Nitin Thakur : भला हो SBI का.. जो आज 63 कंपनियों के कर्ज़ माफ कर दिए. अब इस खबर के बाद आपको समझने में आसानी होगी कि क्यों नोटबंदी की व्यवस्था ही नहीं बल्कि उसके पीछे की नीयत में भी खोट है. बैंकों के पास कर्ज़ डुबो देनेवाले पूंजीपति मालिकों को फिर से देने को पैसा नहीं है. बस इसीलिए आपकी छोटी बचत को इकट्ठा करके उन्हें आसान ब्याज़ पर हजारों करोड़ देने की तैयारी है. जब तक इकट्ठा होते हैं आप कृपया व्रत करके घंटों लाइन में खड़े रहें. इत्मीनान से रहिए.. राष्ट्र निर्माण हो रहा है. और हां.. कर्ज माफी पानेवालों में वो भगौड़ा माल्या भी है.
Utkarsh Sinha : ताजा समाचार ये है कि बैंको में इतना रूपया आ गया कि उनकी समस्या ख़त्म हो गयी और वे फिर से दिलदार हो गए…. 😉 आप लाईन में रहिये ..दोस्त एश करेंगे… भारतीय स्टेट बैंक अर्थात एस.बी.आई. ने शराब कारोबारी विजय माल्या से हार मान ली है और माल्या समेत 63 कर्जदारों के करीब 7000 करोड़ रुपए के लोन को डूबा हुआ मान लिया है। एस.बी.आई. का मानना है कि माल्या उसका लोन चूकाने की स्थिति में नहीं है, इसलिए बैंक ने माल्या के लोन को डूबा हुआ मान लिया है। रिपोर्ट के अनुसार स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने 63 डिफाल्टरों का पूरा कर्ज छोड़ दिया है। वहीं 31 कर्जदारों का लोन आंशिक तौर पर छोड़ा गया है। छह अन्य कर्जदारों पर बकाया लोन को नॉन पर्फॉर्मिंग एसेट (एन.पी.ए.) घोषित कर दिया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक एस.बी.आई. जब बकाया लोन वसूल करने में विफल रही तो उसने शीर्ष 100 डिफाल्टरों में से 60 से अधिक पर बकाया 7016 करोड़ रुपए का लोन माफ करने का फैसला कर लिया है। जिन डिफॉल्टरों पर कर्ज छोड़ा गया है,वह इस प्रकार हैं- किंगफिशर एयरलाइंस (1201 करोड़), के.एस. ऑयल (596 करोड़), सूर्या फार्मास्यूटिकल (526 करोड़), जी.ई.टी. पावर (400 करोड़) और साई इंफो सिस्टम (376 करोड़)। हालांकि बैंक का कहना है कि यह एक कॉमर्शियल निर्णय है और इसका मोदी सरकार के नोटबंदी से कोई संबंध नहीं है।
पत्रकार उत्कर्ष सिन्हा और नितिन ठाकुर की एफबी वॉल से.