Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

गिरे को उठाना और ज़रूरतमंदों की मदद करना ही भारतीय संस्कृति है

बचपन में पिताजी कहानियां सुनाया करते थे। उसमे एक कहानी थी बिच्छू और साधू की। होता क्या है कि एक बिच्छू पानी में डूब रहा था। वहीं पास में स्नान कर रहे एक साधू उसे उठा कर पानी से बाहर ले जाने लगे। बिच्छू तो बिच्छू है उसने कई बार साधू को काटा पर साधू ने उसे पानी से बाहर ले जाकर ही दम लिया। साधू के शिष्य ने उससे पूछा कि गुरूजी इस बिच्छू ने आपको कई बार काटा पर फिर भी आपने इसकी जान बचाई, क्यों? मर जाने दिया होता वैसे भी ये तो बिच्छू है इसका तो स्वभाव ही डंक मारना है भला ये संसार के किस काम का? उस साधू ने जवाब दिया कि जब “ये बिच्छू होकर अपने स्वभाव (डंक मारना) को नहीं त्याग सकता तो मैं साधू होकर अपने स्वभाव (पतितों का उद्धार करना) कैसे त्याग सकता हूँ?”

anuj agrawal 2

बचपन में पिताजी कहानियां सुनाया करते थे। उसमे एक कहानी थी बिच्छू और साधू की। होता क्या है कि एक बिच्छू पानी में डूब रहा था। वहीं पास में स्नान कर रहे एक साधू उसे उठा कर पानी से बाहर ले जाने लगे। बिच्छू तो बिच्छू है उसने कई बार साधू को काटा पर साधू ने उसे पानी से बाहर ले जाकर ही दम लिया। साधू के शिष्य ने उससे पूछा कि गुरूजी इस बिच्छू ने आपको कई बार काटा पर फिर भी आपने इसकी जान बचाई, क्यों? मर जाने दिया होता वैसे भी ये तो बिच्छू है इसका तो स्वभाव ही डंक मारना है भला ये संसार के किस काम का? उस साधू ने जवाब दिया कि जब “ये बिच्छू होकर अपने स्वभाव (डंक मारना) को नहीं त्याग सकता तो मैं साधू होकर अपने स्वभाव (पतितों का उद्धार करना) कैसे त्याग सकता हूँ?”

मैंने पापा जी से पूछा कि भला ऐसा भी कहीं होता है? कोई आदमी आपको पीड़ा पहुंचाए और आप उसकी मदद करें? ये कैसे संभव है? तब पापाजी ने कहा था कि ये संभव है, हमारी भारतीय संस्कृति है ही ऐसी है। हर गिरे को उठाना हमारा फर्ज है हर जरूरतमंद की मदद करना हमारा कर्तव्य है चाहे वो कितना ही पतित आदमी क्यों न हो।
 
कश्मीर की स्थिति से आप अनभिज्ञ तो नहीं होंगे। जी हाँ, मैं बात कर रहा हूँ उसी कश्मीर की जहां तिरंगा जलाया जाता है। वही कश्मीर जहाँ पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगते हैं। जहाँ कश्मीरी पंडितों को मार मार कर भगा दिया जाता है। जहाँ सेना को हत्यारा, बलात्कारी और न जाने क्या कहा जाता है, उस पर पत्थर बरसाए जाते हैं। उनके वाहन जला दिए जाते हैं। आज वही कथित “हत्यारी” सेना उन्ही पत्थर फेकने वालों को अपनी जान पर खेल कर बाढ़ से बचा रही है। मानवता की इससे बड़ी मिसाल न देखने को मिली है और न मिलेगी |

Advertisement. Scroll to continue reading.

आज उनके अपने उन्हें संकट में छोड़ दूरी बनाये हुए हैं। कोई अलगाववादी, कोई फईवादी उन्हें बचाने के लिए हाथ आगे नहीं कर रहा है। जिस पाकिस्तान का झंडा 14 अगस्त को फहराया जाता है उसने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। संकट की घड़ी में यदि कोई सहारा है तो वो है सेना और संघ का। जहाँ सेना बाढ़ में फंसे लोगो की जान बचा रही है वही संघ भी इनके लिए खाने कपड़े आदि की यथासंभव मदद कर रहा है।
 
दिन भर सेना और संघ पर टिप्पणी करने वाले बुद्धिजीवी, सेव गाजा का नारा बुलंद करने वाले कथित सेक्युलर, आईएसआईएस में भर्ती होने का सपना देखने वालेanuj agrawal 2 नौजवान अगर अपने बहुमूल्य समय में से थोड़ा सा समय भी इस आपदा से लड़ने में लगाएं, लोगो को बचाएं तो बेहतर होगा। आशा करता हूँ कि शायद अब आपके मन में सेना और संघ के प्रति भरी कड़वाहट कम होगी या वास्तविकता को आप समझेंगे। अन्यथा आप पत्थर फेंकते रहिये हम आपको बचाते रहेंगे। “आ ओ सिकंदर हुनर आजमाएं। तू तीर आजमा हम जिगर आजमाएं।।

 

लेखक अनुज अग्रवाल समाचार पत्रों में पत्र लेखन का शौक रखते हैं|
पता- शास्त्री नगर, अमांपुर, कासगंज उप्र -२०७२४१

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement