Dilip C Mandal : सेकुलर और कम्युनल में क्या रखा है? राजदीप सरदेसाई कट्टर Secular गौड़ सारस्वत ब्राह्मण (GSB) हैं और मनोहर पर्रिकर कट्टर Communal गौड़ सारस्वत ब्राह्मण (GSB). और फिर प्राइड यानी गर्व का क्या है? हो जाता है. राजदीप को पर्रिकर और प्रभु पर गर्व हो जाता है. सारस्वत को सारस्वत पर गर्व हो जाता है. सेकुलर को कम्युनल पर दुलार आ जाता है. वैसे, अलग से लिखने की क्या जरूरत है कि दोनों टैलेंटेड हैं. वह तो स्वयंसिद्ध है. राजदीप भी कोई कम टैलेंटेड नहीं हैं.
सेकुलर को
कम्युनल पर
प्यार आ गया
प्राइड आ गया.
प्यार शाश्वत है,
प्यार सारस्वत है.
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दो चीज़ों का डर नहीं होना चाहिए। एक तो कि कोई हैक कर लेगा। तो क्या? फिर से बना लेंगे और 10 दिन में पढ़ने वाले भी आ जाएँगे। दूसरा डर कि धार्मिक आस्था को चोट वाला कोई मुक़दमा हो गया तो? एक तो होगा नहीं। कौन अपने धार्मिक ग्रंथों की क़ानूनी पड़ताल कराके उनकी फ़ज़ीहत करना चाहेगा? मुक़दमा हुआ तो हम इस बारे में पढ़ेंगे बहुत और बताएँगे भी बहुत। दूसरे, इस धारा में सज़ा होती नहीं। मैंने कभी सुना नहीं। मुझे करेक्ट कीजिए। तो मस्त रहिए। टेक्नोलॉजी और लोकतंत्र को थैंक यू कहिए। इतने साल में न मेरा हैक हुआ न किसी ने मुक़दमा किया।
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मनुस्मृति और तमाम स्मृतियों के हिसाब से गोडसे जी को तो क्या, उनकी बिरादरी में किसी को भी बड़े से बड़े अपराध के लिए फाँसी नहीं हो सकती थी। मैकॉले जी ने भारत में पहली बार IPC यानी इंडियन पीनल कोड बना दिया। क़ानून की नज़र में सब बराबर हो गए। समान अपराध के लिए समान दंड लागू हो गया। तो गोडसे जी को फाँसी हो गई मैकॉले जी के विधान से। इसलिए भी मैकॉले जी भारत में विलेन माने जाते हैं।
वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल के फेसबुक वॉल से.
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