विश्व दीपक-
चैंग चुंग लिंग से मिलिए. असली भाई यही है. मेहुल वगैरह तो छोटे-मोटे भाई हैं. लिंग, वियतनाम का है. गौतम भाई के बड़े भाई, विनोद अडानी का खासमखास लिंग शेयरबाजी करता है.
मतलब इसका काम है देश के बाहर बैठकर गौतम भाई की कंपनियों के शेयर खरीदना. लिंग का साथी संयुक्त अरब अमीरात का नासिर अली अहली है.
लिंग और अहली दोनों का काम था बारमूडा (वही बारमूडा ट्रायएंगल वाला) की Global Opportunity Fund के जरिए गौतम भाई की कंपनियों के शेयर्स खरीना. उधर ये शेयर खरीदते, इधर गौतम भाई डंका पीठते कि उनकी कंपनियों में धुंआधार विदेशी निवेश हो रहा है.
इससे अडानी ग्रुप के शेयर्स की कीमते बढ़तीं. फिर जो मुनाफा होता उससे गौतम भाई एयरपोर्ट, बंदरगाह, बिजली, सड़क और न्यूज चैनल खरीदते.लिंग जी का नाम हिंडनबर्ग रिसर्च में आया था तब लोगों ने खास ध्यान नहीं दिया.
आज उनका नाम हर तरफ छाया हुआ है. यहां तक कि राहुल गांधी को भी आज मुंबई में लिंग का नाम लेना पड़ रहा है. इससे साबित होता है कि असली भाई तो चुंग लिंग ही है.
सुप्रिया श्रीनेत-
अडानी महाघोटाला: अवश्य पढ़ें
13% से अधिक ऑफशोर (विदेशी) फण्ड की असल हिस्सेदारी अडानी परिवार के पास ही है
▪️ ऑफशोर फंड के पास जो 13% अडानी समूह का शेयर था वो वास्तव में विनोद अडानी द्वारा ही नियंत्रित थे
▪️ बरमूडा स्थित Global Opportunity Fund में दो लोग थे जो अडानी समूह के शेयरों में बड़े पदों पर थे।
▪️ दो व्यक्ति संयुक्त अरब अमीरात के नासिर अली शाबान अहली और ताइवान से चांग चुंग लिंग थे। ये दोनों विनोद अडानी के करीबी सहयोगी हैं
▪️बरमूडा का Global Opportunity Fund 2 खाते रखता था – एक नियामकों के लिए था और एक निवेशकों के लिए होल्डिंग्स के बारे में था।
▪️जनवरी 2017 में इन दोनों के पास उस समय स्टॉक मार्केट में listed 4 अडानी कंपनियों में से 3 के सार्वजनिक फ्री फ्लोट का 13% हिस्सा था।
▪️ यह इंगित करता है कि कैसे अडानी समूह के मालिक स्वयं सूचीबद्ध कंपनियों में पर्याप्त हिस्सेदारी रखने वाले फंडों को नियंत्रित कर रहे थे – ये SEBI के नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है जिससे कि कंपनियों की डीलिस्टिंग हो सकती है।
▪️ दोनों व्यक्ति विनोद अडानी के प्रतिनिधि थे और यह साबित करता है कि शेयर की कीमतों में हेरफेर किया गया और कृत्रिम रूप से बढ़ाया गया।
▪️अहली और चांग ने 2013 में अडानी शेयरों में अपना निवेश तब शुरू किया, जब अडानी समूह ने 25% न्यूनतम सार्वजनिक फ्लोट को पूरा करने के लिए अपनी तत्कालीन 3 listed कंपनियों में सार्वजनिक शेयरधारिता बढ़ाने के लिए निजी निवेशकों को शेयर बेचा।
▪️ जुलाई 2009 में नासिर अली शाबान अहली ने दुबई में एक कंपनी बनाई जिसने भारत में अडानी परियोजना को बिजली उपकरण की आपूर्ति करने के लिए एक चीनी निर्माता के साथ समझौता किया।
▪️ उसी समय अहली ने मॉरीशस में एक शेल कंपनी बनाई, जिसका स्वामित्व उसने अक्टूबर 2009 में चांग को दे दिया।
▪️ 2010 की शुरुआत में विनोद अडानी ने दोनों व्यवसायों का स्वामित्व ले लिया। उसके बाद उन्होंने दुबई की कंपनी का इलेक्ट्रोजेन इंफ्रा और मॉरीशस की कंपनी का इलेक्ट्रोजेन इंफ्रा होल्डिंग्स नाम बदल कर नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया।
▪️ इलेक्ट्रोजेन दुबई ने अडानी और उसके आपूर्तिकर्ताओं के बीच बिचौलिए के रूप में काम करके मुनाफा कमाया
▪️ इलेक्ट्रोजेन दुबई ने 2011 और 2013 के बीच मॉरीशस में अपनी मूल कंपनी को 900 मिलियन डॉलर ट्रांसफ़र किए
▪️ इलेक्ट्रोजेन मॉरीशस ने फिर विनोद अडानी की एक अन्य कंपनी, जिसका नाम एसेंट ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट है, उसको 100 मिलियन डॉलर का ऋण दिया। कमाल की बात ये है कि विनोद अडानी ने ऋणदाता और उधारकर्ता दोनों के रूप में दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए।
▪️ 2011-12 में एसेंट ने बरमूडा के Global Opportunity Fund के माध्यम से शेयर लेकर भारतीय शेयर बाजार में निवेश करने के लिए $100 मिलियन का उपयोग किया।
▪️ विनोद अडानी का पैसा वहां से एशिया विजन फंड नामक मॉरीशस फंड में भेजा गया था।
▪️ 2013 में जब SEBI ने 100 से अधिक कंपनियों में अत्यधिक प्रमोटर होल्डिंग्स पर कार्रवाई की तब दो फंड अडानी शेयरों में महत्वपूर्ण निवेशक पाये गए – Emerging India Focus Fund और EM Resurgent Fund
▪️ इन दोनों फण्ड -Emerging India Focus Fund और EM Resurgent Fund का अंतिम निवेशक बरमूडा का ग्लोबल अपॉर्चुनिटीज फंड था।
▪️ सितंबर 2014 तक Emerging India Focus Fund का 742 मिलियन डॉलर की संपत्ति का 1/4 से अधिक और EM Resurgent Fund के 125 मिलियन डॉलर का आधे से अधिक हिस्सा तीन अडानी कंपनियों को आवंटित किया गया था।
▪️ उस समय अडानी स्टॉक के $260 मिलियन में से $258 मिलियन का नियंत्रण अहली और चांग की कंपनियों के पास था।
▪️ विनोद अडानी की तरह, उन्होंने भी शेल कंपनियों से बरमूडा के Global Opportunity Fund के माध्यम से निवेश किया था। चांग ने 2010 में ब्रिटिश वर्जिन द्वीप के Lingo Investments और अहली ने ब्रिटिश वर्जिन द्वीप के Gulf Asia Trade and और मॉरीशस में स्थापित Mid East Ocean Trade & Investment का उपयोग किया, दोनों को 2011 में ही स्थापित किया गया था।
▪️ Global Opportunity Fund में उनके खातों की देखरेख विनोद अडानी की कंपनी एक्सेल इन्वेस्टमेंट एंड एडवाइजरी सर्विसेज के एक कर्मचारी द्वारा की जाती थी।
▪️अहली और चांग गुप्त रूप से अडानी के शेयर और डेरिवेटिव खरीद और बेच सकते थे। जनवरी 2017 तक उन्होंने $363 मिलियन मूल्य की हिस्सेदारी जमा कर ली थी।
मोदी सरकार ने DRI जांच बंद की
▪️ जनवरी 2014 में अडानी के खिलाफ SEBI और DRI में दो अलग-अलग जांचें चल रही थीं।
▪️ DRI ने अडानी पावर प्रोजेक्ट्स में कथित रूप से बढ़े हुए बिलों के सबूतों की एक सीडी के साथ SEBI को पत्र लिखा, जिसमें संदेह जताया गया कि हेराफेरी किया हुआ पैसा अडानी समूह के शेयरों में लगाया गया।
▪️ मई 2014 में मोदी के सत्ता संभालने से ठीक पहले DRI ने अडानी के बारे में जानकारी हासिल करने की मांग भेजी थी
▪️ 3 साल बाद 2017 में DRI ने अडानी को बरी कर दिया और मामला बंद कर दिया
▪️अडानी कंपनियों द्वारा हीरों में कथित सर्कुलर व्यापार की एक अलग जांच, जिसमें DRI दस्तावेजों में विनोद अडानी, चांग और अहली द्वारा प्रतिनिधित्व की गई कंपनी का उल्लेख है, इस जाँच को भी 2015 में बिना किसी नतीजे के बंद कर दिया गया।
SEBI की निगरानी विफल रही
▪️ SEBI कथित तौर पर 2014 से अडानी समूह में होल्डिंग और फंडिंग की जांच कर रही थी – अब गलत कार्यवाही को पकड़ने में SEBI की विफलता पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
▪️ ऐसा प्रतीत होता है कि SEBI के कम से कम 25% सार्वजनिक उपलब्ध शेयर और प्रमोटर के पास 75% तक शेयर सीमित रखने के नियम का उल्लंघन हुआ है
▪️ विनोद अडानी के अहली और चांग प्रतिनिधियों के पास सार्वजनिक उपलब्ध 25% शेयर का 13% हिस्सा था, जिसके साबित होने पर SEBI द्वारा स्टॉक डीलिस्ट हो सकता है।
▪️ कथित जांच के समय SEBI के अध्यक्ष, यू के सिन्हा अब अडानी समूह के स्वामित्व वाले एनडीटीवी के गैर-कार्यकारी अध्यक्ष हैं
▪️ SC द्वारा नियुक्त समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि SEBI को संदेह था कि अडानी के कुछ सार्वजनिक शेयरधारक वास्तव में सार्वजनिक शेयरधारक नहीं हैं और वे प्रमोटरों के मुखौटे हो सकते हैं
▪️ SC द्वारा नियुक्त समिति ने कहा कि SEBI ने माल्टा, कुराकाओ, वर्जिन द्वीप समूह और बरमूडा से 13 offshore संस्थाओं के बारे में जानकारी मांगी थी, जिन्हें वह संदिग्ध मानती थी, लेकिन उनको कोई जानकारी नहीं दी।
▪️ SEBI ने सुप्रीम कोर्ट से कहा: 25% न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता के अनुपालन के लिए जिन 13 अपतटीय संस्थाओं की जाँच हो रही थी – वहाँ पहचान करना एक चुनौती है