Yashwant Singh : भारत में असली ज़रूरतमंद को तलाशना भी एक बड़ा दिमागी गेम है। लोकडौन के नाम पर कुछ बवंडर किस्म के अल्कोहलिक नगद मदद के लिए गुहार लगा रहे, घर में अन्न राशन न होने का दावा कर के। किसी सज्जन पुरुष के फोन करने पर पर्याप्त रो-गा भी देते हैं ताकि नौटंकी में कोई कमी न रहे।
मित्रों ने उनकी हजार पांच सौ नगद भेजने की मांग अनसुनी कर उसकी जगह पर्याप्त अन्न राशन भिजवा दिया है।
खुद को फ़क़ीर बताने वाले ऐसे अल्कोहलिकों से सावधान रहें। नगद की जगह अन्न ही भिजवाएं। ये साले पियक्कड़ कई दिन दारू न मिलने पर आखिरी दांव भयंकर इमोशनल वाला ही खेलते हैं!
जिनके बारे में बात कर रहा हूं वो पूर्व परिचित है। उसके नाटक मैं बारह पंद्रह साल से जानता हूँ। वो मेरी मित्र मंडली के लोगों को इमोशमल ब्लैकमेल कर रहा था। फिर भी उस तक अन्न राशन के अलावा बोतल भर पीने के लिए लोगों ने मदद पहुंचा दी है।
मालूम हो कि लॉक डाउन में जगह जगह ब्लैक में दारू बिक रही है। एल्कोहलिक किस्म के प्राणी ब्लैक वाली दारू खरीदने का सामर्थ्य न होने के चलते भांति भांति तरीकों के बहानों से लोगों से पैसे मांग रहे हैं।
लॉकडाउन में एल्कोहलिक लोगों की हालत कैसी हो गई है, इसे जानने के लिए टिकटाक वाला ये फनी वीडियो देखें-
भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह की एफबी वॉल से.
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One comment on “लॉकडाउन और एल्कोहलिक भिखमंगे!”
आज तो फलाने फेमस हो गए, अनजाने रहकर भी