श्रम उपायुक्त, गौतम बुद्ध नगर द्वारा श्री न्यूज़ प्रबंधन के खिलाफ कर्मचारियों को पिछले 4 माह से सैलरी न दिए जाने, उनके मानसिक-आर्थिक-शारीरिक उत्पीड़न, कर्मचारियों को धमकाने और क़ानून को अवहेलना के मामले में 3 नोटिस जारी किए गए हैं। लेकिन श्री न्यूज़ के मालिक मनोज द्विवेदी, सीईओ अल्वीना क़ासिम और सीओओ प्रशांत द्विवेदी इस मामले को लेकर अभी भी बेसुधी की चादर ओढ़े हैं। श्रम उपायुक्त, गौतम बुद्ध नगर के पास श्री न्यूज़ के कर्मचारियों ने 17 जून, 18 जून और 20 जून को संयुक्त रूप से अलग-अलग कई शिकायतें दर्ज करवाई थी। इसमें न केवल सैलरी न दिए जाने का मामला था बल्कि कर्मचारियों को धमकाने और श्रम विभाग द्वारा संस्थान में यथास्थिति बनाए रखने के नोटिस के बावजूद सैलरी मांगीने वाले कर्मचारियों को ग़ैरक़ानूनी तरीके से निष्कासन का मामला भी था।
इन मामलों में जून की 18 तारीख को उपायुक्त श्रम ने श्री न्यूज़ को पहला नोटिस जारी किया और सुनवाई के लिए 23 जून को प्रबंधन को हाज़िर होने का आदेश दिया। यही नहीं 20 जून को उपायुक्त श्रम की ओर से अप्रैल और मई माह के वेतन के लिए रिकवरी नोटिस जारी किया गया और 23 जून को ही इसका जवाब देने का आदेश दिया गया।
23 जून को श्री न्यूज़ प्रबंधन ने बेहद चालाकी से एचआर और अकाउंट्स के लोगों को श्रम उपायुक्त के दफ्तर भेजा और जुलाई के प्रथम सप्ताह तक का समय मांगा लेकिन उपायुक्त श्रम ने कड़ाई दिखाते हुए प्रबंधन की चालाकी को समझ कर 24 जून दोपहर 12 बजे तक सैलरी का श्रम कार्यालय सेक्टर 3 से ही भुगतान करने का आदेश जारी किया और ऐसा न करने पर रिकवरी नोटिस जारी करने की चेतावनी दी।
उम्मीद के मुताबिक 24 जून 12 बजे श्री न्यूज़ की ओर से कोई भी उपायुक्त श्रम के पास नहीं उपस्थित हुआ और त्वरित कार्रवाई करते हुए उपायुक्त श्रम की ओर से श्री न्यूज़ के खिलाफ उत्तर प्रदेश औद्योगिक शांति (मजदूरी का यथासमय संदाय) अधिनियम 1978 के तहत अप्रैल और मई की सैलरी की वसूली का नोटिस भेज डीएम और तहसीलदार के पास भेज दिया गया।
लेकिन इसके बाद भी श्री न्यूज़ प्रबंधन को इस नोटिस का कोई डर नहीं है। उसे रिकवरी के लिए ज़ब्ती और कुर्की की परवाह भी नहीं है। ख़बर है कि प्रबंधन साम-दाम-दंड-भेद से मामले को सुलटाने या फिर नोटिस को विलम्बित करवा कर कर्मचारियों की सैलरी फंसाने के फेर में लगा है। श्री न्यूज़ द्वारा कुछ कर्मचारियों को जो चेक दिए गए थे उनको या तो रुकवा दिया गया है या फिर कर्मचारियों से अनुरोध किया गया है कि चेक अभी न लगाएं। कई कर्मचारी चेक बोगस होने की शिकायत लेकर आईपीसी की धोखाधड़ी, ठगी और आर्थिक अपराधों की धाराओं के तहत श्री न्यूज़ पर कार्रवाई के मूड में दिख रहे हैं। यही नहीं श्री न्यूज़ पर सैलरी न देने के मामले में भी ठगी और धोखाधड़ी का केस बनता है।
ऐसे में पूरी संभावना है कि श्री न्यूज़ प्रबंधन चालाकी दिखाए और धनबल और सम्पर्कों की मदद से सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों पर दबाव या सेटिंग कर के कर्मचारियों के साथ अन्याय करे। हालांकि श्रम उपायुक्त की तत्परता से नोटिस जारी हो चुका है सो उसे लेट करवाया जा सकता है लेकिन रोका नहीं जा सकता है। साथ ही कार्रवाई में विलम्ब की स्थिति में आरटीआई की ताक़त का संभवतः श्री न्यूज़ प्रबंधन को अंदाज़ा नहीं है।
भड़ास को भेजी गई सूचना पर आधारित।
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raghav
July 1, 2014 at 11:00 am
कभी लखनऊ में केबल बेचने वाले प्रशांत अपने पुराने दिन भूल चुके हैं..वो भूल चुके हैं कि अगर चैनल बंद हो गया तो उन्हें फिर से वही करना होगा जो वो पहले करते थे।
ANIL PANDEY
July 3, 2014 at 11:34 am
Shri News has not paid many vendors and ultimately the employees were providing shield to the management like Alvina Qasim & Prashant Dwivedi, telling lies and now if they suffer …let them as they were the spoke person and inviting vendors…
The have to bear the consequences of their own deed