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कोर्ट में भास्कर प्रबंधन को मिली करारी हार, मीडियाकर्मी के हक में आया फैसला, नौकरी बहाल करने के आदेश

दैनिक भास्कर लुधियाना से सूचना आ रही है कि यहां के एक सीनियर डिजाइनर के हक में इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल कोर्ट ने फैसला दिया है. फैसले में कहा गया है कि डिजायनर की नौकरी बहाल की जाए और इतनी देर से हैरसमेंट के एवज में हर्जाना भी अदा किया जाए। सूचना के अनुसार लुधियाना के एक सीनियर डिजाइनर को डिजाइनिंग हेड सुरजीत दादा ने रंजिश के कारण बिना किसी वजह ऑफिस में उसकी एंट्री बंद करा दी थी।

दैनिक भास्कर लुधियाना से सूचना आ रही है कि यहां के एक सीनियर डिजाइनर के हक में इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल कोर्ट ने फैसला दिया है. फैसले में कहा गया है कि डिजायनर की नौकरी बहाल की जाए और इतनी देर से हैरसमेंट के एवज में हर्जाना भी अदा किया जाए। सूचना के अनुसार लुधियाना के एक सीनियर डिजाइनर को डिजाइनिंग हेड सुरजीत दादा ने रंजिश के कारण बिना किसी वजह ऑफिस में उसकी एंट्री बंद करा दी थी।

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इसके खिलाफ डिजाइनर ने केस दायर किया था। इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल ने भास्कर प्रबंधन को नोटिस भेजा। अब जाकर फैसला मीडियाकर्मी के हक में आया है। जब यह मामला शुरू हुआ था तो पीड़ित डिजाइनर ने सभी अधिकारियों को अपने साथ हो रही ज्यादती के बारे में बताया था, लेकिन किसी ने कोई सुनवाई नहीं की। डिजायनर का नाम प्रीतपाल सिंह संधू है। लेबर कोर्ट में चली पूरी कार्रवाई में भास्कर मैनेजमेंट की तरफ से कोई नहीं आया। डिजायनर प्रीतपाल सिंह संधू ने अपने केस के लिए अपने पक्ष में सारे कागजात और सुबूत कोर्ट को मुहैया कराए। इस आधार पर कोर्ट ने प्रीतपाल की नौकरी बहाल किए जाने और मुआवजा देने का आदेश दिया।

दैनिक भास्कर लुधियाना के एक सीनियर डिजाइनर सुरजीत दादा के कारण कई बार भास्कर मैनेजमेंट बदनाम हुआ है लेकिन वह जाने किन वजहों से भास्कर में बने हुए हैं। सुरजीत पर यह आरोप भी लगातार लगते रहे हैं कि उन्होंने दैनिक भास्कर में भाई भतीजावाद को बढ़ावा दिया। सुरजीत के अंडर में ही उनके छोटे भाई भी काम कर रहे हैं। उनके विभाग में काम करने वाले कई दूसरे कर्मचारी भी उनके रिश्तेदार हैं। पहले जब यह बात उठी थी तो भास्कर के लोकल मैनेजमेंट ने सुरजीत को बचाने के लिए उनके भाइयों की बदली दूसरी यूनिटों में कर दी थी। कहा जाता है कि सुरजीत ने अपने भाइयों को भास्कर में ज्यादा सेलरी पर ज्वॉइन करवाकर यहीं पर काम सिखाया।

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फैसले की कापी देखने पढ़ने के लिए अगले पेज पर जाने हेतु नीचे क्लिक करें…

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