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पिता की तेरहवीं में छुट्टी लेकर गए फोटो जर्नलिस्ट की चार दिन की तनख्वाह काट ली

राजस्थान पत्रिका समूह में उत्पीड़न और प्रताड़ना की ढेर सारी कहानियां सामने आती रही हैं. एक ताजे घटनाक्रम के मुताबिक पत्रिका ग्वालियर के फोटो जर्नलिस्ट शशि भूषण पाण्डेय अपने पिता की तरेहवीं में हिस्सा लेने के लिए अवकाश पर गए थे. जब वे लौटकर आए तो पता चला उनका अवकाश मंजूर नहीं किया गया है और उनके वेतन से चार दिन की सेलरी काट ली गई है. इससे आहत पांडेय ने प्रबंधन को पत्र लिखकर न्याय करने की गुहार की है.

<p>राजस्थान पत्रिका समूह में उत्पीड़न और प्रताड़ना की ढेर सारी कहानियां सामने आती रही हैं. एक ताजे घटनाक्रम के मुताबिक पत्रिका ग्वालियर के फोटो जर्नलिस्ट शशि भूषण पाण्डेय अपने पिता की तरेहवीं में हिस्सा लेने के लिए अवकाश पर गए थे. जब वे लौटकर आए तो पता चला उनका अवकाश मंजूर नहीं किया गया है और उनके वेतन से चार दिन की सेलरी काट ली गई है. इससे आहत पांडेय ने प्रबंधन को पत्र लिखकर न्याय करने की गुहार की है.</p>

राजस्थान पत्रिका समूह में उत्पीड़न और प्रताड़ना की ढेर सारी कहानियां सामने आती रही हैं. एक ताजे घटनाक्रम के मुताबिक पत्रिका ग्वालियर के फोटो जर्नलिस्ट शशि भूषण पाण्डेय अपने पिता की तरेहवीं में हिस्सा लेने के लिए अवकाश पर गए थे. जब वे लौटकर आए तो पता चला उनका अवकाश मंजूर नहीं किया गया है और उनके वेतन से चार दिन की सेलरी काट ली गई है. इससे आहत पांडेय ने प्रबंधन को पत्र लिखकर न्याय करने की गुहार की है.

सूत्रों के मुताबिक पिता जी की तेरहवीं पर अवकाश पर जाने की नियमानुसार सूचना पत्र के जरिए फोटो जर्नलिस्ट शशि भूषण पांडेय ने अपने इंचार्ज नीरज सिरोहिया को और वरिष्ठों को दी थी. इसके बाद वे अवकाश पर चले गए क्योंकि जाना जरूरी था. अवकाश से लौटने के बाद उन्हें 4 दिन की कम सेलरी दी गयी. उन्हें बताया गया कि बिना मंजूरी के अवकाश पर जाने की वजह से सेलरी काटी गयी है. क्या कोई कल्पना कर सकता है कि किसी के पिता की तेरहवीं हो और वह लिखित में छुट्टी की अप्लीकेशन देकर जाए और वह छुट्टी एसेप्ट न हो. इसी को कहते हैं ताकत के नशे में होने पर आंखों पर घमंड और पाप की पट्टी चढ़ जाती है और सब कुछ उलटा दिखने लगता है.

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0 Comments

  1. विवेक शमा

    January 15, 2016 at 9:41 am

    भाई इस में पत्रिका बडे अधिकारियों की कोई गलती नहीं हैं हकीकत यह हैं की आफिस के अंदर राज्यनिती इतनी अधिक हैं की हर एक आदमी दूसरे को ठिकाने लगाने में लगा हैं इस आफिस में वही काम कर सकता है जो पैर छूना जानता हैं पाण्डे जी आप की तो सब तन्खा कटी हैं कोई बात नहीं कुछ की तो बिना बताए नोकरी ही चली गई फिर पत्रिका में तो आपके भाई संपादक हैं तुमें कायका डर मिल जाएगी

  2. Santosh Kumar pandey

    January 16, 2016 at 2:46 am

    पीत पत्रकारो में आप की भी समाज गिनती करता है जो हुआ ओ बेहतर है अभी वक़्त है अपनी नैतिकता को जगाओ और राष्ट्र भक्त बनकर काम करो एवम् पेटपत्रक लोगो से दूर रहे ।

  3. Betu

    January 18, 2016 at 1:15 pm

    Very shameful incident seriosly ..this is shame for newspaper patrika who have to face this bad condition i really support mr. Shashi bhushan this is the time to be with him and his family ,not to play politics with him ……..i advice patika officials go to the parliament to play politics ..but pls dont spoil the image of a newspaper because a newspaper is mirror of society problems

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