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अमर उजाला के 75वें वर्ष में प्रवेश पर यहाँ काम कर चुके पत्रकार कर रहे बीते दिनों को याद!

गोलेश स्वामी-

मित्रों मेरा भी ‘अमर उजाला’ से 15 साल अनवरत प्रगाढ रिश्ता रहा है। आगरा, मुरादाबाद और मथुरा से लेकर प्रदेश की राजधानी लखनऊ तक। मैं अमर उजाला के उस दौर में रहा जब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया था ही नहीं, प्रिंट मीडिया का एक छत्र राज्य था। पश्चिमी यूपी और उत्तराखंड की राजनीति में अमर उजाला का डंका बजता था। राज्यपाल, मुख्यमंत्री से लेकर बडे-बडे राजनेता तक अमर उजाला के पत्रकारों से सीधे बात करते थे। मैं ने बचपन से अमर उजाला पढा और फिर उसकी संपादकीय टीम का लंबे समय तक हिस्सा रहा। मालिकों से ‘ सर’ वाले रिश्ते न होकर भाई साहब वाले रिश्ते रहे। इसलिए अमर उजाला से खास लगाव है। अमर उजाला के 75 वें गौरवशाली वर्ष में प्रवेश पर मैं अमर उजाला के अपने पुराने साथियों, चेयरमैन, एमडी, निदेशकों, संपादकीय टीम और अन्य सभी कर्मियों को इस उपलब्धि के लिए बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। सादर।


शेषमणि शुक्ला-

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अमर उजाला समाचार पत्र अपने प्रकाशन के 75वें साल में प्रवेश कर रहा है। मौजूदा वक्त में जब मीडिया संस्थानों को भी एक गहरी काली छाया चौतरफा घेरती जा रही है, उम्मीद करता हूं कि हीरक जयंती मना रहा अमर उजाला “जोश सच का” अपने स्लोगन के साथ हीरे की तरह ही पत्रकारिता की चमक और दमक बरकरार रखेगा। मुझे खुशी है कि इस अखबार के अब तक के 74 साल के सफर में करीब 14 साल मैं भी साथ रहा। अखबार के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं और सभी अमरउजालाइट्स को बहुत बहुत बधाई-शुभकामनाएं।


चंद्र प्रताप सिकरवार-

लोकप्रिय दैनिक अमर उजाला ने आज 18 अप्रैल को 75 वर्ष पूरे कर लिए। अमर उजाला ने ही मुझे वर्ष 1988 से 2001 तक और वर्ष 2006 से 2013 तक 22 वर्ष आगरा, मथुरा, मैनपुरी, अलीगढ़ आदि स्थानों पर ब्यूरो चीफ एवं संपादकीय विभाग के अन्य बड़े पदों पर सेवा और पदोन्नति का मौका दिया। समाज में मुझे एक पहचान मिली। इस दैनिक पत्र की सेवा के दौरान के अतीत के तमाम पल कभी भुलाए नहीं जा सकते। 75 वें वर्ष पर अमर उजाला के प्रति अपनी कृतज्ञता अर्पित करना मैं अपना धर्म समझता हूं…..

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डॉ चंदन शर्मा-

अमर उजाला के सभी मित्रों को हार्दिक शुभकामनाएं! कोई कितना भी प्रयास कर ले, पहला प्यार भुलाए नहीं भूलता है। भोपाल से कैंपस सलेक्शन के बाद पहली नौकरी…अगस्त 2004 मेरठ, सितंबर-दिसंबर 2004 देहरादून और जनवरी-अक्तूबर 2005 हल्दानी( नैनीताल) स्मृति में चलचित्र की तरह है। साढ़े तीन हजार रुपए से साढ़े आठ हजार तक का सफर कैसे भुलाया जा सकता है। उत्तराखंड…आज भी प्रिय है। दर्जनों मित्र बने, जो दिलों जज्बात में हमेशा #अमर रहेंगे। गढ़वाल से कुमाऊं तक पहाड़ का स्नेह ऐसा मिला कि इतने वर्षों बाद भी मन में #उजाला भर जाता है।

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1 Comment

1 Comment

  1. Purushottam Sharma

    April 22, 2022 at 6:31 pm

    My name is Purushottam Sharma, lived in agra from 1964 to 1985. I read Amar Ujala from childhood, now living in Udaipur, Rajasthan and read Amar Ujala e-paper. I given congratulations to Amar Ujala news paper, Agra and all.
    Puru

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