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सीएम सिटी के भ्रष्टाचारियों की नींद हराम करने वाले खोजी पत्रकार की गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी

गोरखपुर : भ्रष्ट व्यवस्था से जुड़े कई मामलों का स्टिंग आपरेशन के माध्यम से सनसनीखेज खुलासा करने वाले गोरखपुर के खोजी पत्रकार सत्येंद्र कुमार की गिरफ्तारी पर इलाहाबाद हाइकोर्ट ने रोक लगा दी है।

सत्येंद्र कुमार

अभी हाल ही में पत्रकार सत्येंद्र कुमार द्वारा गोरखपुर के ड्रग लाइसेंस रैकेट और ड्रग माफिया के गठजोड़ का खुलासा स्टिंग आपरेशन के माध्यम से किया गया था जिसकी वजह से इस रैकेट को संरक्षण देने वाले दलाल पत्रकारों के दबाव में सत्येन्द्र पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने की साजिशें रची जा रही थी ।

सत्येन्द्र बताते हैं कि गिरफ्तारी पर तो रोक लगा दी गयी है लेकिन प्रिंट मीडिया के इन दलालों की मेरे खिलाफ की जा रही साजिशें अब भी जारी हैं। 

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इलाहाबाद हाइकोर्ट की डबल बेंच में तमाम एकजुट विपक्ष के साथ चली गरमा गरम बहस में सिलसिलेवार ढंग से जिन बिंदुओं और साक्ष्यों को सामने रखा गया उसमें सारी साजिशों की पोल खुल गयी।

सत्येन्द्र कुमार बताते है कि हाइकोर्ट में लंबित पूरे प्रकरण का लब्बोलुआब यह था कि गोरखपुर जनपद की पुलिस चौकी पादरी बाजार थाना शाहपुर के अधीन है और थाना शाहपुर अपने सीनियर अधिकारी सी ओ गोरखनाथ के अधीन है। इसी तरह सी ओ गोरखनाथ अपने सीनियर अधिकारी एस पी सिटी गोरखपुर के अधीन हैं और यह सारी जमात दैनिक जागरण के पत्रकार सतीश पांडेय तथा सिटी हेड रजनीश त्रिपाठी के अधीन है। ये कनेक्शन एक एक कर गोरखपुर के पत्रकार सत्येंद्र कुमार के साथ की गई साजिशों से खुद बखुद जुड़ते चले जा रहे हैं। 

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मई 2022 में गोरखपुर के पत्रकार सत्येंद्र कुमार ने भ्रष्टाचार करने, अपने खिलाफ आपराधिक साजिश रचने तथा अपराधियों को संरक्षण देने का गंभीर आरोप लगाते हुए चौकी इंचार्ज पादरी बाजार समेत थाना शाहपुर और सी ओ गोरखनाथ सभी के खिलाफ सबूतों सहित करप्शन के मामले में एक रिवीजन याचिका इलाहाबाद हाइकोर्ट में दाखिल कर दी थी। आज भी यह मामला इलाहाबाद हाइकोर्ट के समक्ष लंबित है और जिम्मेदारों की साँसे अटकी हुई हैं।

उस वक्त के चौकी इंचार्ज पादरी बाजार, दरोगा दीपक सिंह आज पीपीगंज थाने के थानेदार हैं लेकिन थाना शाहपुर और सी ओ गोरखनाथ अपनी जगह पर आज भी वही हैं जहाँ मई 2022 में थे।

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हाइकोर्ट में रिवीजन याचिका दाखिल करने से पूर्व पत्रकार सत्येंद्र कुमार के प्रार्थना पत्र पर दरोगा दीपक सिंह के खिलाफ वर्तमान एस पी सिटी कृष्ण कुमार विश्नोई द्वारा जाँच की गई थी। इस बात के प्रमाण मौजूद हैं कि एस पी सिटी द्वारा पत्रकार सत्येंद्र कुमार को जाँच में अपना बयान और साक्ष्य दर्ज कराने के लिए बुलाया गया था लेकिन सत्येंद्र कुमार को एस पी सिटी गोरखपुर द्वारा जानबूझकर इस जाँच से सम्बंधित कोई भी रिसिविंग देने से इनकार कर दिया गया था।

सत्येंद्र कुमार का कहना है कि सभी सबूतों को दरकिनार कर भ्रष्ट दरोगा दीपक सिंह को एस पी सिटी की जाँच में बचा लिया गया और बाद में थानेदारी वाली रैंकिंग में खराब प्रदर्शन के बावजूद उन्हें दुबारा थानेदार बना दिया गया। इसकी वजह यह थी दरोगा दीपक सिंह के व्यक्तिगत संबंध दैनिक जागरण के पत्रकार सतीश पांडेय से थे और आज भी हैं। सतीश पांडेय दरोगा की व्यक्तिगत पार्टियों में जाता था और जमकर लुत्फ उठाता था। दरोगा दीपक सिंह की फेमिली पार्टी में शरीक हुए दैनिक जागरण के पत्रकार सतीश पांडेय के साथ दरोगा दीपक सिंह की एक तस्वीर मौजूद है जो इस बात का प्रमाण है।

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सत्येंद्र कुमार भ्रष्टाचारियों, दलालों और पुलिस की पोल खोलने के साथ ही उनके खिलाफ खबरें भी चला रहे थे और जाँच करवाने के साथ ही मामले को हाइकोर्ट तक भी ले जा रहे थे। दैनिक जागरण के पत्रकार की पेड तथा झूठी खबरों को एक्सपोज़ करने के साथ पत्रकार सत्येंद्र कुमार दैनिक जागरण के साढू भाईयों द्वारा पत्रकारिता की आड़ में चलाए जा रहे प्रोपेगंडा और थानेदारी दिलाने के खेल को भी खुलकर एक्सपोज़ किये जा रहे थे।

दैनिक जागरण का पत्रकार रूपी साढू भाई हो या शाहपुर थाना… दरोगा दीपक सिंह हो या शाहपुर थाने के सी ओ…. इन सबके खिलाफ हाइकोर्ट में लंबित याचिका हो या एस पी सिटी द्वारा कदम कदम पर पत्रकार सत्येंद्र कुमार से बोला गया झूठ …इन सभी तथ्यों के साक्ष्य हो या इन तथ्यों को साबित करती हुई तमाम कॉल रेकॉर्डिंग्स, सब इसी तरफ इशारा कर रहे हैं कि पत्रकार सत्येंद्र कुमार को निपटाने के लिए बहुत बड़ी साजिश की जा रही थी। आपसी मेलजोल से फर्जी मुकदमा लिखकर उन्हें झूठ बोलकर थाने पर बुलाया और भेजा जा रहा था।

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हाइकोर्ट के समक्ष चली गरमा गरम बहस में एकजुट हुए विपक्ष द्वारा पत्रकार सत्येन्द्र कुमार पर अब तक दर्ज किए गए मुकदमों का भी जिक्र किया गया। जिसके विषय में हाइकोर्ट को साक्ष्यों के साथ अवगत कराया गया कि भ्रष्ट सिस्टम के दलाल और रैकेटियर आज तक जितने भी अफवाह फैलाते रहे हैं वह बेबुनियाद हैं। उन सभी मुकदमों के बाबत बताया गया कि सत्येन्द्र पर मुकदमों का यह सिलसिला 2010 से शुरू हुआ था। उनकी एक्स सासू मां ने साल दर साल तीन फर्जी मुकदमों का उन्हें तोहफा दिया था जिनका सत्येन्द्र कुमार द्वारा सबूतों के साथ सनसनीखेज तरीके से ऐसा खुलासा किया गया कि आज पत्रकार सत्येन्द्र कुमार की एक्स सासू मां उनके परिवार और उनके सहयोगियों पर ऑनर किलिंग का मुकदमा कोर्ट ने ही दर्ज कर दिया है। आज हाइकोर्ट के डायरेक्शन के अनुरूप उसकी सुनवाई भी चल रही है।

सत्येन्द्र पर दर्ज हुए बाकी अन्य मुकदमों के बारे में बताया गया कि 156 (3) से लेकर तमाम सांठ गांठ से अन्य जो भी मुकदमे सत्येन्द्र पर लिखवाए गए वो सभी शुरुवाती जाँच में औंधे मुँह गिरकर धड़ाम हो गए। उनमें कई बार फाइनल रिपोर्ट लगी या फिर मुकदमा करने वालों ने खुद को फंसता देख अदालत के सामने शपथ पत्र देकर स्वीकार कर लिया कि उन्हें धोखे में रखकर बदले की नीयत से यह मुकदमा सत्येन्द्र कुमार के खिलाफ लिखवाया गया था।

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पूरे प्रकरण को विस्तार से समझने के लिए ये वीडियोज देखें-

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