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उत्तर प्रदेश

अमिताभ और नूतन ठाकुर को जानबूझ कर सुरक्षा नहीं दे रही यूपी की अखिलेश सरकार

आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने जीवन भय के कारण मांगी गयी सुरक्षा के आवेदन को लखनऊ जिला सुरक्षा समिति द्वारा अस्वीकृत किये जाने के खिलाफ प्रमुख सचिव गृह को अपील किया है. इन दोनों ने सामाजिक कार्यों में तमाम रसूखदार और ताकतवर लोगों की नाराजगी मोल लेने के कारण अपनी जान का खतरा बताते हुए सुरक्षा मांगी थी जिसपर एसएसपी लखनऊ ने 27 दिसंबर के पत्र द्वारा उन्हें जिला सुरक्षा समिति की रिपोर्ट भेज कर बताया कि उनकी मांग कोई जीवन भय नहीं पाते हुए अस्वीकृत कर दी गयी है.

<p>आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने जीवन भय के कारण मांगी गयी सुरक्षा के आवेदन को लखनऊ जिला सुरक्षा समिति द्वारा अस्वीकृत किये जाने के खिलाफ प्रमुख सचिव गृह को अपील किया है. इन दोनों ने सामाजिक कार्यों में तमाम रसूखदार और ताकतवर लोगों की नाराजगी मोल लेने के कारण अपनी जान का खतरा बताते हुए सुरक्षा मांगी थी जिसपर एसएसपी लखनऊ ने 27 दिसंबर के पत्र द्वारा उन्हें जिला सुरक्षा समिति की रिपोर्ट भेज कर बताया कि उनकी मांग कोई जीवन भय नहीं पाते हुए अस्वीकृत कर दी गयी है.</p>

आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने जीवन भय के कारण मांगी गयी सुरक्षा के आवेदन को लखनऊ जिला सुरक्षा समिति द्वारा अस्वीकृत किये जाने के खिलाफ प्रमुख सचिव गृह को अपील किया है. इन दोनों ने सामाजिक कार्यों में तमाम रसूखदार और ताकतवर लोगों की नाराजगी मोल लेने के कारण अपनी जान का खतरा बताते हुए सुरक्षा मांगी थी जिसपर एसएसपी लखनऊ ने 27 दिसंबर के पत्र द्वारा उन्हें जिला सुरक्षा समिति की रिपोर्ट भेज कर बताया कि उनकी मांग कोई जीवन भय नहीं पाते हुए अस्वीकृत कर दी गयी है.

रिपोर्ट पर गहरी आपत्ति जताते हुए अमिताभ और नूतन ने अपनी अपील में कहा है कि यह रिपोर्ट गलत तथ्य और झूठ पर आधारित है क्योंकि उनसे कोई पूछताछ किये बिना पूछताछ करने की बात लिख दी गयी और बिना कारण बताये उनका आवेदन अस्वीकृत कर दिया गया. उन्होंने कहा कि तमाम ऐसे लोग हैं जिनके बारे में सब जानते हैं कि उन्हें कोई खतरा नहीं फिर भी भारी सुरक्षा मिली है जबकि इन्हें वास्तविक खतरा होने पर भी जानबूझ कर सुरक्षा नहीं दी जा रही है.

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सेवा में,
प्रमुख सचिव गृह,
उत्तर प्रादेश शासन,
लखनऊ

विषय- जिला सुरक्षा कमिटी, लखनऊ के रिपोर्ट दिनांक 27/11/2014 के विरुद्ध अपील

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महोदय,

कृपया निवेदन है कि हम पति-पत्नी अमिताभ ठाकुर एवं डॉ नूतन ठाकुर निवासी 5/426, विराम खंड, गोमतीनगर, लखनऊ क्रमशः आईपीएस अफसर और अधिवक्ता हैं जो अपनी व्यक्तिगत हैसियत में लोक जीवन में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व के क्षेत्र में भी गंभीर कार्य करते हैं. इन कार्यों में हम लगातार पैसे वाले, रसूखदार, राजनैतिक, आर्थिक, धार्मिक और प्रशासनिक दृष्टि से ताकतवर लोगों के दुष्कृत्यों, कुकृत्यों और कदाचरण के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण तथ्य सामने लाते रहते हैं जिसमे हम सीधे-सीधे उनकी नाराजगी मोल लेते हैं और उनके निशाने पर आ जाते हैं.

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हम ये कार्य एक लम्बे समय से कर रहे हैं और हमें कई लोगों ने इस सम्बन्ध में अपनी सुरक्षा को ले कर चौंकन्ने रहने को कहा था पर हमें पहली बार इस बात का गंभीरता से एहसास तब हुआ जब हमारे आवास पर दिनांक 15/16-10-2014 की रात्रि को मेरे निवास 5/426, विराम खंड, गोमतीनगर, लखनऊ में नकबजनी/चोरी की घटना घटी थी जब हम गाजियाबाद गए थे जिसके सम्बन्ध में हमने दिनांक 16/10/2014 को थाना गोमतीनगर पर मु०अ०स० 884/2014 अंतर्गत धारा 457/380 आईपीसी पंजीकृत कराया है.

इस घटना के बाद कई जिम्मेदार लोगों ने हमसे स्वयं कहा कि यह घटना किसी षडयंत्र के तहत कराई गयी जान पड़ती है और जब हमने इसका स्वयं भी अध्ययन किया तो हमने इस बात में दम पाया. हममे से अमिताभ ठाकुर ने अपने पत्र संख्या- AT/Security/01 दिनांक-17/10/2014 द्वारा एसएसपी और डीजीपी यूपी को हमारे सामाजिक कार्यों से परेशान या नाराज किन्ही ताकतवर व्यक्तियों द्वारा किसी प्रकार की साजिश की सम्भावना के बारे में अधिकारियों को अवगत कराया था.

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हमारी यह सम्भावना आज के दिन और अधिक संभावित इसीलिए जान पड़ती है कि न तो उस घटना का आज तक कोई अनावरण हुआ है और न ही स्थानीय पुलिस के स्तर पर किसी भी प्रकार की कोई भी सक्रियता ही दिखाई गयी है. पुलिस के लिए यह प्रकरण ठन्डे बस्ते में गया जान पड़ता है. मात्र एक दिन जब हममे से नूतन ठाकुर ने धरने की सूचना दी तो एसएसपी लखनऊ सहित सभी सक्रीय हुए और तीन दिन में घटना खोल देने की बात की और उसके अगले दिन से सभी पुनः शांत हो गए जिससे एक व्यापक षडयंत्र के विषय में हमारी शंका और अधिक बलवती हो गयी है क्योंकि आज तक हममे से एक के पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी होने के बाद भी किसी ने कभी भी स्तर पर इस घटना को लेकर रत्ती भर रूचि नहीं दिखाई गयी है.

हममे से अमिताभ ठकुर ने अपने पत्र दिनांक-17/10/2014 द्वारा कहा कि चूँकि हम लगातार ऐसे कार्य करते हैं जिससे ताकतवर राजनैतिक और प्रशासनिक लोगों को आर्थिक, सामाजिक, विधिक नुकसान होता है, अतः हम दोनों की सुरक्षा का सम्यक आकलन कर आवश्यकतानुसार सुरक्षा प्रदान किया जाये.

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पुनः हमने दिनांक 20/10/2014 को नियमानुसार सुरक्षा हेतु एसएसपी लखनऊ को प्रार्थनापत्र दिया जिस पर कोई कार्यवाही नहीं होने पर हमने मा० इलाहाबाद हाई कोर्ट, लखनऊ बेंच में रिट याचिका संख्या 12489/2014 (एमबी) अमिताभ ठाकुर एवं अन्य बनाम उत्तर प्रदेश शासन एवं अन्य दायर किया. इस रिट याचिका की सुनवाई में शासन की ओर से अवगत कराया गया कि हमारे आवेदन पत्र पूर्व में ही जिला सुरक्षा कमिटी, लखनऊ के रिपोर्ट दिनांक 27/11/2014 द्वारा ख़ारिज कर दिए गए हैं.

मा० हाई कोर्ट ने इन रिपोर्ट की प्रति प्रदान करने के आदेश दिए जिसपर हमें एसएसपी लखनऊ के पत्र दिनांक 27/12/2014 के साथ उक्त रिपोर्ट की प्रतियां प्राप्त हुईं. उक्त रिपोर्टों के अवलोकन से यह बात पूरी तरह स्पष्ट हो जाती है कि जिला सुरक्षा कमिटी, लखनऊ ने बिना सोचे विचारे और बिना कोई कारण बताये हमारे प्रार्थनापत्रों को निस्तारित कर दिया है.

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एक तो जांच में गलत तथ्य और झूठ का सहारा लिया गया है और दोनों रिपोर्ट के बिंदु संख्या 9 पर कहा गया है कि जांच के दौरान हमसे पूछताछ की गयी जिसमे हमने कुछ तथ्य बताये. सत्यता यह है कि हमसे इस जांच के दौरान कोई पूछताछ नहीं की गयी थी. हममे से नूतन ठाकुर से तो इस जांच में कोई भी अफसर मिला तक नहीं, ऐसे में जांच में कुछ बताने का प्रश्न ही पैदा नहीं होता. इसके विपरीत अमिताभ ठाकुर से आईजी नागरिक सुरक्षा कार्यालय में एलआईयू लखनऊ के एक अफसर (संभवतः सब-इंस्पेक्टर) मिले जिन्होंने मात्र उनके बच्चों का नाम और वे कहाँ रहते हैं पूछा. अन्य कोई सूचना देने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि उन्हें और कोई सूचना नहीं चाहिए और वे मात्र इतनी ही सूचना पूछ कर चले गए.

जाहिर है इस प्रकार से बिलकुल ही सतही और सरसरी तौर पर जीवन भय विषयक कोई भी जांच नहीं की जा सकती जिसमे आवेदक से यह तक नहीं जाना जाए कि उसे क्यों और किन कारणों से जीवनभय है.

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हम दोनों के जीवन भय सम्बंधित वही बात बिंदु संख्या 9 पर लिख दी गयी जो हमने अपने आवेदन में लिखा था. इसके बाद एक तयशुदा ढंग से दोनों मामलों में एक ही तथ्य शब्दशः लिख दिया गया- “उक्त सन्दर्भ में जांच से ज्ञात हुआ कि ….. उपरोक्त को वर्तमान में प्रत्यक्षतः जीवन भय बोध विद्यमान नहीं है” और इसके आधार पर बिंदु संख्या 20 में सुरक्षा प्रदत्त करने की संस्तुति से इनकार कर दिया गया.

हम निवेदन करेंगे कि जिला सुरक्षा समिति के उपरोक्त दोनों रिपोर्ट पूर्णतः सरसरी तौर पर बिना कोई कारण बताये और बिना आवश्यक जांच किये बनाए गए हैं और इस प्रकार पूरी तरह गलत हैं. इससे भी कष्ट का विषय है कि इस जांच के दौरान हममें से अमिताभ ठाकुर से हमारे बच्चों के नाम और उनके निवास पूछने के अलावा किसी भी प्रकार की पूछताछ तक नहीं की गयी और झूठे तथ्य रिपोर्ट में लिख दिए गए कि हमने जांच में क्या तथ्य बताये.

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हम स्वयं ऐसे तमाम लोगों को जानते हैं जिनके बारे में लगभग सभी स्तरों पर यह मान्यता है कि इन्हें किसी भी प्रकार का खतरा नहीं है लेकिन उन्हें सुरक्षा मिली हुई है. हमने इस सम्बन्ध में अपनी रिट याचिका अमिताभ ठाकुर (उपरोक्त) में भी विस्तार से वर्णन किया है. इसके विपरीत हम अपनी सुरक्षा आवश्कता के वास्तविक कारण बता रहे हैं पर जनपदीय सुरक्षा समिति द्वारा उसे पूर्णतया नज़रंदाज़ किया गया है और जानबूझ कर हमें सुरक्षा देने से मना किया गया है.

जाहिर है कि इस प्रकार की जांच की कोई विधिक मान्यता नहीं मानी जायेगी जिसमे ना तो कारण स्पष्ट किये गए हों और जो झूठ और गलत तथ्यों पर आधारित हों. अतः आपसे निवेदन है कि शासनादेश दिनांक 09/05/2014 में प्रदत्त अधिकारों तथा इससे इतर प्रदेश सरकार के रूप में अपने समस्त दायित्वों के अंतर्गत हमारे द्वारा प्रस्तुत जीवन भय आवेदनपत्र के दृष्टिगत सुरक्षा हेतु प्रस्तुत हमारे आवेदन पत्र की गहन और निष्पक्ष जांच कराते हुए उक्त जांच के आधार पर इस शासनादेश में गठित प्रदेश सरकार के सुरक्षा समिति के स्तर से हमें आवश्यकता अनुसार सुरक्षा प्रदान करने की कृपा करें.

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पत्रांक संख्या- AT/Comp/37/14 
दिनांक – 31/12/2014                                         
(डॉ नूतन ठाकुर)       
(अमिताभ ठाकुर)
5/426, विराम खंड,
गोमती नगर, लखनऊ
094155-34526

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