‘आउटलुक’ के मालिक, संपादक, स्पेशल करेस्पांडेंट हाईकोर्ट में तलब

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गाज़ियाबाद पीएफ स्कैम मामले में आउटलुक पत्रिका द्वारा प्रकाशित लेख में ज्यूडिशरी को करप्ट कहे जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वकील मनोज श्रीवास्तव की क्रिमिनल कंटेम्प्ट की अर्जी को मंजूर करते हुए पत्रिका से जुड़े कई लोगों को नोटिस जारी कर सभी को व्यक्तिगत तौर पर अदालत में तलब कर लिया है। 

जस्टिस अरविन्द कुमार त्रिपाठी और जस्टिस प्रमोद कुमार श्रीवास्तव की डिवीजन बेंच ने इस मामले को बेहद महत्वपूर्ण मानते हुए वकील मनोज श्रीवास्तव की अर्जी को सुओ मोटो यानी स्वतः संज्ञान में तब्दील कर आगे की सुनवाई करने का फैसला किया है। अदालत ने 10 नवम्बर 2008 को आउटलुक पत्रिका में गाजियाबाद पीएम स्कैम पर छपे लेख की सब हेडिंग करप्ट ज्यूडिशियरी शब्द इस्तेमाल किये जाने पर कड़ा रुख अपनाते हुए पत्रिका के एग्जीक्यूटिव एडिटर बिश्वदीप मोइत्रा, स्पेशल करेस्पांडेंट चंद्राणी बनर्जी और पब्लिशर महेश्वर पेरी को नोटिस जारी कर इन्हे छह जुलाई को अदालत में पेश होकर अपना पक्ष रखने को कहा है। 

इसी साल फरवरी महीने में मौत हो जाने की वजह से पत्रिका के चीफ एडिटर विनोद मेहता का नाम विपक्षी पार्टियों से हटा दिया गया है। अदालत ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को इस मामले में हाईकोर्ट की तरफ से पक्ष रखने से स्पेशल काउंसिल नियुक्त किये जाने का आदेश दिया है। इससे पहले जस्टिस अमर सरन व जस्टिस विक्रम नाम की डिवीजन बेंच भी इस मामले को रेयर मानते हुए एडवोकेट जनरल की मंजूरी के बिना ही क्रिमिनल कंटेम्प्ट के लिए पर्याप्त आधार बताकर अर्जी को मंजूर करते हुए सुनवाई करते हुए 27 मई 2009 को अपना जजमेंट रिजर्व कर चुकी है। जस्टिस अमर सरन के रिटायर हो जाने के बाद यह मामला अब नई बेंच में सुना जा रहा है। अदालत ने अपने फैसले में इसे मामले को सुओ मोटो केस में तब्दील कर अगली तारीखों से याचिकाकर्ता वकील मनोज श्रीवास्तव का नाम हटाने का भी आदेश जारी किया है। 

पत्रिका में छपे लेख की हेडिंग पर एतराज जताते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के ही वकील मनोज श्रीवास्तव ने कुछ दिनों बाद ही हाईकोर्ट में क्रिमिनल कंटेम्प्ट की अर्जी दाखिल कर ज़िम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किये जाने की अपील की थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि अदालत में लंबित एक गाजियाबाद पीएफ स्कैम के सिर्फ मैटर के बहाने करप्ट ज्यूडिशियरी हेडिंग का इस्तेमाल कर समूची न्यायपालिका को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की गई है, इसलिए इस मामले में ज़िम्मेदार लोगों को आपराधिक अवमानना का दोषी मानकर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। 

इलाहाबाद के स्वतंत्र पत्रकार विपिन गुप्ता से संपर्क : vipiald@gmail.com

 



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