जन संस्कृति मंच ने हिंदी के अनूठे कवि Virendra Dangwal यानि वीरेनदा की उपस्थिति में एक आत्मीय आयोजन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते Asad Zaidi ने सबसे पहले Mangalesh Dabral को याद किया, जो अब धीरे-धीरे स्वस्थ हो रहे हैं और जिनके बिना यह आयोजन अधूरा लग रहा था। फिर Uday Prakash को याद किया और कहा कि जब हम उदय की तरफ़ से पूरी तरह निराश हो चुके थे, उसने इस भयानक समय में, साहित्य अकादेमी पुरस्कार लौटाकर हम सबको ख़ुश कर दिया।
कार्यक्रम में वीरेनदा ने अपनी नई कविता का पाठ किया, जिसमें अपनी आगामी पीढ़ी से वे कठिन दिनों का ज़िक़्र करते हैं। Leeladhar Mandloi ने वीरेन डंगवाल की कविता पर सुचिंतित बात कही। मदन कश्यप ने भी आज अन्य दिनों की तरह निराश नहीं किया। इसके बाद प्रोफ़ेसर कुलबर्गी की जघन्य हत्या पर मौन रखा गया और अगले दिन जंतर-मंतर पर विरोध-प्रदर्शन पर मिलने का वायदा किया गया।
दिल्ली का गाँधी शांति प्रतिष्ठान का पुराना सभागार पुराने दिनों की याद दिला रहा था, जहां इब्बार रब्बी मनमोहन Shubha Shubha, पंकज बिष्ट, Vishnu Nagar, विनय श्रीकर, अनिल यादव, मुरली बाबू, रेखा अवस्थी, रविभूषण, Ashutosh Kumar, Ashok Bhowmick, Pushp Raj, Anil Kumar Yadav, Pankaj Chaudhary, Ranjit Verma, Kumar Mukul, अरुणाभ सौरभ, Sanjay Joshi, Abhishek Srivastava से लगाकर कौन नहीं था। भरा हुआ सभागार। बाहर तक हिलोरें लेता हुआ। एक यादगार आयोजन।
साहित्यकार कृष्ण कल्पित के फेसबुक वॉल से.
purushottam apsnora
September 12, 2015 at 1:31 am
Badhai aayojakou ko, Salam Viren da ko.