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सुख-दुख

श्रवण गर्ग का कैंसर पीड़ित मीडियाकर्मी दिनेश जोशी से यह बर्ताव कतई उचित नहीं कहा जाएगा

अपने गुस्से के लिए चर्चित श्रवण गर्ग (नईदुनिया के प्रधान संपादक) ने एक और बेकसूर कर्मचारी का शिकार किया है। पिछले 15 साल से संस्थान की सेवा कर रहे चीफ सब एडिटर दिनेश जोशी को कुछ माह पूर्व ब्रेन टयूमर हो गया था। कंपनी नियमों के अनुसार श्री जोशी ने चिकित्सकीय अवकाश के लिए आवेदन दिया और दक्षिण भारत में उपचार करवाया। वापस लौटने पर अपनी पत्नी के साथ प्रधान संपादक से मिलने कार्यालय पहुंचे। उन्हें देखते ही प्रधान संपादक का पारा सांतवें आसमान पर जा पहुंचा। उन्हें तुरंत काम पर लौटने का फरमान सुना दिया।

अपने गुस्से के लिए चर्चित श्रवण गर्ग (नईदुनिया के प्रधान संपादक) ने एक और बेकसूर कर्मचारी का शिकार किया है। पिछले 15 साल से संस्थान की सेवा कर रहे चीफ सब एडिटर दिनेश जोशी को कुछ माह पूर्व ब्रेन टयूमर हो गया था। कंपनी नियमों के अनुसार श्री जोशी ने चिकित्सकीय अवकाश के लिए आवेदन दिया और दक्षिण भारत में उपचार करवाया। वापस लौटने पर अपनी पत्नी के साथ प्रधान संपादक से मिलने कार्यालय पहुंचे। उन्हें देखते ही प्रधान संपादक का पारा सांतवें आसमान पर जा पहुंचा। उन्हें तुरंत काम पर लौटने का फरमान सुना दिया।

अचानक इस तेवर से जोशी दंपत्ति घबरा गए। हालत यहां तक जा पहुंची कि श्रीमती जोशी ने उनसे गुजारिश की कि चूंकि पति का एक किमोथैरेपी का डोज शेष है तो कृपया 15 दिन का मौका दिया जाए। इस पर प्रधान संपादक ने डपटते हुए खुद की कहानी सुना डाली कि किस तरह उन्होंने खुद भास्कर में नौकरी के दौरान बीमारी पर भी काम पर आते रहे। ऐसे किस्सों की एक सीरिज चला दी। इसकी तुलना ट्यूमर से संघर्ष कर रहे जोशी जी से कर डाली। अपने तमाम किस्सों में करीब आधा घंटा खड़ा रखकर दोनों को काफी नीचा दिखाया। आखिरकार दुखी होकर वे घर लौट गए। जब बाकी लोगों को इस वाकये की जानकारी मिली तो सब गुस्से से भर उठे.

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0 Comments

  1. ashok mishra

    June 16, 2014 at 8:03 am

    श्रवण गर्ग अपने हरामीपन के लिए शुरू से ही कुख्यात रहे हैं। अगर श्रवण से संवेदनशीलता की उम्मीद करें, तो गलत नंबर डायल कर रहे हैं बंधु।

  2. unitedwewin

    June 16, 2014 at 9:19 am

    भाषायी संस्काअर और प्रतिबद्ध पत्रकारिता का पर्याय रहे नईदुनिया में अब गर्ग का पागलपन चलता है। यहां हालत यह है कि बगैर काम किए वेतन भी मिलता है… इस नई शुरूआत के सूत्रधार इस पागल प्रधान संपादक ने हाल ही में कुछ ऐसा ही आदेश दिया है। यह आदेश अखबार में हुई एक गलती को लेकर दिया गया… इंदौर संस्कआरण में 12 जून 14 के अंक में पेज 13 पर 4 खबरें रिपीट हो गई… क्योंं और कैसे हुई, आगे इसका पुनरावृत्ति न हो, इससे इतर संपादक ने पूरा दिन इस पर लगाया कि इसके लिए जिम्मेंदार सभी लोगों को अब कोई काम नहीं दिया जाए… आदेश मिलते ही पूरा अमला अनुपालन में जुट गया… आनन-फानन में मिटिंग बुलाई गई… सारे लोगों को तत्काल कार्यमुक्त कर दिया गया और सार्वजनिक रूप से ऐलान कर दिया गया कि ये सभी अब केवल बैठेंगे-बतियाएंगे, मतलब कोई काम नहीं करेंगे…
    हाल के दिनों में अखबार में गलतियां ही गलतियां जा रही है। इसका कारण भी यही पागल इंसान है। आफिस में जर्बदस्त तनाव का माहौल है। ऐसे में कोई भला काम क्या कर सकता है।
    यह पागल खुद हर कहीं फेल हो चुका है और अपनी नाकामियों का ठिकरा दुसरों के सिर फोड़ रहा है।

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