Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

राजस्थान पत्रिका के भ्रामक और भड़काऊ संपादकीय के खिलाफ सामाजिक संगठन HRD ने की पुलिस में रिपोर्ट

जयपुर। राजस्थान पत्रिका के 30 मर्इ, 2015 के जयपुर संस्करण के सम्पादकीय में आरक्षण के बारे में भ्रामक और भड़ाकाने वाला सम्पादकीय लिखकर प्रकाशित करने पर हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन के राष्ट्रीय प्रमुख डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ने राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रूपचन्द मीणा के साथ पुलिस थाना मोती डूंगरी, जयपुर में उपस्थित होकर लिखित रिपोर्ट पेश की है और राजस्थान पत्रिका के विरुद्ध आपराधिक और देशद्रोह का अभियोजन चलाने एवं राजस्थान पत्रिका के प्रकाशन पर प्रतिबन्ध लगाने की मांग की है।

<p>जयपुर। राजस्थान पत्रिका के 30 मर्इ, 2015 के जयपुर संस्करण के सम्पादकीय में आरक्षण के बारे में भ्रामक और भड़ाकाने वाला सम्पादकीय लिखकर प्रकाशित करने पर हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन के राष्ट्रीय प्रमुख डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ने राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रूपचन्द मीणा के साथ पुलिस थाना मोती डूंगरी, जयपुर में उपस्थित होकर लिखित रिपोर्ट पेश की है और राजस्थान पत्रिका के विरुद्ध आपराधिक और देशद्रोह का अभियोजन चलाने एवं राजस्थान पत्रिका के प्रकाशन पर प्रतिबन्ध लगाने की मांग की है।</p>

जयपुर। राजस्थान पत्रिका के 30 मर्इ, 2015 के जयपुर संस्करण के सम्पादकीय में आरक्षण के बारे में भ्रामक और भड़ाकाने वाला सम्पादकीय लिखकर प्रकाशित करने पर हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन के राष्ट्रीय प्रमुख डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ने राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रूपचन्द मीणा के साथ पुलिस थाना मोती डूंगरी, जयपुर में उपस्थित होकर लिखित रिपोर्ट पेश की है और राजस्थान पत्रिका के विरुद्ध आपराधिक और देशद्रोह का अभियोजन चलाने एवं राजस्थान पत्रिका के प्रकाशन पर प्रतिबन्ध लगाने की मांग की है।

रिपोर्ट में लिखा है कि पुलिस को अवगत करवाया जाता है कि आज 30 मर्इ, 2015 के राजस्थान पत्रिका, जयपुर, शनिवार, के सम्पादकीय में निम्न असत्य, मूल अधिकार एवं संविधान विरोधी, आरक्षित वर्गों के विरुद्ध अनारक्षित वर्गों को भड़काने वाली और संविधान सभा एवं संविधान में आस्था रखने वालों का अपमान करने वाली समाग्री प्रकाशित की गयी है। सम्पादकीय में लिखी गयी आप़त्तिजनक पंक्तियों और उनके बारे में डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ने संवैधानिक वास्तविकता को दर्शाते हुए रिपोर्ट में लिखा गया है कि-

Advertisement. Scroll to continue reading.

सम्पादकीय पहली आपत्तिजनक पंक्ति-

‘‘..एक तरफ हम नौरियों में दस साल के लिए लागू किए गए आरक्षण को हर दस साल बाद बढाते जा रहे हैं…’’

Advertisement. Scroll to continue reading.

इसके बारे में डॉ. मीणा ने रिपोर्ट में लिखा है कि-जबकि वास्तविकता यह है कि अजा एवं अजजा वर्गों के लिये सरकारी नौकरियों में प्रारम्भ से ही जो आरक्षण लागू उसके बारे में संविधान में दस साल का कोर्इ उल्लेख ही नहीं है, बल्कि कड़वी संवैधानिक सच्चार्इ यह है कि अजा एवं अजजा के लिये सरकारी नौकरियों में लागू आरक्षण संविधान के अनुच्छेद-16 (4) के अनुसार प्रारम्भ से स्थायी संवैधानिक व्यवस्था है। जिसे आज तक कभी भी नहीं बढाया गया है।

सम्पादकीय दूसरी आपत्तिजनक पंक्ति-

Advertisement. Scroll to continue reading.

‘‘…आरक्षण हमेशा गरीबों के उत्थान के नाम पर दिया जाता है लेकिन उसका लाभ उठाते हैं सम्पन्न।’’

इसके बारे में डॉ. मीणा ने रिपोर्ट में लिखा है कि-जबकि वास्तविकता यह है कि अजा एवं अजजा वर्गों को प्रदान किया गया आरक्षण सामाजिक एवं शैक्षणिक पिछड़ेपन के आधार पर प्रदान किया गया है, न कि आर्थिक आधार पर। जिसका मकसद गरीबों का उत्थान नहीं, बल्कि अजा एवं अजजा वर्गों को राज्य के अधीन प्रशासन में पर्याप्त प्रतिनिधित्व प्रदान करना है। सुप्रीम कोर्ट भी इस तथ्य की अनेक बार पुष्टि कर चुका है कि अजा एवं अजजा के आरक्षण का आधार सामाजिक एवं शैक्षिक पिछड़ापन है, न कि आर्थिक पिछड़ापन।

Advertisement. Scroll to continue reading.

सम्पादकीय तीसरी आपत्तिजनक पंक्ति-

‘‘…राजनेताओं ने नौकरियों में तो आरक्षण दिया ही, संसद और विधानसभाओं में भी आरक्षण दे डाला।…’’

Advertisement. Scroll to continue reading.

इसके बारे में डॉ. मीणा ने रिपोर्ट में लिखा है कि-जबकि वास्तविकता यह है कि अजा एवं अजजा वर्गों को संसद और विधानसभाओं में आरक्षण राजनेताओं ने नहीं दिया, बल्कि संविधान सभा ने मूल संविधान के अनुच्छेद-334 में पहले दिन से प्रदान किया हुआ है।

सम्पादकीय चौथी आपत्तिजनक पंक्ति-

Advertisement. Scroll to continue reading.

‘‘…ये सब देखकर देश की जनता भले शर्मसार होती है लेकिन राजनेता हैं कि उन्हें हर हाल में सत्ता सुख चाहये।’’

इसके बारे में डॉ. मीणा ने रिपोर्ट में लिखा है कि-जबकि वास्तविकता यह है कि अजा एवं अजजा वर्गों को सरकारी शिक्षण संस्थानों, सरकारी नौकरियों और संसद और विधानसभाओं में जो आरक्षण प्रदान किया गया है, वह देश की जनता की ओर से ही मूल संविधान में प्रदान किया गया है। क्योंकि संविधान के पहले पृष्ठ, अर्थात् प्रस्तावना की पहली पंक्ति में ही लिखा है कि-
‘‘हम भारत के लोग……संविधान को अंगीकृत,
अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।’’
अर्थात् देश की समस्त जनता के द्वारा जो संविधान स्वीकृत किया गया, उसी के लिये जनता को शर्मसार होने की बात लिखना सीधे-सीेधे जनता को अजा एवं अजजा के विरुद्ध भड़काना और संविधान सभा का अपमान करना सम्पादकीय का दुराशय है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

सम्पादकीय पांचवीं आपत्तिजनक पंक्ति-

‘‘…यह खेल यूं ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब देश में दो वर्ग आमने-सामने होंगे और वो भी खुलकर। मंडल आयोग की सिफारिशों के खिलाफ 1990 के आरक्षण विरोधी उग्र आंदोलन को लोग अभी भूले नहीं हैं।…’’

Advertisement. Scroll to continue reading.

इसके बारे में डॉ. मीणा ने रिपोर्ट में लिखा है कि- सम्पादकीय की उपरोक्त पंक्ति में जिन बातों के चलते रहने का उल्लेख किया गया है, वे सब संविधान की मूल भावना और संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा हैं, जिनको लागू और क्रियान्वित करना प्रत्येक लोकतान्त्रिक सरकार का संवैधानिक दायित्व है, लेकिन इसके उपरान्त भी, बनावटी, असत्य, असंवैधानिक एवं निराधार बातों को संवैधानिक बतलाकर सम्पादकीय में जानबूझकर अनारक्षित लोगों को आरक्षित वर्गों के विरुद्ध भड़काने वाली आपराधिक भाषा का उल्लेख किया गया है।

उपरोक्त आपत्तियों का उल्लेख करने के साथ हक रक्षक दल सामाजिक संगठन के राष्ट्रीय प्रमुख डॉ. पुरुषोत्तम मीणा की ओर से पेश की गयी रिपोर्ट में आगे लिखा है कि इस प्रकार उक्त सम्पादकीय की उक्त पंक्तियॉं सीधे -सीधे अजा एवं अजजा के विरुद्ध खुला अपराध व राष्ट्र के विरुद्ध राजद्रोह हैं, यही नहीं यह देश की कानून और व्यवस्था के विरुद्ध आम लोगों को उकसाने और भड़काने वाली आपराधिक भाषा हैं और इसमें संविधान सभा द्वारा निर्मित संविधान के मौलिक प्रावधानों के खिलाफ आम लोगोंं को भ्रमित करके संविधान का अपमान करने के लिये आम लोगों को उकसाने वाली भाषा का उपयोग किया गया है। जिससे अजा, अजजा एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों तथा संविधान में आस्था रखने वाले करोड़ों लोगों की भावनाएँ आहत हुर्इ हैं। इस प्रकार राजस्थान पत्रिका का उपरोक्त सम्पादकीय आपराधिक कृत्य एवं राजद्रोह से कम नहीं है। अत: आग्रह है कि नियमानुसार राजस्थान पत्रिका के जिन-जिन भी संस्करणों में उक्त सम्पादकीय प्रकाशित हुआ है, उनके प्रकाशकों, मुद्रकों एवं सम्पादकों के विरुद्ध तत्काल सख्त विधिक कार्यवाही कर, सभी को दण्डित करने हेतु अभियोजित किया जावे और इस प्रकार के अपराधी एवं देशद्रोही समाचार-पत्र के प्रकाशन को तत्काल प्रतिबन्धित किये जाने की कार्यवाही की जावे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

यहां यह उल्लेखनीय है कि 28 मर्इ, 2015 के एचआरडी न्यूज लैटर में हक रक्षक दल सामाजिक संगठन के राष्ट्रीय प्रमुख डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ने इस बात का खुलाशा किया था कि सरकारी शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में अजा एवं अजजा को प्रदान किया गया आरक्षण संविधान  में सथायी व्यवस्था है, जिसे हर दस वर्ष बाद बढाने के बारे में भ्रामक प्रचार किया जाता रहा है। इसके दो दिन बाद ही राजस्थान के सबसे बड़े कहलाने वाले समाचार-पत्र में इस संविधान विरोधी और आरक्षण तथा सभी आरक्षित वर्गों के विरुद्ध जहर उगलने वाला सम्पादकीय लिखा जाना अत्यन्त चिन्ता का विषय है। जिसकी कड़े शब्दों में भ्रर्त्सना की जाती है और हक रक्षक दल सामाजिक संगठन ऐसे विषयों पर चुप नहीं रहने वाला है, लेकिन ऐसे विषयों पर आरक्षित वर्गों का सक्रिय सहयोग जरूरी चाहिये।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement