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उत्तर प्रदेश

योगी आदित्यनाथ से पत्नी के हत्यारोपी अमनमणि के मिलने पर सोशल मीडिया से उठ रहे सवाल

Chandan Srivastava : हिंदू औरतें भाजपा के एजेंडे में नहीं हैं शायद। तभी तो मुख्यमंत्री के साथ अपनी पत्नी का हत्यारोपी बार-बार नजर आता है। दक्षिण भारत की देवदासियां भी हिंदू औरतें ही हैं। जिनका बचपन खत्म होने से पहले गुलाम बना दिया जाता है और देह के धंधे में ढकेल दिया जाता है। दो साल से ज्यादा हो गए महिला आयोगों को सिफारिश किए, एक अदद कानून हिंदू बहनों-बेटियों की रक्षा के लिए नहीं बना सकी सरकार। हिंदू बहनें नरेंद्र मोदी की बहनें नहीं हैं।

लखनऊ के पत्रकार और वकील चंदन श्रीवास्तव की एफबी वॉल से.

Chandan Srivastava : हिंदू औरतें भाजपा के एजेंडे में नहीं हैं शायद। तभी तो मुख्यमंत्री के साथ अपनी पत्नी का हत्यारोपी बार-बार नजर आता है। दक्षिण भारत की देवदासियां भी हिंदू औरतें ही हैं। जिनका बचपन खत्म होने से पहले गुलाम बना दिया जाता है और देह के धंधे में ढकेल दिया जाता है। दो साल से ज्यादा हो गए महिला आयोगों को सिफारिश किए, एक अदद कानून हिंदू बहनों-बेटियों की रक्षा के लिए नहीं बना सकी सरकार। हिंदू बहनें नरेंद्र मोदी की बहनें नहीं हैं।

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लखनऊ के पत्रकार और वकील चंदन श्रीवास्तव की एफबी वॉल से.

Riwa Singh : एक खुला ख़त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम

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माननीय महोदय,

सर्वप्रथम देश की राजनीति में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले राज्य उत्तर प्रदेश का बतौर मुख्यमंत्री प्रतिनिधित्व करने पर आपको अशेष शुभकामनायें!

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मैं मूलतः गोरखपुर की निवासी हूं इसलिए आपको और आपके कार्यों को जानने-समझने के लिए मुझे आपके संसद में आने का या मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने का इंतज़ार नहीं करना पड़ा। मैंने देखा है कि आप कैसे किसी घटना पर शीघ्र ही किसी भी मोहल्ले या कस्बे में पहुंच जाते थे। समाज का निम्न वर्ग कहलाने वाले तबके के लिए आप तक पहुंचना किसी सरकारी अफसर तक पहुंचने से ज्यादा आसान रहा इसलिए लोग आपको ‘बाबा’ कहकर संबोधित करते हैं और आपके प्रति अपार स्नेह रखते हैं। आपका हिंदुत्व का परचम मुझे आपके विचार से हमेशा दूर खड़ा करता रहा। कॉलेजों में भी अगर आप देश या आतंकवाद पर बोलते थे तो जिहादी आतंकवाद पर बोलते थे, ये बात मुझे विचलित करती थी। हिंदुओं के प्रति अत्याचार आपके मन में इस कदर घर कर चुका था कि आप हमेशा हिंदुत्व के उत्थान में लगे रहे। हां, यदि कोई भी आपसे सहायता मांगने आए तो उसके हिंदू न होने पर कभी कोई परेशानी नहीं हुई।

महोदय, आपकी छवि एक साम्प्रदायिक नेता की है। आपके मुख्यमंत्री बनने से पहले प्रदेश के बाहर आपको साम्प्रदायिक विषयों पर बोलने के लिए ही जाना जाता था। मैं पत्रकार हूं, यदि अपने क्षेत्र से उदाहरण दूं तो किसी भी नेता के धर्म पर भड़काऊ भाषण देने पर जब भी सभी नेताओं के बयानों का पैकेज बनाना हो, तो पहले आपको याद किया जाता है। किसी भी मुसलमान नेता की बयानबाजी के बाद अगर ख़बर को आगे बढ़ाना हो तो आपकी राय (बाइट) ली जाती है। इन सबके बाद मुझे उम्मीद नहीं थी कि भाजपा आपको मुख्यमंत्री पद के लिए नामांकित करेगी, मुझे नहीं लगा कि भाजपा इतनी बड़ी ‘भूल’ करेगी। ऐसा होना मेरे लिए आश्चर्य का विषय रहा पर एक नागरिक की तरह मैं इस बात को लेकर आश्वस्त थी कि अब उत्तर प्रदेश बहुत सुधर जाएगा।

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हालांकि इस बात की भी आशंका थी कि हिंदुत्व को बढ़ावा देने के लिए कुछ कदम उठाए जा सकते हैं पर इतना तय था कि अब अनुशासन देखने को मिलेगा। अब गुंडागर्दी की ख़ैर नहीं और भ्रष्टाचार पर बहुत हद तक अंकुश लगेगा। साधारण शब्दों में कहूं तो प्रदेश को आप जैसे मॉनिटर की बहुत पहले ही ज़रूरत थी जो अनुशासन को लेकर दृढ़ हो। आप वो नेता हैं जो भूत-भविष्य का सोचे बिना इस क्षेत्र में कठोर कदम उठा सकता है। दल में आपको अपनी छवि न बनानी है और न बचानी है, आपकी अपनी राह है। मुझे सन् 2010 याद आता है जब बसपा के दागी नेता बाबुसिंह कुशवाहा भाजपा में शामिल हुए और आपने इसपर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। भाजपा के इस कृत्य के लिए आपने तीखी आलोचना करते हुए कहा कि ऐसा होता रहा तो आप राजनीति छोड़ देंगे। ऐसी स्थिति में यदि दूसरे नेताओं से राय मांगी जाए तो वो दल में अपनी छवि खराब करने से बचने के लिए यह कहकर निकलते हैं कि – ये पार्टी का निर्णय है। आप एक राष्ट्रीय स्तर की पार्टी के वो सांसद थे जो कभी मंत्री भी नहीं हुए थे पर आपने अपनी छवि के बारे में सोचे बिना आलाकमान को घेरा था।

अभी प्रदेश में बतौर मुख्यमंत्री आप जो कार्य कर रहे हैं वो मुझे कई बार उत्साह से भर देता है। सरकारी बाबूओं को आलस्य की आदत पड़ गयी है। अब उनके लेट आने पर हाजिरी नहीं लगती। इससे वो ख़फ़ा हैं पर ऐसा होना आवश्यक है। ऐसा होना आवश्यक है ताकि किसी भी ढीले रवैये को आम जनता सरकारी रवैया न कहे, ताकि किसी भी काम की धीमी गति को जनता सरकारी कामकाज जैसा न कहे। ये छवि बदलनी चाहिए। जयंतियों के नाम पर अवकाशों का बंद होना भी सराहनीय है। कहा जाता है कि सरकारी काम में तो छुट्टी ही छुट्टी है, काम ही कितना करना पड़ता है। सरकारी काम को लोग आरामकुर्सी का पर्याय मानते हैं, ये परिभाषा बदलनी चाहिए।

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ये सब देखते हुए मन निश्चिंत होता है कि बहुत जल्दी प्रदेश की सूरत बदलेगी तबतक एक कार्यक्रम की झलक मिलती है जिसमें अमनमणि त्रिपाठी जैसे लोग आपके साथ मंच साझा कर रहे हैं, आपको पुष्पगुच्छ (गुलदस्ता) भेंट कर रहे हैं। मैं ये देखकर अवाक् रह जाती हूं। मुझे तुरंत बाबुसिंह कुशवाहा याद आते हैं और फिर लगता है कि आपने ये कैसे होने दिया! अब ख़बरें आ रही हैं कि अमनमणि भाजपा में शामिल हो सकते हैं, उन्होंने आपसे आशीर्वाद लिया और अनुमति मांग रहे हैं। उनके पिता अमरमणि अभी जेल में हैं, स्वयं अमनमणि पर भी अपनी पत्नी की हत्या के षड़यंत्र का आरोप है। सफाई देने के लिए उस हत्या को दुर्घटना कहा जा सकता है पर अभी वो बाइज़्ज़त बरी नहीं हुए हैं, कानूनन अपराधी ही हैं। उनका भाजपा में शामिल हो जाना आश्चर्यसूचक नहीं है क्योंकि जबसे भाजपा ने विस्तार की ठानी है, मिस कॉल से भी पार्टी का विस्तार हो रहा है। गाय, भेड़, बकरी सभी भाजपा में शामिल हो रहे हैं और संख्या व गुणवत्ता के फ़र्क को नज़रंदाज़ करते हुए भाजपा दहाड़ रही है कि वो सबसे बड़ी पार्टी है।

आश्चर्य इस बात पर है कि वो आपके साथ भाजपा में शामिल हो रहे हैं। आप एक साम्प्रदायिक नेता हैं और हिंदुत्व के नाम पर अक्सर ही बेतुके बयान देने में भी संकोच नहीं करते पर जो लोग आपको पसंद नहीं करते, फिर भी आपके काम को पसंद करते हैं, उन्हें इस कदम से आपको और गलत समझने का एक मौका ज़रूर मिलेगा। जिन लोगों ने ये मान लिया था कि – थोड़ी-बहुत ख़ामियां तो सभी में होती ही हैं पर आप प्रदेश अच्छा चला रहे हैं। प्रशासन सुधर रहा है। अमनमणि को शामिल कर के आप उन्हें अपनी उस सोच पर अफसोस करने की वजह देंगे। बहुत कष्ट के साथ यह कह रही हूं कि अमनमणि जैसे लोगों के लिए इंसाफ और कानून खरीदना बहुत मुश्किल नहीं होता। अगर वो भाजपा में अभी शामिल हुए तो प्रशासन उनपर नकेल कसने में कामयाब हो इसपर आम जनता को शक होगा और उनका शक होना वाजिब है। जब आप उन्हें अपने साथ शामिल करने में नहीं हिचकेंगे तो प्रशासन के लिए तो उन्हें नकारना और भी मुश्किल है।

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महोदय, प्रदेश ने आपके बयान देखे व सुने हैं, लोग आपको पक्षपाती ही मानते हैं। बतौर मुख्यमंत्री आप ऐसे नहीं हो सकते, आपके पद की गरिमा आपको ऐसा होने की अनुमति नहीं देती। बचपन में पढ़े जुम्मन शेख और अलगू चौधरी की कहानी भी यही सिखाती है कि यदि पंच परमेश्वर है तो पंच का अपने पद के प्रति उत्तरदायित्व भी बनता है। जिन लोगों को प्रदेश की भाजपा सरकार से अब उम्मीदें होने लगी हैं उन्हें फिर से यह सोचने पर विवश न करें कि सभी एक ही थाली के बैगन हैं।
मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि अमनमणि के सिर पर अपना हाथ रखने की भूल न करें। प्रदेश को आपसे अनंत अपेक्षाएं हैं, उनपर खरा उतरना एक प्रतिनिधि का कर्त्तव्य है। आगे भी इन बातों का ध्यान रखें ताकि जनता को आप पर विश्वास करने में संकोच न हो। लोग भौंहें सिकोड़कर नहीं गौरवांवित होकर कह सकें कि योगी आदित्यनाथ हमारे मुख्यमंत्री हैं।

धन्यवाद सहित
रीवा सिंह
जय हिंद जय भारत

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युवा और प्रतिभाशाली पत्रकार रीवा सिंह की एफबी वॉल से.


Dayanand Pandey : गोरखपुर से जिस तरह की खबरें मिल रही हैं, वह शुभ नहीं हैं योगी आदित्यनाथ के लिए। एक मुख्य मंत्री को स्थानीय राजनीति और स्थानीय क्षुद्रताओं से हर हाल मुक्त हो जाना चाहिए। लेकिन योगी नहीं हो पाए हैं। बल्कि इस में और धंस गए हैं । मुख्य मंत्री पद का बड़प्पन और उदारता नहीं दिखा सके हैं। यह भाजपा और योगी दोनों के लिए खतरे की घंटी है। लखनऊ में भी उन के प्रशासनिक फिसलन के कुछ नमूने सामने आ गए हैं। मीडिया के दलालों से भी वह घिर चुके हैं। गरज यह कि पूत के पांव पालने में स्वस्थ नहीं दिख रहे। खुदा खैर करे।

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लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार दयानंद पांडेय की एफबी वॉल से.

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