गोरखपुर : 2 सालों से फरार चल रहे भ्रष्ट आई पी एस मणिलाल पाटीदार पर एक लाख का इनाम था लेकिन यू पी पुलिस पाटीदार को पकड़ नहीं पाई थी। पाटीदार को लगभग छह महीने जेल में रहने के बाद सिर्फ इसलिए जमानत मिल गयी क्योंकि यू पी पुलिस तय समय सीमा पर कोर्ट में अपनी चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई।
यूँ तो तमाम ऐसी बड़ी घटनाएं हैं जिसका खुलासा करने में गोरखपुर पुलिस भी नाकाम रही है या फिर जानबूझकर उनका खुलासा नहीं किया गया है। कुछ दिनों पहले गोरखपुर के शाहपुर थाना क्षेत्र में बदमाशों ने 24 घंटे के अंदर ही ताबड़तोड़ छिनैती की वारदात कर शाहपुर पुलिस को खुली चुनौती दे डाली थी और शाहपुर पुलिस मुँह देखती रह गयी थी। लेकिन पत्रकार सत्येन्द्र कुमार पर साजिशन दर्ज किये गए 386 आई पी सी के मुकदमे में गोरखपुर पुलिस अच्छी खासी ड्रिल करती हुई दिखाई पड़ी।
सत्येन्द्र कुमार पर पहले चुपचाप मुकदमा दर्ज कर देना… फिर उन्हें धोखे से थाने पर बुलाने की कई बार कोशिशें करना..अपने उच्चाधिकारी के कार्यालय से मिले निर्देशों की अनदेखी करना..और सत्येन्द्र कुमार के निर्दोष होने के तमाम सबूतों को दरकिनार कर ड्रग माफियाओं को खुश करने के लिए उनके खिलाफ हुए स्टिंग को दबा देने की भरपूर कोशिश की गई।
सत्येन्द्र कुमार के परिवार को भयाक्रांत तथा आतंकित करने के उद्देश्य से उनके बन्द घर पर आधी रात को दो गाड़ी फ़ोर्स के साथ ट्रैक सूट तथा वर्दी में पहुँची पुलिस टीम के मंसूबे यही बता रहे थे कि ड्रग माफिया और ड्रग लाइसेंस रैकेट को खुश करने के लिए ये लोग पत्रकार सत्येन्द्र कुमार की हत्या करने की फिराक में हैं।
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