सर्वोच्च अदालत ने भले ही ऐम्बी वैली टाउनशिप जब्त करने का आदेश दे दिया हो और मीडिया वाले इसे सहारा के लिए झटका बता रहे हैं पर सच्चाई ये है कि अगर सुब्रत राय को जेल नहीं भेजा गया है तो फिर यह कोर्ट की हार और सुब्रत राय की जीत है. हालांकि सुब्रतो रॉय को 27 फरवरी तक ही राहत मिली है. उस दिन फिर सुनवाई होगी. यानि फिर भी सहारा पर लटकी है तलवार. पर आज की सुनवाई को लेकर देश भर के लोगों की निगाह इस बात पर थी कि क्या सुप्रीम कोर्ट फिर से सुब्रत राय को जेल भेजेगा. जेल न भेजे जाने और ऐम्बी वैली टाउनशिप जब्त किए जाने की खबर सामने आने पर मिली जुली प्रतिक्रिया रही. कुछ लोगों ने इसे सुब्रत राय की जीत बताया क्योंकि वे जेल नहीं गए तो कुछ लोगों ने सबसे कीमती टाउनशिप को जब्त किए जाने को सहारा के लिए बड़ा झटका करार दिया.
सर्वोच्च अदालत ने सोमवार को सहारा चिटफण्ड मामले की सुनवाई करते हुए उसके मुम्बई स्थित ऐम्बी वैली टाउनशिप प्रॉजेक्ट को जब्त किये जाने का आदेश दिया। अदालत ने सहारा ग्रुप से कहा कि वह अपनी ऐसी सम्पत्तियों की सूची सौंपे, जिन पर किसी तरह का कर्ज नहीं लिया गया है।
सर्वोच्च अदालत ने कहा कि इन सम्पत्तियों की नीलामी कर लोगों के पैसों की वसूली की जाएगी और उसे जनता को दिया जाएगा। अदालत ने 14,799 करोड़ के बकाये के मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है।
इसका अर्थ यह हुआ कि सहारा का ऐम्बी वैली प्रॉजेक्ट बकाया वसूली तक सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होगा और वसूली के बाद समूह को सौंप दिया जाएगा। सहारा समूह ने बकाया राशि को जुलाई, 2019 तक चुकाने की बात कही, लेकिन जस्टिस दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली बेंच ने तेज रिकवरी के लिए ऐम्बी वैली प्रॉजेक्ट को ही जब्त करने का आदेश दिया।
हालांकि समूह के मुखिया सुब्रत रॉय सम्पत्तियों की सूची सौंपे जाने तक परोल पर जेल से बाहर रहेंगे। कोर्ट इस मामले में 27 फरवरी को अगली सुनवाई करेगा। अदालत में सुनवाई के दौरान सहारा समूह ने स्वीकार किया कि उसे 14,000 करोड़ रुपये का मूलधन सेबी को चुकाने थे, जिसमें से 11,000 करोड़ रुपये उसने अब तक चुका दिये हैं।