सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच से हटाकर टांसफर किए गए डीआईजी मनीष सिन्हा के सुप्रीम कोर्ट में पहुंचने और उनके आरोपों को जानने के बाद मैं इंतजार कर रहा था कि दि टेलीग्राफ में इस खबर का शीर्षक क्या होगा। खबर सात कॉलम में बैनर बनेगी यह अंदाजा तो था पर शीर्षक का अंदाजा लगाना मुश्किल था। इसलिए उत्सुकता बनी रही।
सुबह उठा तो अखबार नहीं आए थे (मैं भी यही चाहता था इसलिए जल्दी नीन्द खुल गई थी)। कंप्यूटर पर द टेलीग्राफ का शीर्षक देखकर मजा नहीं आया। असल में इसकी हिन्दी ठीक नहीं बन रही है। वॉर्म के लिए हमलोग कीड़ों का उपयोग करते हैं। कीड़ों का विस्फोटक डब्बा या पात्र – हिन्दी में तो ये कोई शीर्षक नहीं है।
मैंने जानना चाहा कि कैन मतलब डायट कोक का कैन ही होता है या कुछ और। पता चला बाल्टी, पात्र डब्बा सब हो सकता है। बात फिर भी नहीं बनी। मैंने वॉर्म का मतलब देखा तो पता चला कि नीच / कमीना भी होता है। माथा ठनका – मणिशंकर अय्यर ने नीच हिन्दी में कहा था या अंग्रेजी में कुछ कहा था जो नीच हो गया। खैर, अभी मुद्दा वह नहीं है।
मैं इस शीर्षक का बढ़िया हिन्दी अनुवाद (Transcreation) करना चाह रहा हूं। ढूंढ़ते हुए पता चला कि वॉर्म का मतलब धीरे-धीरे छिप कर काम करना भी होता है। इससे अर्थ तो बन रहा है पर हिन्दी में लिखा जाए तो अक्षर बढ़ जाएंगे। साढ़े चार साल में देश की संवैधानिक संस्थाओं को जो हाल बनाया गया है उसके लिए यह शीर्षक अंग्रेजी में बिल्कुल उपयुक्त है।
ऐसा कुछ हिन्दी में बना सकते हैं? अपमानजनक न हो। शालीन – जो लीड का शीर्षक बन सके। 20 अक्षर के आस-पास ही। सुझाइए। सर्वश्रेष्ठ शीर्षक सुझाने वाले को जीएसटी पर मेरी किताब, “जीएसटी : 100 झंझट की एक कॉपी ईनाम” मिलेगी। तब तक मैं बाकी अखबारों ने क्या लिखा, बताया देखता हूं और आपको भी बताता हूं।
वरिष्ठ पत्रकार और अनुवादक संजय कुमार सिंह की रिपोर्ट। संपर्क : [email protected]
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