नितिन त्रिपाठी-
अभी कुछ दिनों पूर्व एक साउथ इंडियन एक्ट्रेस शालिनी का डाइवोर्स फ़ोटो शूट वायरल हुआ था. प्रथम दृष्टि से यह थोड़ा शॉकिंग और फनी था क्योंकि हम अभी भी डाइवोर्स को बेहद ख़राब मानते हैं.
एक दो दिन में समझ में आया, शालिनी का निकाह रियाज़ से हुआ था. पूर्व में भी शालिनी ने पति के ख़िलाफ़ शारीरिक और मानसिक पीड़ा की शिकायत की थी. नहीं माना, तलाक़ दे दिया. ऐसे किसी भी बंधन से छुटकारा मिलता है, प्रशन्नता होनी ही चाहिए. और जीवन बहुत बड़ा है, ऐसी कड़वी यादों को भुला कर आगे बढ़ना ही समझदारी है – दोनों के लिए.
मेरे परिचितों में ही कितनी ही लड़कियाँ हैं जो अब्यूसिव मैरिज में हैं. पति मार पीट गाली गलौज सब करते हैं, बाहर अफ़ेयर भी हैं. पत्नी का काम घर पर खाना बनाना और बच्चे पालना है. चूँकि वह आर्थिक सक्षम नहीं हैं, तो सह रही हैं. यदि वह भी आर्थिक सक्षम हों तो कोई मनुष्य पशु जीवन स्वेच्छा से ख़ुशी ख़ुशी नहीं जीता. ये बात अलग है कि समय के साथ आदत हो जाती है और फिर यह तुलना होती है कि पति अब बदल गये हैं, पहले रोज़ मारते थे अब तीसरे दिन ही मारते हैं.
जैसे जैसे महिलायें आर्थिक रूप से सक्षम होंगी, तलाक़ के मामले बढ़ने ही हैं. उच्च आय वर्ग में अब तलाक़ लगभग उतना ही कॉमन है जितना पश्चिम के देशों में है. हाँ मध्यम वर्ग में जिन केसेज में महिलायें पूरी तरह से आर्थिक रूप से पति पर निर्भर हैं वहाँ तलाक़ ने अभी दस्तक नहीं दी है, पर बस यह अंतिम पीढ़ी है. उन घरों में भी नई जनरेशन पढ़ लिख रही है, लड़कियाँ वहाँ भी अब पढ़ी लिखी आर्थिक मज़बूत निकल रही हैं.
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