Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

असिस्टेंट प्रोफेसर-प्रिंट मीडिया की नियुक्ति में मनमानी पर मंत्रालय ने किया जवाब तलब

भड़ास पर छपी खबर का असर : राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान नई दिल्ली नई में गत 25 जून को हुए सहायक आचार्य प्रिंट मीडिया के चयन में मनमानी पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने यहां के निदेशक से जवाब तलब किया है। इस पद के लिए इंटरनल कैंडिडेट को विशेष लाभ देते हुए उसे स्क्रीनिंग एवं चयन सूची में प्रथम स्थान पर रखने एवं नियुक्ति सूची में प्रथम रैंक पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव ने स्पष्टीकरण मांगा है। इस पद के लिए पहले से ही संभावना जताई जा रही है कि संस्थान के निदेशक ने निजी लाभ के लिए ऐसे अभ्यर्थी का चयन कराया है जो ओबीसी श्रेणी की अर्हता पूरी नहीं करता है और उसकी शैक्षिक योग्यता भी संदिग्ध है।

भड़ास पर छपी खबर का असर : राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान नई दिल्ली नई में गत 25 जून को हुए सहायक आचार्य प्रिंट मीडिया के चयन में मनमानी पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने यहां के निदेशक से जवाब तलब किया है। इस पद के लिए इंटरनल कैंडिडेट को विशेष लाभ देते हुए उसे स्क्रीनिंग एवं चयन सूची में प्रथम स्थान पर रखने एवं नियुक्ति सूची में प्रथम रैंक पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव ने स्पष्टीकरण मांगा है। इस पद के लिए पहले से ही संभावना जताई जा रही है कि संस्थान के निदेशक ने निजी लाभ के लिए ऐसे अभ्यर्थी का चयन कराया है जो ओबीसी श्रेणी की अर्हता पूरी नहीं करता है और उसकी शैक्षिक योग्यता भी संदिग्ध है।

बताया गया है कि विभाग के रिकार्ड में दर्ज दस्तावेजों में इस अभ्यर्थी की नियुक्ति सामान्य अभ्यर्थी के रूप में हुई है। इस संस्थान में नियुक्ति से पहले भी अन्य संस्थानों में भी इसका चयन सामान्य अभ्यर्थी के रूप में किया गया है। ऐसे में इस पद विशेष के लिए जिन फर्जी दस्तावेजों का प्रयोग कर इस पद को हथियाने में किया जा रहा है उसकी विभागीय स्तर पर भी कोई जांच नहीं हुई। संस्थान सबकुछ जानते हुए भी अनजान बना रहा। अन्य पिछडा वर्ग के पद के लिए संस्थान के सामान्य जाति के अभ्यर्थी को स्क्रीनिंग में पहला स्थान दिया गया। स्क्रीनिंग में क्रीमी-लेयर के नियम को भी दर किनार कर दिया गया। यूजीसी द्वारा सहायक आचार्य के लिए घोषित परास्नातक स्तर पर 55 प्रतिशत के नियमों की तो धज्जियां उड र्गइं। 

Advertisement. Scroll to continue reading.

दरअसल सहायक आचार्य प्रिंट मीडिया का यह पद ओबीसी अभ्यर्थी के लिए आरक्षित है, लेकिन संस्थान में कार्यरत एक कर्मचारी को लाभ पहुंचाने के लिए स्क्रीनिंग से ही व्यापक धांधली की गई और साक्षात्कार के लिए आमंत्रित अभ्यर्थियों की सूची में इसे प्रथम स्थान दिया गया। संस्थान के सूत्रों की मानें तो अधोषित रूप से चयनित इस अभ्यर्थी के लिए निदेशक ने सिलेक्शन कमेटी पर दबाव बनाया गया। निदेशक द्वारा सभी सदस्यों को इसी अभ्यर्थी के चयन के लिए कहा गया। सूत्र यह भी बताते है कि जिसका चयन कर लिया गया है उसकी पीएचडी संस्थान में स्थायी रूप से कार्यरत रहकर हुई है। इसने संस्थान प्रशासन के अनुमति के बेगैर डाक्टेट उपाधि पूरी है जो भारत सरकार के नियमों के विपरीत है।

इस प्रकार की तमाम आपत्ति पर निदेशक अपने कुछ अधीनस्थों के साथ इस अभ्यर्थी का सीधा बचाव करने पर लगे हुए हैं। जहां पर पद सृजन में नियमों में शिथिलता की बात आती है तो वह इसे खुली नियुक्ति की संज्ञा देकर बचाते हैं और लाभ के समय में इसे विभागीय मानकर सर्वोच्च साबित करने लगते है। गौरतलब है कि चयनित अभ्यर्थियों को अंग्रेजी का विशेष अधिभार दिया गया है। जबकि हकीकत यह है कि चयन में आए अन्य अभ्यर्भी द्विभाषीय एवं अंग्रजी विधिवत शिक्षा प्राप्त किये हुए है। 

Advertisement. Scroll to continue reading.

सिलेक्शन कमेटी को निदेशक ने अन्य अभ्यर्थियों को अंग्रेजी में कमजोर बताया। निदेशक के दबाव में साक्षात्कार के लिए सिलेक्शन कमेटी के सदस्यों ने इस बात का नोट भी लगाया है। इसके विपरीत संस्थान की वेबसाइट पर हिन्दी में उत्तर देने के लिए प्रेरित करने का विधिवत सर्कुलर जारी किया गया है जिसमें हिन्दी में उत्तर देने का स्वागत किया गया है। चयन में हिन्दी भाषा की अवहेलना के विरोध में भी अभ्यर्थी केंद्रीय राजभाषा विभाग एवं गृह मंत्रालय को पत्र लिखे जा रहे है। फिलहाल अन्य अभ्यर्थियों की आपत्तियों के बाद जब मामला केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सम्मुख पहुंच गया। लेकिन निदेशक महोदय के दबाव में हुई इस गलत नियुक्ति को सही साबित करने में लगे हुए हैं। 

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने नियुक्ति संबंधित फाइल पर बाकायदा सभी आपत्तियों के निस्तारण की हिदायत देदी है। निदेशक अपने चेले के चक्कर में सरकार, मंत्रालय एवं संस्थान की भद पिटाने में लगे हुए हैं। मामला केवल असिस्टेंट प्रोफेसर प्रिंट मीडिया का ही नहीं अन्य विभागों में सहायक आचार्य की नियुक्ति की प्रक्रिया भी नियमों को अनदेखा कर चयन कर लिया गया। इसके विरोध में भी निदेशक एवं केंद्रीय मंत्रालय में दर्जनों आपत्तियां पहुंचाई जा चुकी है। 

Advertisement. Scroll to continue reading.

एक केंद्रीय मंत्रालय कर्मी से मिले पत्र पर आधारित

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement