क्या अब किसी भी डेमोक्रेटिक-सेक्युलर समाज में इस्लाम को accomodate करने की जगह नहीं है?

Rajeev Mishra : किसी भी डेमोक्रेटिक सेक्युलर समाज में इस्लाम को accomodate करने की जगह नहीं है… क्यों? जानने के लिए इतिहास का यह सबक फिर से पढ़ें. मूर्तिभंजक इस्लामिक समाज का एक बहुत बड़ा विरोधाभास है – ईरान में तेरहवीं शताब्दी के एक यहूदी विद्वान् राशिद-उद-दिन की एक विशालकाय मूर्ति. राशिद-उद-दिन ने मंगोल सभ्यता का इतिहास लिखा, और उनका अपना जीवन काल समकालीन इतिहास की एक कहानी बताता है जो भारत के लिए एक बहुत जरुरी सबक है.

Criminal case against I & B ministry

Today i have filed a criminal complaint (pfa) with the 8th ACCM, Bangalore  on the following subject: The removal of the words ‘secularism’ and ‘socialism’ from the Preamble of the Constitution of India in the official advertisement of DAVP, Ministry of I & B, Govt. of India on Republic Day of 2015 was not only a brazen attack on the esteem and integrity of the Constitution of India but also a clear violation of the criminal law provision of Section 2 of the Prevention of Insult to National Honour Act, 1971.

Siddharth Sharma

aamaadmisid@gmail.com

Secular राजदीप सरदेसाई को Communal मनोहर पर्रिकर पर प्यार आ गया!

Dilip C Mandal : सेकुलर और कम्युनल में क्या रखा है? राजदीप सरदेसाई कट्टर Secular गौड़ सारस्वत ब्राह्मण (GSB) हैं और मनोहर पर्रिकर कट्टर Communal गौड़ सारस्वत ब्राह्मण (GSB). और फिर प्राइड यानी गर्व का क्या है? हो जाता है. राजदीप को पर्रिकर और प्रभु पर गर्व हो जाता है. सारस्वत को सारस्वत पर गर्व हो जाता है. सेकुलर को कम्युनल पर दुलार आ जाता है. वैसे, अलग से लिखने की क्या जरूरत है कि दोनों टैलेंटेड हैं. वह तो स्वयंसिद्ध है. राजदीप भी कोई कम टैलेंटेड नहीं हैं.