मध्य प्रदेश पत्रकार संघ के अध्यक्ष शलभ भदौरिया पर डाक शुल्क में छूट पाने के लिए एक पत्रिका के पंजीयन क्रमांक का अपने अखबार के लिए दुरुपयोग कर, शासन को चूना लगाने के मामले में आर्थिक अपराध शाखा, यानी ईओडब्ल्यू ने शिकंजा कस दिया है। ईओडब्ल्यू ने विभिन्न धाराओं में दर्ज मामले की जांच पूरी कर, अदालत में चालान पेश कर दिया है। घटना की शुरुआत करीब बीस साल पहले हुई थी, जब शलभ भदौरिया और उनके साथी विष्णु विद्रोही ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर श्रमजीवी पत्रकार समाचार पत्र का डाक पंजीयन कराया था।
इस दौरान डाक शुल्क में छूट पाने के लिए उन्होंने एक दूसरी पत्रिका की पंजीकरण संख्या का इस्तेमाल किया। इस संबंध में शिकायत होने पर आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो ने प्राथमिक जांच के बाद प्रकरण दर्ज किया था। जांच में स्पष्ट हुआ कि भदौरिया और साथियों ने डाक शुल्क में छूट लेकर शासन को करीब दो लाख का चूना लगाया है। शलभ ने चालान पेश होने के बाद पहले अग्रिम जमानत कराई और अब नियमित जमानत पर है। मामला 120बी, 420, 467, 468, 471 भादवि धाराओं में दर्ज किया गया है।
‘श्रमजीवी पत्रकार’ मासिक पत्र का प्रकाशक अध्यक्ष, म.प्र. श्रमजीवी पत्रकार संघ है। इस मासिक पत्र का आरएनआई क्रमांक क्रमांक-3276/72 बताया गया, जिसके अनुसार यह समाचार पत्र 1972 से प्रकाशित हो रहा है। लेकिन वास्तविकता यह है कि यह प्रमाण पत्र आंध्रप्रदेश के राजमुंदरी से प्रकाशित होने वाले ‘स्पूतनिक’ समाचार पत्र के नाम दर्ज है। मामले की शिकायत 2003 में हुई जिसमें चालान पेश किया गया है। शिकायत राधावल्लभ शारदा ने की थी।
मध्य प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ (एस) के नाम लिये लाखों के विज्ञापन और चैक
आरोप यह भी है कि जनसम्पर्क विभाग से स्मारिका के नाम पर भी भदौरिया ने एक वर्ष में कई बार विज्ञापन लिये और उनका भुगतान भी चैक से प्राप्त किया। जिसकी राशि लगभग रुपये चार लाख है।
सूचना के अधिकार से प्राप्त जानकारी में यह तथ्य निकल कर आया कि सारे चैक एमपी श्रमजीवी पत्रकार संघ एस के नाम पर तैयार किए गए जबकि इस नाम की कोई संस्था मध्यप्रदेश में है ही नहीं।