मनीष श्रीवास्तव-
नोएडा अथॉरिटी को लूटने वाला महाभ्रष्ट यादव सिंह आखिर जेल से बाहर क्यों है। आइए इसका पर्दाफाश करते हैं। कहने को उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेन्स की नाव पर सवार हैं। बस इन नावों के खेवनहार वो चन्द ताकतवर नौकरशाह हैं। जो देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई को भी अभियोजन मंजूरी उन चर्चित भ्रष्टों के खिलाफ भी नहीं देना चाहते जो हजारों करोड़ के मालिक हैं।
मार्च 2020 से यूपी का औद्योगिक विकास विभाग अथॉरिटी के पूर्व चीफ इंजीनियर की अभियोजन स्वीकृति की फाइल दबाए है। जुलाई 2020 में यादव सिंह को कोर्ट ने जमानत पर रिहा किया था। अगर सीबीआई को अभियोजन मंजूरी मिलती तो ये महाभ्रष्ट पुनः जेल की सलाखों के पीछे होता। इस खबर पर मैं कई दिनों से काम कर रहा था। दो बार अपर मुख्य सचिव औद्योगिक विकास आलोक कुमार से आमने -सामने इसी खबर पर बात हुई। उनके मुताबिक सीबीआई ने यूपी सरकार से कहा है अभी जांच पूरी नहीं हुई। इसलिए अभियोजन स्वीकृति नहीं दी जा रही।
जब मैंने कहा कि संबंधित लोकसेवक जांच में दोषी साबित होता है तभी अभियोजन यानी मुकदमा चलाये जाने के पूर्व अनुमति सारी जांच एजेंसियां मांगती हैं। चाहे सीबीआई हो या राज्य स्तर की एजेंसियां। तब बड़े साहब बोले, आप बहस कर रहे हैं। खैर मैंने यूपी के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना से भी कई बार इस संवेदनशील विषय पर बात करने का प्रयास किया क्योंकि सरकार की छवि का प्रश्न है, वो कानपुर में थे। सिर्फ फोन पर ही बात हो सकती थी। लेकिन सीबीआई से जुड़ी खबर की बात सुनकर मंत्री से बात ही नहीं कराई गई।
कई बार फोन किया। मैंने लखनऊ से लेकर दिल्ली तक सीबीआई के कई अफसरों से बात की। वो यूपी सरकार का पक्ष सुनकर हंसने लगे। बोले सीबीआई कभी दोषी साबित होने से पहले अभियोजन मांगती ही नहीं।
खैर लब्बोलुआब यही है अगर यूपी सरकार अभियोजन मंजूरी दे देती तो एक महाभ्रष्ट पुनः जेल की सलाखों के पीछे होता। सनद रहे यादव सिंह को जमानत भी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाईकोर्ट ने सिर्फ इसलिए दी थी क्योंकि सीबीआई ने चार्जशीट 60 दिनों के बजाय 119 दिनों में दाखिल की। अब यादव सिंह जैसे भ्रष्टाचारी पर मेहरबानी सीबीआई दिखा रही है या यूपी का औद्योगिक विकास महकमा। इसका फैसला आप पर छोड़ता हूं।
ये हाल तब है जब यूपी विधानसभा चुनाव से पहले प्रचार रैली में खुद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि नोएडा अथॉरिटी समेत बड़े प्राधिकरणों को लूटने वाले बख्शे नहीं जाएंगे। सन्देशवाहक अखबार में आज का वो खुलासा जो ज़ीरो टॉलरेन्स के नीति नियंताओं को आइना दिखा रहा है…सत्यमेव जयते
लखनऊ के पत्रकार मनीष श्रीवास्तव की एफबी वॉल से.