Sanjay Vohra-
चला गया हैट का शौक़ीन … अलविदा संदीप ठाकुर …!
बात नब्बे के दशक के शुरूआती दौर की है . दिल्ली में क्राइम रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों में काफी ऐसे थे जिनकी शादी नयी नयी हुई थी या होने वाली थी. उनमें से 10 -11 की ऐसी ही एक टोली तब नव भारत टाइम्स में कार्यरत किशोर कुमार मालवीय की बारात का हिस्सा बनने के लिए पटना जाने को रवाना हुई. सिर्फ एक शख्स ऐसा था जो इनसे उम्र में भी और पेशे में थोडा अलग था. वह थे रवि पवार. दिल्ली पुलिस के पीआरओ. सबके लिए बड़े भाई सरीखे. मिलनसार. हालांकि कुछ अरसा पहले वह भी इस संसार को त्याग गए.
गर्मी भीषण थी. शायद मई का महीना. दोपहर बाद की ट्रेन थी जो करीबन 4-5 बजे के आसपास नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से छूटी. स्लीपर क्लास में सफ़र शुरू हुआ. तय हुआ कि अपने कूपे में जश्न अंधेरा हो जाने के बाद ही शुरू होगा. वैसा ही हुआ. अब अलीगढ पीछे छूट चुका था.
इस बीच मित्र संदीप ठाकुर के बारे में एक बात महसूस की. भाई लगभग हरेक स्टेशन पर , ट्रेन रुकने पर , उतर जाया करता था. हालांकि कुछ इसमें अटपटा नहीं था . ट्रेन के सफर में टाँगे और कमर सीधी करने के लिए कई लोग ऐसा करते हैं. थोड़ा माहौल भी बदल जाता है . खैर मस्ती का माहौल चल रहा था. सुरूर में चुटकले बाज़ी से लेकर अपराध जगत की खबरनवीसी की और सत्य कथाओं से लेकर पुलिसिया कहानियां तक सुनी और सुनाई जा रहीं थीं.
एकाध ने झपकी भी लेनी शुरू कर दी. अपनी आँख अचानक खुली. तडके तीन बजे के आसपास का वक्त रहा होगा शायद . ट्रेन कानपुर पहुँच चुकी थी. पूरी टोली मदमस्त सो रही थी. अपन को कुछ खास खबर देखनी थी. इस गरज से स्टेशन पर अपना अखबार दैनिक जागरण खरीदने के लिए उतरना हुआ. लौटने पर देखा कि प्लेटफ़ॉर्म पर मित्र संदीप ठाकुर टहल रहे हैं. फिर वहां टोंटी या हैंड पम्प से पानी पीने लगे. इस बीच ट्रेन फिर चली जो संदीप ने आसानी से लपक ली.
पानी तो ट्रेन में अपने पास भी था. फिर इतनी रात को सोते समय उठकर बाहर प्लेटफ़ॉर्म पर आकर पानी पीने की क्या ज़रूरत थी. अब यह मज़ाक है या सच लेकिन संदीप ने कहा कि वह हर स्टेशन पर पानी इस लिए पीते हैं ताकि जगह जगह के पानी का फर्क महसूस कर सकें. अपन ने तब मज़ाक में कहा ‘ मतलब घाट घाट का पानी ‘ की जगह अब कहा जाएगा ‘स्टेशन स्टेशन का पानी.’ संदीप ठाकुर तब दैनिक हिन्दुस्तान अखबार में थे.
यह किस्सा कभी नहीं भूलता. खासतौर पर जब भी कभी ट्रेन का सफर हो या संदीप ठाकुर की घुमक्कड़ी का ख्याल आए. पिछली दफा अपन कश्मीर में थे. संदीप का वहां आना हुआ था लेकिन मुलाकात का सबब नहीं बन सका था. इसी साल जनवरी में प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में जब मुलाक़ात हुई तब पत्रकार मित्र नौशाद अली Naushad Ali ने एक सेल्फी में हम कुछ मित्रों को कैद किया था. यह तस्वीर तभी की है . इसके बाद अपन कश्मीर चले गए और संदीप शायद आस्ट्रेलिया. लौटकर मुलकात हुई ही नहीं.
साल के ज्यादातर महीनों में शर्ट के ऊपरी तीन बटन खुले हुए , थोड़ी सर्दी है तो गले में मफलर और सिर पर हैट (HAT)- संदीप ठाकुर Sandip Thakur की शख्सियत में तीन यह बातें ख़ास रहीं. मैंने अपने मित्रों या जान पहचान वालों में हैट का इतना मुरीद कोई शख्स संदीप के अलावा तो नहीं देखा .
अब संदीप ठाकुर अपने बीच नहीं हैं. आज सुबह सुबह किसी ने मैसंजर पर मैसेज डाला था. यकीं ही नहीं हो रहा था . अभी एक दिन पहले ही तो संदीप ने नई एयर लाइन्स ‘ आकासा ‘ के जहाज़ में सवारी करते वक्त #fbpost पर वीडियो डाला था. कल ही यह संसार त्याग दिया. उनकी बेटी से विवरण जानकर हैरानी और हुई.
संदीप तीन दिन के लिए मुम्बई गए थे . वहां बेटी के साथ सोमवार की सुबह सैर करके लौटे . कुछ देर बाद वहीं पर दिल का दौरा पड़ा. क्या अजीब इत्तेफाक है. हृदय आघात के बाद सीपीआर दिया गया. होश भी आ गया और उठ खड़े हुए. बेटी से बात भी की. फिर एम्बुलेंस से अस्पताल ले जाया जा रहा था कि एक और दौरा पड़ा जो प्राण लेवा साबित हुआ. सोमवार शाम यानि 30 अक्तूबर 2023 को संदीप ठाकुर दिल्ली के निगम बोध घाट पर पंचतत्व में विलीन हुए.
Pushp Ranjan-
मिलने का वादा पूरा नहीं किया मेरे दोस्त ने. मंगलवार शाम साढ़े सात का वक़्त रहा होगा. प्राइम टाइम डिबेट की प्री-प्रोडक्शन क्वालिटी मैं देख रहा था. तभी राजपाल राजे का फोन आया, ” संदीप ठाकुर का सुना तुमने ?”
नहीं. कुछ ख़ास क्या? मेरा जवाब सुनते ही राजे ने बस यही कहा, “नहीं रहा हम सबों का अज़ीज दोस्त. मुंबई में शायद हार्ट अटैक ….” मेरे सामने शून्य और सन्नाटे के सिवा कुछ नहीं था. ” रात को बात करता हूँ.” बस इतना ही कह पाया राजपाल राजे को.
16 अक्टूबर को मैंने निठारी के मुजरिम को छोड़े जाने वाले डिबेट से संदीप ठाकुर को जोड़ा था. मेरे लिए अब वह आख़िरी विज़ुअल है. आवाज़ में वही चिर-परिचित खनक. एक दिन छोड़कर लगभग रोज़ हम बात करते थे. गुरुवार को संदीप ने NBT वाले रणजीत कुमार का नंबर शेयर किया था.
संदीप ठाकुर सिडनी रहते किसी मीडिया प्रोडक्शन ग्रुप से जॉइंट वेंचर की बात कर आये थे. वादा किया था कि अगले हफ़्ते आता हूँ, TV6 ऑफिस, तभी डिटेल बात होगी, ब्लूप्रिंट रखेंगे. पांच साल साथ थे हम दिल्ली दैनिक हिंदुस्तान में. दैनिक हिंदुस्तान में क्राइम रिपोर्टिंग का सलामी बल्लेबाज़ था संदीप ठाकुर.
यों, मैंने पहले से तय कर रखा था कि हमारे समय का बेस्ट क्राइम रिपोर्टर कुछ ऐसा धमाल मचाएगा, जिसमें इस तरह के शो को धांसू बनाने की समस्त संभावना थी. मगर, नियति बहुत क्रूर और अप्रत्याशित होती है.
गुज़िश्ता महीने ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के ट्रैक पर सीना ताने दौड़ लगाता जांबाज़, माचो सा दिखने वाला शख्स एक झटके में चला जाये, मेरे लिए अकल्पनीय, अविश्वसनीय था.
डिबेट में शामिल संदीप ठाकुर का आख़िरी विज़ुअल –