माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल (मप्र) में रीडर के रूप कार्यरत संजय द्विवेदी और पवित्र श्रीवास्तव की नियुक्ति को रद्द कर दिया गया है. दोनों को सीएएस (कैरियर एडवांसमेंट स्कीम) में प्रोफेसर के पद पर पदोन्नत किया गया था और संजय द्विवेदी को कुछ समय के लिए भोपाल में उसी विश्वविद्यालय के कुलपति का प्रभार भी सौंपा गया था. रीडर के रूप में उनकी मूल नियुक्ति 15 साल की सेवा के बाद रद्द कर दी गई है. पवित्र श्रीवास्तव के साथ भी यही मामला है.
इसके अलावा कम्प्लेन में डिग्री और अनुभव का जिक्र करते हुए कहा गया है कि, “यह प्रस्तुत किया गया है कि निजी प्रतिवादी संख्या 6 (संजय द्विवेदी) का उल्लेख किया गया है 1 मई, 1998 से नव भारत, मुंबई में उप संपादक के रूप में अनुभव के बारे में 30 मई, 2001 लेकिन उन्होंने केवल नियुक्ति आदेश ही प्रस्तुत किया है. पुष्टिकरण आदेश दिनांक 1 मई, 1998 और कोई अनुभव प्रस्तुत नहीं किया गया है. नवभारत में मई, 1998 से 30 मई, 2001 तक काम करने का प्रमाण पत्र, मुंबई और यदि इस अवधि को छोड़ दिया जाए तो उसके बारे में नहीं कहा जा सकता. यदि अनुभव की गणना की जाए तो वास्तविक अनुभव के दस वर्ष पूरे कर लिए गए हैं. स्नातकोत्तर की न्यूनतम निर्धारित योग्यता प्राप्त करने की तिथि पत्रकारिता एवं जनसंचार जो तब 21 दिसंबर 1996 को प्राप्त हुआ था. 21 दिसंबर 1996 से शुरू होकर नव भारत, मुंबई की अवधि को छोड़कर, वह दस साल का अनुभव पूरा नहीं होगा.”
इस आधार पर उच्च न्यायालय ने पाया है कि चयन समिति के गठन के मानदंडों का विश्वविद्यालय के अधिनियम के अनुसार पालन नहीं किया गया था और जनसंचार और जनसंपर्क और विज्ञापन विभाग के प्रमुख को चयन समिति/साक्षात्कार पैनल में शामिल नहीं किया गया था जो अनिवार्य था. जिसके बाद 25 अप्रैल 2024 को माननीय मप्र उच्च न्यायालय जबलपुर ने दोनों की नियुक्ति रद्द कर दी.
देखें आदेश…