दिल्ली : आईसीएमआर की बलात्कार पीड़ित छात्रा अपने समर्थकों के साथ गत दिवस जब एम्स के डायरेक्टर डॉ.ऍम.सी मिश्र से मिलने पहुंचीं तो ऑफिस के कर्मचारियों ने उनसे पहले बदतमीज़ी की। मना करने पर हमलावर हो गए। कर्मचारियों और एम्स के चार-पांच छात्रों ने उनसे गाली-गलौज के बाद साने वाली बिल्डिंग से दो-ढाई सौ छात्रों को और लेकर उन पर हमला कर दिया। महिला प्रदर्शनकारियों को भी नहीं बख्शा। सबकी मार पिटाई की। दो महिला प्रदर्शनकारियों के कपड़े फाड़ दिए। कुछ के हाथ में सर्जरिकल ब्लेड मार दिए तो कुछ को लाठियों से पीटा।
रेप पीड़िता ने बताया कि 8 महीने पहले एम्स के मेडिसीन लैब के मनोज कुमार और छात्र डॉ. सरमन सिंह, जो मूलतः श्यामपुर, आदापुर, बिहार का रहने वाला है, ने उसके साथ बलात्कार किया था। इस घटना की एफआईआर संख्या 947/14 थाना हौजखास, न्यू दिल्ली में दर्ज़ है! पीड़िता ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट की विशाखा गाइड लाइन्स और 2013 लॉ का हवाला देते हुए एम्स प्रबंधन को समय से अवगत कराय दिया था कि जहां ऐसी घटना हो, उस संस्था को तीन महीने के अन्दर एक अंतरिम कमेटी गठित कर इस तरह के मामले की छानबीन करनी होती है लेकिन 8 महीने बीतने के बावजूद कोई कमेटी गठित क्यों नहीं की गई? इसी का जवाब मांगने गत 6 अप्रैल को भी छात्र पीड़िता के साथ एम्स प्रबंधन से मिलने पहुंचे तो कहा गया था कि 9 अप्रैल तक इस मामले को देख लिया जाएगा।
कथित निर्धारित तिथि बीत जाने के बावजूद जब एम्स प्रबंधन ने ऐसा कुछ नहीं किया तो फरियादी दोबारा 10 अप्रैल को शांति पूर्ण तरीके से धरना-प्रदर्शन करने के लिए एम्स मेट्रो स्टेशन पहुंच गए। थोड़ी देर बाद पीड़िता अपने कुछ दोस्तों के साथ एम्स डायरेक्टर से मिलने पहुंचीं तो ऑफिस के लोगों ने उन सभी से बदतमीज़ी से बात करते हुए मिलने से मना कर दिया। जब वे वापस जाने लगे, तभी एम्स के 4-5 छात्र आकर उनके साथ गाली-गलौज करते हुए पीड़िता को बदचलन, वेश्या आदि कहने लगे।
जब प्रदर्शनकारी ने उन्हें ऐसा बोलने से मना करते हुए धीरे धीरे वापस लौटने लगे तो साने वाली बिल्डिंग से दो-ढाई सौ छात्र और आ धमके और उन पर हमला कर दिया। महिला प्रदर्शनकारियों को भी नहीं बख्शा। सबकी मार-पिटाई शुरू कर दी। दो महिला प्रदर्शनकारियों के कपड़े भी फाड़ दिए। हमलावरों ने कई लोगों के हाथ में सर्जरिकल ब्लेड भी मार दिए। कुछ की लाठी से पिटायी कर दी। प्रदर्शनकारी वहां से अपनी जान बचा कर भागे। उनमें से पांच महिला प्रदर्शनकारी औए दो पुरुष प्रदर्शनकारी अपनी जान बचाने के लिए पुलिस की गाड़ी में घुस गए तो एम्स के छात्रों ने पुलिस के साथ लड़ाई झगड़ा करते हुए पीड़िता समर्थक एक साथी को घसीटते हुए गाड़ी से खींच कर दोबारा पीटा। उसकी शर्ट फाड़ दी। पीटते हुए एम्स डायरेक्टर के ऑफिस के अन्दर ले गए।
बाकी लोगों को पुलिस हौजखास थाने लेकर चली गई । जब बाकी दूसरे प्रदर्शनकारी एम्स के छात्रों के खिलाफ एफआईआर दर्ज़ करवाने थाने गए तो पुलिस वालों ने 4-5 घंटे तक उनकी बात नहीं सुनी। वहां के एसपी निशांत गुप्ता ने महिला प्रदर्शनकारियों के साथ गाली-गलौज की और वेश्या तक कहा। इसके बाद जब वे एफआईआर लिखवाने की जिद करने लगे तो उन्होंने काफी देर बाद उनका कंप्लेंट लैटर तो ले लिया लेकन रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई।
थोड़ी देर बाद उन्होंने थाने में बैठे प्रदर्शनकारियों को ही उल्टे गिरफ्तार कर उनके ही खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर दी। जिस प्रदर्शनकारी को एम्स के छात्र पीटते हुए डायरेक्टर ऑफिस में घसीट ले गए थे, पुलिस उसे रात में थाने ले आई और उसे एक दूसरे प्रदर्शनकारी के साथ रात भर थाने में बैठाए रखा। अगले दिन 11 अप्रैल को उसे साकेत कोर्ट में पेश कर तिहाड़ जेल भेज दिया।
पीड़ित संपर्क ईमेल : [email protected]