Sanjaya Kumar Singh : भ्रष्टाचार दूर करने और देश में ईमानदारी स्थापित करने के भाजपाई राष्ट्रवादी त्यौहार के 50 दिन जैसे-जैसे पूरे होने के करीब आ रहे हैं इसका क्रूर और असली चेहरा सामने आ रहा है। यह रंगपोत कर चेहरा चमकाने की कोशिश का वीभत्स रूप था। लोगों की जान लेकर भी छवि बनाने का क्रूर खेल। भक्तों और सरकार के हिसाब से ईमानदारी स्थापित हो चुकी है और कालाधन लगभग खत्म हो गया है।
मुझे तो लग रहा है कि यह चुनाव में चंदा नहीं देने वालों को धमकाने, ब्लैकमेल करने की एक मान्यताप्राप्त राजनैतिक दल की कोशिश का सरकारी रूप था जो संयोग से सत्ता में भी है। अब यही बचा रह गया है कि सरकार एक नियम बनाए जिसके मुताबिक नोटबंदी की घोषणा के बाद 1000 या 500 के पांच या कम नोट जमा करने वाले गरीबों के बारे में मान लिया जाए कि उन्होंने राष्ट्रवादी पार्टी के राष्ट्रनिर्माण प्रयासों में सहयोग नहीं किया है और उनके ये पैसे सीधे भाजपा के खाते में ट्रांसफर हो जाएं।
सुनने में यह अटपटा लग रहा है। पर अभी तक जो हुआ वह कम अटपटा नहीं है। और, जब इतना सब हो गया तो यह भी हो सकता है। पढ़िए यह खबर। इसके अलावा, आप जानते हैं कि सबसे ज्यादा नकदी भाजपाइयों के पास पकड़ी गई। सबका हिसाब भी है। तो यह ईमानदारी पर्व था किसके लिए? और इतने लोगों को इतना परेशान करके, करीब 100 लोगों की जान लेकर मिला क्या?
मुंबई में पकड़े गए 10 करोड़ रुपए पंकजा-प्रीतम मुंडे के को-ऑपरेटिव बैंक के निकले
मुंबई. यहां से पकड़ा गया 10 करोड़ रुपए का कैश महाराष्ट्र सरकार की मंत्री पंकजा मुंडे और उनकी सांसद बहन प्रीतम मुंडे के को-ऑपरेटिव बैंक का निकला। सांसद प्रीतम ने इस मामले में कहा- “मुंबई ब्रांच से पुणे ब्रांच में ले जाया जा रहे कैश का पूरा हिसाब बैंक के पास है।” बता दें कि गुरुवार को मुंबई में एक कार से पुलिस ने 10 करोड़ 10 लाख रुपए का कैश बरामद किया था। इसमें 10 लाख रुपए 2000 रुपए के नए नोटों में थे। बोरों में भरा था कैश. पुलिस ने गुरुवार को घाटकोपर-मानखुर्द लिंक रोड स्थित छेड़ा नगर के पास यह कैश पकड़ा था। – इसे बोरों में भरकर मुंबई से पुणे ले जाया जा रहा था। इस मामले में पुलिस ने 3 लोगों को हिरासत में लिया था। 10 करोड़ के पुराने नोट और 10 लाख के 2000 के नोट थे. यह छापेमारी एन्फोर्समेंट डायरोक्टोरेट (ईडी), इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और मुंबई पुलिस ने की थी। पकड़ी गई रकम में 10 करोड़ रुपए 500 के पुराने नोट और बाकी के 10 लाख 2000 के नए नोटों में मिले थे। डीसीपी शाहजी उमाप ने बताया कि यह कार्रवाई इंटेलिजेंस इनपुट्स पर की गई थी। पूरा कैश कार से बरामद हुआ था। कार में बैठे तीन लोगों को पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की तो तीनों ने खुद को पुणे के वैद्यनाथ अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक का इम्प्लॉइज बताया। पुलिस ने बताया, “पकड़े गए लोगों में से एक वैद्यनाथ शहरी सहकारी बैंक की पिंपरी चिंचवाड ब्रांच का मैनेजर है। जबकि 2 ने बैंक के कर्मचारी होने का दावा किया है।”
लेखक संजय कुमार सिंह वरिष्ठ पत्रकार और प्रोफेशनल अनुवादक हैं.