दिल्ली के राजधानी कॉलेज में कैपेक्स मॉडल के तहत सौर ऊर्जा पैनल लगाने का ठेका रद्द कर दिया गया है. ये ठेका 60 लाख रुपये का निकाला गया था. आपको बता दें कि ओपेक्स मॉडल में, जहाँ कंपनियाँ अपने निवेश से पैनल लगा कर देती हैं और पचीस साल तक रख रखाव भी करती हैं, की जगह कैपेक्स मॉडल, जिसमें राजधानी कॉलेज का साठ लाख रुपया लगता, ठेके की निविदा जारी कर दी गई थी.
इसका विरोध करते हुए वरिष्ठ पत्रकार और राजधानी कालेज गवर्निंग बॉडी के मेंबर प्रसून शुक्ला ने दिल्ली विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर और गवर्निंग बॉडी चेयरमैन को ईमेल किया.
प्रसून ने अपने मेल में कालेज में चल रही तमाम आराजकता की पोल खोली थी. इतना ही नहीं, 18 दिसंबर को जारी टेंडर नोटिस को वेबसाइट के मुख्य पेज की जगह आर्काइव में डाल दिया गया ताकि अन्य कंपनियों की नज़र नहीं पड़े और पहले से तय की गई कंपनी को ही काम मिले.
प्रसून शुक्ला ने 18 दिसंबर 2018 को ही देर रात इसकी शिकायत करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय कुलपति को ईमेल लिखा. सूत्रों की माने तो मामले का संज्ञान लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी सफाई मांगी थी.
वहीं सारे मामले को अपने पर लेते हुए राजधानी कालेज के चेयरमैन हरजीत सिंह ने प्रसून शुक्ला को लीगल नोटिस भिजवाया. इसके बाद घपले की खबर को भड़ास पर प्रमुखता से छापा गया. खबर छपने के बाद राजधानी कालेज के प्रशासन को अपना फैसला पलटना पड़ा. वहीं नोटिस का जवाब प्रसून शुक्ला ने देते हुए इंक्वायरी कमेटी की मांग दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति से की है.
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