राजस्थान पत्रिका अजमेर में जब से उपेंद्र शर्मा को संपादक बनाया गया है, स्टाफ पर मुसीबत टूट पड़ी है। जूनियर रिपोर्टर से सीधे संपादक की कुर्सी पर बैठे उपेंद्र शर्मा किसी को कुछ नहीं समझ रहे। उनसे पहले यहां ज्ञानेश उपाध्याय जैसे धीर-गंभीर और विद्वान संपादक थे। उपाध्याय ने अपने छोटे से कार्यकाल में सभी को मान-सम्मान दिया। लेकिन उपेंद्र शर्मा तानाशाह की तरह काम कर रहे हैं।
वो आए दिन डेस्क या रिपोर्टिंग के किसी भी साथी को बिना बात प्रताडि़त करते रहते हैं। जो उनकी तानाशाही का विरोध करते हैं, उसके वो साइड लाइन कर देते हैं। उन्होंने सबसे पहले हिन्दी के विद्वान और वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र गुप्ता को शिकार बनाया। गुप्ता ने उनकी बचकानी बातों का विरोध किया तो उनका अजमेर से हुबली तबादला करवाकर अन्य कर्मचारियों के खौफ पैदा कर दिया। ये करके उनका अन्य कर्मचारियों को साफ मैसेज था कि जो मुझसे टकराएगा वो यहां नहीं रह पाएगा।
उनको दूसरा शिकार बने युवा और उत्साही रिपोर्टर भूपेंद्र सिंह। विद्युत निगम और राजस्व मंडल की राज्य स्तरीय विभाग पर जबरदस्त पकड़ रखने वाले भूपेंद्र सिंह अपनी सपाट बयानी के लिए विख्यात है, लेकिन उनकी ईमानदारी और काबिलियत के कारण तमात संपादकों ने उनका सम्मान किया। मगर उपेंद्र शर्मा ने आते ही उन्हें प्रताडि़त करना शुरू कर दिया। बताते हैं कि उपेंद्र और भूपेंद्र दोनों जयपुर में रिपोर्टिंग करते थे। उसी दौरान किसी मशले पर दोनों के बीच कहासुनी हुई थी, उसका खामियाजा अब उसे भुगतना पड़ रहा है।
पिछले दिनों उपेंद्र शर्मा ने भूपेंद्र सिंह का तबादला नागौर जिले के कुचामन ब्यूरो में कर दिया। इससे भूपेंद्र सिंह परेशान हो गए। वे पत्नी और तीन साल के बेटे के साथ अजमेर में रहते हैं और उन्होंने कुछ दिन पहले ही अजमेर के एक स्कूल में बेटे को एडमिशन कराया था। तबादले से परेशान भूपेंद्र सिंह गुहार करने उपेंद्र शर्मा के पास पहुंचे और कहा कि उनकी पत्नी और बेटा अकेले अजमेर में नहीं रह पाएंगे। अभी उन्होंने २० हजार रुपए एडमिशन पर खर्च किए हैं। ऐसे में वे परिवार को कुचामन भी नहीं ले जा सकते। तमाम मिन्नतों के बावजूद संपादक ने उनकी गुहार नहीं मानी। आखिरकार हताश और परेशान भूपेंद्र सिंह ने जयपुर जाकर गु्रप एडिटर भुवनेश जैन के सामने मसले को रखा और अपनी परेशानी बताई। इस पर उनका तबादला रोक दिया गया। इससे संपादक उपेंद्र शर्मा और खफा हो गए। उन्होंने भूपेंद्र सिंह को रिपोर्टिंग से हटाकर डेस्क पर लगा दिया।
संपादकीय विभाग के अन्य लोग भी संपादक के तुगलकी फैसलों और व्यवहार से परेशान है। एक परेशान डेस्ककर्मी ने बताया कि संपादक उपेंद्र शर्मा रोज शाम को कुछ रिपोर्टरों को बुलाकार अपना दरबार लगाते हैं और करीब एक घंटा अपनी जयपुर की रिपोर्टिंग को लेकर शेखी बगारते हैं। मबजूरी में रिपोर्टरों को उनकी तारीफों के पुल बांधने पड़ते हैँ। उसके बाद उपेंद्र शर्मा डिनर करने घर चले जाते हैं, फिर राते तो दस बजे वापस ऑफिस आते हैं। आते ही थोड़ी देर बाद दो रिपार्टरों के साथ टहलने निकल जाते हैं। उनकी इन हरकतों से रिपोर्टरों के कामकाज पर प्रभाव पड़ रहा है और अक्सर डेस्क को खबरों लेट मिल रही है, इससे इसलिए एडिशन भी समय से नहीं छूट रहा है। संपादक चटौरेपन को लेकर भी स्टाफ परेशान है। वो आए दिन किसी ना किसी से दावत की फरमाइश भी कर बैठते हैं। अब बेचारे पत्रकार को जैसे-तैसे उनकी फरमाइश पूरी करनी पड़ती है।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित
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ये वो उपेंद्र शर्मा हैं जो अपने ही साथी रिपोर्टर हनुमान शर्मा की पत्नी को सरकारी नौकरी (टीचर) की दिलाने के एवज में कुछ लाख रुपये की घूस ले चुके थे। नौकरी नहीं लगी तो हनुमान शर्मा ने बवाल कर दिया। बात पत्रिका के मुख्यालय केसरगढ़ पहुंच गई। वहां दोनों पक्षों को बुलाया गया। हनुमान को रकम वापस दिलवाई गई। तब उपेंद्र शर्मा पत्रिका के ही एक अन्य अखबार डेली न्यूज में काम करते थे। हनुमान इस समय भी राजस्थान पत्रिका जयपुर में रिपोर्टर हैं। उपेंद्र के खिलाफ कारवाई हुई और कई महीनों तक उन्हें बिना बीट का रिपोर्टर बनाए रखा गया। एक साल पहले उपेंद्र को बीकानेर का संपादक बनाया गया था, लेकिन मामला अटक गया दागी (यही दाग) होने के कारण। लेकिन अंततः उन्हें चंपादक (माफ करिएगा) संपादक की कुर्सी मिल गई।
sabash teni bhi, aap ajmer ki esi news send kartey rahno, maja aa gaya.
दिनेश भाई मजा आ गया। पत्रिका के अंदर की जानकारी रोने के लिए।