायक और नाकाबिल लोगों को भी संस्थान में शीर्ष पद पर आसीन किए हुए हैं। इन लोगों में मस्के बाज़ी में महारत हासिल कर चुके एंकर हेड विशेष रूप से शामिल है। चैनल में मालिक इससे इतना अधिक प्रभावित है कि इसे एंकर हैड से लेकर आउटपुट हैड, एडिटिंग हैड और पीसीआर हैड तक बना रखा है। जबकि इतने महत्वपूर्ण पदों की ज़िम्मेदारी निभाने वाले इस शख्स का पत्रकरिता में न्यूनतम अनुभव भी नहीं है। वो इस चैनल से पहले सिर्फ एंटरटेनमेंट एंकर के तौर पर ही काम करता था और यहां इस अनुभवहीन इंसान को एडिटोरियल का सर्वे सर्वा बना दिया गया।
9- यही वजह है कि इस चैनल में एंकर हेड खुद को खुदा समझने लगा है और कर्मचारियों पर अपनी धौंस जमाता है। हाल ही में इसका एक नमूना देखने को तब मिला जब एक फोनो को लेकर एंकर हेड ने इनपुट हैड के साथ गाली गलौज की। जब इनपुट हेड ने इसका प्रतिकार किया तो न्यूज़ रूम में सरेआम एंकर हेड ने इनपुट हेड पर हाथ छोड़ दिया। इतना ही नहीं एंकर हेड के करीबी माने जाने वाले राजनीतिक संपादक ने भी इनपुट हैड के साथ हाथापाई की। जब मामला थाने पहुंचा तो एंकर हेड ने लिव इन में रहने वाली अपनी महिला एंकर साथी के साथ मिलकर इनपुट हेड के खिलाफ छेड़छाड़ का झूठा मामला दर्ज करा दिया। आपको हैरानी होगी ये जानकर कि इतना सब होने के बावजूद चैनल प्रबंधन ने चाटुकार एंकर हेड के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि उल्टा इनपुट हैड के साथ ही दो अन्य कर्मचारियों को भी नौकरी से निकाल दिया गया।
10- इन सभी घटनाओं को जानने के बाद कोई भी ये समझ सकता है कि चैनल में कर्मचारी कितनी विपरीत परिस्थितियों में काम कर रहे हैं, जहां उनकी कोई सुनवाई नहीं होती है। पिछले तीन महीनों में एंकर हेड के कारनामों से तंग आकर लगभग 50 प्रतिशत कर्मचारी चैनल छोड़ चुके हैं, जिसमें कई प्रोड्यूसर और एंकर शामिल हैं। यही कारण है कि कई और कर्मचारी भी यहां से मुक्ति चाहते हैं। लेकिन, उन पर जबरन काम करने का दबाव बनाया जा रहा है और चैनल के हालात जानने के बाद कोई नया कर्मचारी यहां आने को तैयार नहीं है। ऐसे में आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि जल्द ही एंकर हेड और चैनल मालिक मिलकर इस चैनल में ताला लगवाने का कारनामा भी कर गुज़रें।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
Comments on “इस न्यूज़ चैनल में मालिक और संपादक करते हैं पत्रकारों की पिटाई!”
भाई इतना डरोगे तो पत्रकारिता कैसे करोगे??कैसे किसी को इंसाफ दिलवायोगे,जब अपनी ही आवाज़ नहीं उठा पा रहे। इस पोस्ट का क्या फायदा जब आपने किसी का नाम ही नहीं लिखा??अपना नाम नहीं लिखते कोई बात नहीं,चैनल का नाम ही लिख देते, या पंजाब के किस जिले में है ये चैनल ये ही लिख देते?? या किसी निकाले गए, छोड़े गए कर्मचारियों का ही नाम लिख देते।अरे भाई कोई तो क्लू देते,वरना इस पोस्ट का क्या मतलब?? क्या पंजाब में केवल एक ही चैनल है??कैसे और पत्रकार इस चैनल से सावधान रहेंगे?? आप क्या पत्रकारिता करेंगे,आप तो खुद डरपोक हो। वैसे भी ऐसी पत्रकारिता का क्या फायदा जो अपने और अपने परिवार का जीवनयापन करने के पैसे न दे सके??क्या दुनिया में कोई और धंधा नहीं बचा पत्रकारिता के अलावा?? आप खुद भी पत्रकारिता में अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं और अपनी फैमिली को भी मजबूर कर रहे हैं तमाम मुश्किलें सहने के लिए । पत्रकारिता से बेकार आज कोई नौकरी नहीं जहां न खुद रोटी मिलती है ना परिवार को सुख दे सकते है। आप इतना डरते हैं और कहते हैं पत्रकारिता करते हैं। बुरा लगा तो माफी लेकिन सत्य लिखने की आदत से मजबूर हूँ।
प्रणाम यशवंत सर,
आपके द्वारा इतना सबकुछ जानने को मिलता है, इसके हम शुक्रगुजार है। मीडिया में फैली गंदगी को देखकर लोग फिर भी इसमें कदम रखना चाहते है। मैंने भी काफी करीब से एक प्रादेशिक सैटेलाइट न्यूज़ चैनल में बतौर ट्रेनी चंद महीनों तक कार्य किया है। जिसमें मैंने महसूस किया कि महिलाओं को लेकर संस्थान और उनके कर्मचारियों का रवैया बहुत ठीक नहीं रहता है।