Bimal Kumar Yadav-
विवादित बयान। जनसंख्या नियंत्रण और उसमें महिलाओं की शिक्षा के महत्व को नितीश कुमार ने इतने सहज सरल शब्दों में समझा दिया, जैसा इस देश के तमाम सूतिया आज तक न समझ पाये, न समझा पायेंगे। अब इसमें भला नितीश कुमार का क्या दोष? चरित्रहीनों, अपना चरित्र सुधारो। समाजवादी ऐसे ही होते हैं।
सवर्ण मीडिया विवादों का ऐसा लती है कि इस नशे से उसे मुक्ति तभी मिलेगी जब वह ख़ुद का नाश कर लेगा। लोग इन्हें देखें सुनें, इसके लिए इन्हें हमेशा बात का बतंगड बनाना होता है। लालू प्रसाद यादव ने सवर्ण मीडिया की कमज़ोर नस सबसे पहले पकड़ी थी और फिर अपने कट्टर विरोधी को ही अपने मक़सद में खूब इस्तेमाल किया। सवर्ण मीडिया लालू को डिसक्रेडिट करने के लिए बार-बार हारबार ऊँटपटाँग बताता रहा और लालू एक रुपया खर्च किए बग़ैर अपनी बात पब्लिक तक पहुँचाते रहे।
ऊँटपाटाँग बयान नहीं, उनकी व्याख्याएँ हैं। पिछड़ी जाति के नेताओं के बयानों की ऊँटपाटाँग व्याख्या करना सवर्ण मीडिया का शग़ल है। और तो और इन्होंने राहुल को भी नहीं बख्शा। सिर्फ़ इसलिए क्योंकि राहुल और सोनिया ने यूपीए एक और दो के दौरान कॉंग्रेस को दलितों पिछड़ों की तरक़्क़ी में समर्पित कर दिया।
इण्डिया गठबंधन के नेताओं को हाल फ़िलहाल अखिलेश यादव और नितीश कुमार के ‘विवादित’ बयानों से सबक़ लेते हुए विवादित बयान देते रहना चाहिए। सवर्ण मीडिया आपकी बातों को ख़ुद ही जन जन तक पहुँचता रहेगा।
नितीश कुमार को अप्रासंगिक बताने वाली भाजपा और सवर्ण मीडिया आज ख़ुद चारों खाने चित्त है। नितीश तेजस्वी की जोड़ी ने जाति जनगणना, ऐतिहासिक नियुक्तियाँ और अब आरक्षण को पचहत्तर प्रतिशत बढ़ा कर ऐसा चरखा दाँव चला है कि भाजपा सहित देश के सारे सामन्तियों को हुरहुरी चढ़ गई है। हर कोई अब ओबीसी और जाति जनगणना का नारा लगा रहा है।
मोदी मैजिक की हवा निकालने वाला इण्डिया गठबंधन, सरकार बनाने के बाद अभी बहुत कुछ ऐसा करने वाला है जिससे भारत सचमुच में दुनिया की महाशक्ति बनने की तरफ़ बढ़ चलेगा। कल्पना किजीए कि हाशिये पर रखी गई देश की बहुसंख्य आबादी जैसे-जैसे सशक्त होती जाएगी, वो इस देश को कितना समृद्ध बनाएगी।