Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

विनय बिहारी सिंह के केस से सबक लें और आप भी सेक्शन 17 (2) के तहत लेबर आफिस में आवेदन करें

विनय बिहारी सिंह के कोलकाता के वरिष्ठ पत्रकार हैं. इंडियन एक्सप्रेस समूह के हिंदी अखबार जनसत्ता में लंबे समय तक कार्य करने के बाद रिटायर हुए. लेकिन मालिकों ने उन्हें मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से एरियर नहीं दिया. विनय बिहारी सिंह रिटायरमेंट के बाद इंडियन एक्सप्रेस के मालिकों को लगातार मजीठिया का लाभ देने के लिये पत्र लिखते रहे. इसी क्रम में उन्होंने पहले कलकत्ता स्थित लेबर ऑफिस को लिखा परन्तु ढाक के तीन पात.

विनय बिहारी सिंह ने फ़रवरी 2015 में भड़ास4मीडिया द्वारा मालिकों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में केस लगाने के लिए किए गए आह्वान में शामिल होकर अपनी भी एक अवमानना याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगाई. 28 अप्रैल 2015 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत उन्होंने तुरंत ही सेक्शन 17 (2) के तहत शिकायत इंडियन एक्सप्रेस मालिकों के खिलाफ लगा कर अपना पैसा देने हेतु रिकवरी सर्टिफिकेट जारी करने की प्रार्थना की. लेबर कमिश्नर, कोलकाता ने इस पर संज्ञान लेते हुए मालिकों के खिलाफ कार्यवाही शुरू की. तब उस कार्यवाही से घबरा कर इंडियन एक्सप्रेस ने विनय बिहारी को एक चेक फटाफट दिया. शेष बकाया अगले दो सालों में अगले दो किश्तों में देने की बात कही है. साथ ही विनय बिहारी से अनुरोध किया कि वे केस वापस ले लें. लेकिन विनय बिहारी ने केस वापस लेने से यह कहते हुए मना किया कि उन्हें सारा बकाया इकट्ठे चाहिए.

Advertisement. Scroll to continue reading.

इंडियन एक्सप्रेस समूह अब भी विनय बिहारी सिंह से कई तरह के लुभावने वादे कर रहा है.  लेबर कमिश्नर, कोलकाता ने अब मामला अपने सामने निपटाने के लिये इंडियन एक्सप्रेस के मालिकों को बुलाया है ताकि अग्रिम कार्यवाही की जा सके. जो लोग सेक्शन 17 (2) को लेकर अज्ञानता वश इसकी महत्ता को नहीं समझ रहे हैं उनके लिए विनय बिहारी सिंह का मामला एक जीवंत उदहारण है. अभी भी आप सेक्शन 17 (2) के तहत अपने और अपने साथियों के लिए लेबर ऑफिस में आवदेन कर सकते हैं.

और अंत में… अपने-अपने प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों / मंत्रियों तक यह सन्देश पहुंचा दें कि वह सभी श्रम अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दें कि Working Journalist Act, Section 17 (2)  के अंतर्गत लगाये गए आवेदन पर तुरंत आदेश करें और Recovery Certificate जारी करें. इसमें ढिलाई करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करें. अलग से श्रम निरीक्षकों के नियुक्ति का मामला सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत है जो कि यह तय करेगा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना हुई है या नहीं. श्रम विभाग के पास पहले से ही इस बावत क़ानूनी अधिकार है. सभी लोग श्रम विभाग में शिकायत जरूर लगाएं और इस बात को समझ लें कि सभी कर्मचारियों के दस्तखत की जरूरत नहीं है. एक ही आवेदन में सभी का नाम दिया जा सकता है. चूंकि कुछ अख़बारों के पंजीकृत ऑफिस दिल्ली में हैं इसलिए उनके सभी कर्मचारियों का दावा दिल्ली में लगाया जा सकता है, चाहे वो कहीं भी काम करते हों. इस पर बहुत ही समझदारी से आगे बढ़ने की जरूरत है. कृपया किसी क़ानूनी जानकर से मदद जरूर लें. खुद अकेले अपना जौहर न दिखाएं. यह बहुत ही उलझा हुआ क़ानूनी मामला है जिस पर आम आदमी अपना हाथ नहीं आजमा सकता है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

लेखक सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं.


इसे भी पढ़ें…

Advertisement. Scroll to continue reading.

I got my pending salary according to Majithia wage board : Vinay Bihari Singh

xxx

लेबर इंस्पेक्टर के यहां मजीठिया वेज बोर्ड के लिए इस फारमेट में कंप्लेन करें

xxx

Advertisement. Scroll to continue reading.

मजीठिया वेज बोर्ड, 28 अप्रैल और सुप्रीम कोर्ट : क्या हुआ, क्या करें…

xxx

मजीठिया पर सुप्रीम कोर्ट का ताजा आदेश- राज्य सरकारें तैनात करें विशेष श्रम अधिकारी, तीन माह में स्टेटस रिपोर्ट दें

xxx

Advertisement. Scroll to continue reading.

भास्कर ने शोलापुर से रांची तबादला किया तो हेमंत कोर्ट से स्टे ले आए

Click to comment

0 Comments

  1. madhavan

    June 3, 2015 at 5:49 pm

    Could you please post the English version of this news item? I don’t know Hindi?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

भड़ास तक खबर सूचनाएं जानकारियां मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadas_Group_two

Advertisement

Latest 100 भड़ास

Advertisement

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement