पिता आये. बोले- बेटा आप को मैं आज से इस राज्य का राजा नियुक्त करता हूँ ………
पुत्र बोला :- पिताजी जैसी आपकी आज्ञा !!!
थोडी देर बाद पिता फिर आये, बोले- बेटे, मैं आप से किया हुआ वचन निभा नही पाऊंगा, आपको राज्य नही मिलेगा, आपको वन जाना है ………
पुत्र बोला पिताजी जैसी आपकी आज्ञा !!!!
ना पिता से लड़े …….. ना भाईयों से लड़ें …….. जबकी वो सबसे बड़े थे तो न्यायतः राजसत्ता उन्हीं की थी ………
ऐसा भी नहीं था कि लड़ना नहीं जानते थे, शक्ति और शौर्य नहीं था.
सुग्रीव के लिये लड़े …….. राजा उसी को बनाया ………
रावण को मारा, राजा विभीषिण को बनाया ……..
सोने की लंका भी उनको मोह नहीं पायी ……..
हम यही लोग थे ……. हम भूल गये हैं …… यही राम होना होता है ………. आइये अपने अन्दर के राम को जगाएं ………
राम नवमी की हार्दिक शुभकामनायें
जय श्री राम !!!
जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये..
राजा रामचंद्र की जय
साभार- सोशल मीडिया